RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
"ये तो बता दे कि आज किस लिये बुलाया है...?" नज़ीला ने उसे फिर छेड़ा तो सानिया चुदने के लिये बेकरार होते हुए बोली, "आआहह चुदने के लिये... चूत में लंड लेने के लिये... आँआहहह... सुनील डालो ना..!" नज़ीला रसभरी आवाज़ में बोली, "देख सुनील कैसे गिड़गिड़ा रही है बेचारी... आब डाल भी दी ने अपना लौड़ा साली के चूत में!" सुनील ने सानिया की टाँगों को पकड़ कर और फैलाते हुए एक जोरदार धक्का मारा और लंड सानिया की चूत की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर जा घुसा। "आआआईईईई हाय सुनील.... ओहहहहह हाँ चोदो.... आहहह ऊँहहह ऊँईईईई ओहहहह ऊँहहह अम्म्म्म्म ओहोहोहोआआहहह बहोत मज़ा आ रहा है..!" सानिया मस्ती में जोर-जोर से सिसकने लगी। सुनील ने धीरे-धीरे अपने लंड को सानिया की चूत के अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। सुनील के झटकों से सानिया और नज़ीला दोनों नीचे लेटी हुई हिल रही थीं। करीब पाँच मिनट सानिया की चूत में अपना लंड पेलने के बाद जब सानिया की चूत ने पानी छोड़ दिया तो सुनील ने अपना लंड सानिया की चूत से बाहर निकला और नज़ीला की टाँगों को उठा कर उसकी चूत के छेद पर लंड को टिका कर एक ज़ोरदार धक्का मारते हुए पूरा लौड़ा अंदर थोक दिया। "हायै..ऐऐऐ ऊँफ्फ सुनीईईईल.. आहिस्ता... आहहहह ओहहहहहह मर गयीईईई मैं.... याल्लाआआह... ओहहहह धीरेऽऽऽ आहहह आहहह हायेऐऐऐऐ सानिया... तेरे आशिक़ ने मेरी चूत का कचूमर बना दिया...!" कमरे में थप-थप की आवाज़ गूँजने लगी। सुनील पूरी रफ़्तार से नज़ीला की चूत की गहराइयों में अपना लंड जोर-जोर से ठोक रहा था। नज़ीला की चूत सुनील के जवान लौड़े के धक्कों के सामने ज्यादा देर टिक नहीं सकी और नज़ीला सिसकते हुए झड़ने लगी, "आहहह आँआँहह ऊहहह सुनीईईल मेरी फुद्दी... हाआआआयल्लाआआह मेरी चूत पानी छोड़ने वाली आहहह ओहहह गयीईई ओहहह मैं गयीईई आँआँहहह!"
सुनील भी नज़ीला की चूत में लगातार शॉट मारते हुए बोला, "आहहह भाभी आपकी भोंसड़ी सच में बहुत गरम है...!"
नज़ीला हाँफते हुए बोली, "बस रुक जा सुनील... थोड़ी देर सानिया की चूत में चोद दे अब!" सुनील ने अपने लंड को नज़ीला की चूत से बाहर निकला और सानिया की चूत पर रखते हुए एक जोरदार धक्का मार कर आधे से जयादा लंड सानिया की चूत में पेल दिया। दर्द और मज़े की वजह से सानिया का जिस्म एक दम से अकड़ गया। सुनील ने अपने लंड को पूरी रफ़्तार से सानिया की चूत के अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। नज़ीला सानिया के नीचे से निकल कर बगल में लेट गयी और सानिया की चूंची को मुँह में भर कर चूसने लगी और दूसरी चूंची को सुनील ने अपने मुँह में भार लिया और हुमच-हुमच कर चोदते हुए चूसने लगा। दस मिनट बाद सानिया की चूत ने अपने आशिक़ के लंड पर अपना प्यार बहान शुरू कर दिया और अगले ही पल सुनील ने भी सानिया के चूत में अपने प्यार की बारिश कर दी। पूरी रात सानिया नज़ीला और सुनील की चुदाई का खेल चला।
दिन इसी तरह गुज़र रहे थे और अगले दो महीनों के दौरान जब भी नज़ीला का शौहर दौरे पर शहर के बाहर गया तो करीब छः-सात बार नज़ीला के घर पे नज़ीला और रुखसाना ने रात-रात भर सुनील के साथ ऐयाशियाँ की... हर तरह से खूब चुदवाया और थ्रीसम चुदाई का मज़ा लिया। इसके अलावा नज़ीला और रुखसाना को अलग-अलग भी जब मौका मिलता तो अकेले सुनील से चुदवा लेती। सुनील भी दूसरी तरफ़ नफ़ीसा के साथ भी ऐश कर रहा था पर सानिया को इन दो महीनों में सिर्फ़ दो बार ही सुनील से चुदवाने का मौका नसीब हुआ वो भी नज़ीला की ही मेहरबानी से। सानिया तो दिल ही दिल में सुनील से और भी ज्यादा मोहब्बत करने लगी थी। हालांकि सानिया और रुखसाना को सुनील के साथ एक दूसरे के रिश्ते के बारे में तो पता नहीं चला लेकिन सानिया को अपनी अम्मी पे शक पहले से ज्यादा बढ़ गया था।
फिर एक दिन की बात है... सानिया को अचानक से उल्टियाँ शुरू हो गयी और वो बेहोश होकर गिर पड़ी। रुखसाना ने उसके चेहरे पर पानी फेंका तो उसे थोड़ी देर बाद होश आया। रुखसाना उसे हास्पिटल लेकर गयी क्योंकि सानिया को कभी कोई बिमारी या शिकायत नहीं हुई थी। जब वहाँ पर एक लेडी डॉक्टर ने उसका चेक अप किया तो उसने रुखसाना बताया कि सानिया प्रेगनेंट है। रुखसाना के तो पैरों तले से जमीन खिसक गयी। उसने वहाँ तो सानिया को कुछ नहीं कहा और उसे लेकर घर आ गयी। घर आकर रुखसाना ने सानिया को जब सारी बात बतायी तो सानिया के चेहरे का रंग उड़ गया। रुखसाना के डाँटने और धमकाने पर सानिया ने सारा राज़ उगल दिया। रुकसाना बेहद परेशान थी... उसे यकीन नहीं हो रहा था कि सुनील उसके साथ इतना बड़ा दगा कर सकता है। फ़ारूक़ दो-तीन दिन की छुट्टी लेकर अपनी भाभी अज़रा के साथ रंगरलियाँ मनाने गया हुआ क्योंकि वो अकेली थी। शाम को जब सुनील घर वापस आने के बाद रुखसाना ऊपर सुनील के कमरे में गयी तो सुनील उठ कर उसे अपने आगोश में लेने के लिये उसकी तरफ़ बढ़ा। रुखसाना ने सुनील को वहीं रुकने के लिये कह दिया और फिर बोली, "सुनील तूने ये सब हमारे साथ ठीक नहीं किया..?" सुनील ने पूछा, "पर हुआ क्या है... मुझे पता तो चले..!"
"सुनील तू हमारे साथ इस तरह दगा करेगा.. अगर मुझे पहले मालूम होता तो मैं तुझे अपने घर में कभी रहने नहीं देती...!" सुनील को समझ नहीं आ रहा था कि अचानक रुखसाना को क्या हो गया। "साफ-साफ बोलो ना भाभी कि बात क्या है...?" सुनील ने पूछा तो रुखसाना बोली, "सानिया के पेट में तेरा बच्चा है... अब मैं क्या करूँ तू ही बता... तूने हम सब के साथ दगा किया है... मैं तुझे कभी माफ़ नहीं करुँगी... तूने सानिया की ज़िंदगी बर्बाद क्यों की...?" रुखसाना की बात सुन कर सुनील के चेहरे का रंग उड़ चुका था। "कोई बात नहीं... मैं पैसे देता हूँ... आप उसका अबोर्शन करवा दो!" सुनील ने ऐसा जताया जैसे उसे किसी की परवाह ही ना हो। "अबोर्शन करवा दो...? अबोर्शन से तूने जो गुनाह किया है वो तो छुप जायेगा... पर सानिया का क्या... जिसे तूने प्यार का झूठा ख्वाब दिखा कर उसके साथ इतना गलत किया है!"
सुनील बोला, "देखो भाभी ताली एक हाथ से नहीं बजती... अगर इस बात के लिये मैं कसूरवार हूँ... तो सानिया भी कम कसूरवार नहीं है और भाभी अबोर्शन के अलावा और कोई चारा है आपके पास...!" सुनील की बात सुनकर रुखसाना बोली, "ठीक है सुनील मैं सानिया का अबोर्शन करवा देती हूँ... पर एक बात बता कि क्या तू सच में सानिया से प्यार करता है..?" सुनील बोला, "नहीं मैं उसे कोई प्यार-व्यार नहीं करता... वो ही मेरे पीछे पढ़ी थी..!"
रुखसाना ने कहा, "देख सुनील अगर सानिया को ये सब पता चला तो वो टूट जायेगी... सानिया भले ही मेरी कोख से पैदा नहीं हुई पर मैंने उसे अपनी बेटी के तरह पाला है... तुझे उससे शादी करनी ही होगी!" ये सुनकर सुनील थोड़ा गुस्से से से बोला, "ख्वाब मत देखो रुख़साना भाभी... आपको भी मालूम कि ऐसा कभी नहीं होगा.... इस शादी के लिये मैं तो क्या आपके और मेरे घर वाले भी कभी तैयार नहीं होंगे... अगर आपको मेरा यहाँ रहना पसंद नहीं है तो मैं दो-तीन दिनों में किसी दूसरी जगह शिफ्ट हो जाउँगा!" ये कह कर सुनील बाहर चला गया।
रुखसाना उसी के कमरे में सिर पकड़ कर बैठ गयी। एक तरफ उसे सानिया की फ़िक्र थी और सुनील के घर छोड़ के जाने की बात सुनकर तो उसे अपनी दुनिया बिखरती हुई नज़र आने लगी। उसकी खुद की बियाबान ज़िंदगी में सुनील की वजह से इतने सालों बाद बहारें आयी थीं और पिछले कुछ महीनों में उसे सुनील के लंड की... उससे चुदवाने की ऐसी लत्त लग गयी थी कि वो सुनील को किसी भी कीमत पे खो नहीं सकती थी। अपनी सौतेली बेटी का दिल टूटने से ज्यादा उसे अब अपनी हवस... रोज़-रोज़ अपनी चुत की आग बुझाने का ज़रिया खतम होने की फ़िक्र सताने लगी। वो सोचने लगी कि सानिया तो फिर भी जल्दी ही वक़्त के साथ सुनील को भुल जायेगी और उसका निकाह भी एक ना एक दिन हो जायेगा... लेकिन वो खुद तो बिल्कुल तन्हा रह जायेगी... पहले की तरह तड़प-तड़प कर जीने के लिये मजबूर...! ये सब सोचते हुए रुकसाना का दिल डूबने लगा... उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे... अगर सुनील अभी घर छोड़ कर नहीं भी गया तो भी वो हमेशा तो यहाँ उसके घर पे वैसे भी नहीं रहेगा... उसकी भी तो कभी ना कभी शादी होगी... तब वो क्या करेगी। तभी रुखसाना की नज़र टेबल पर रखी हुई एक डायरी पर पड़ी। उसने वो डायरी उठा कर देखी तो उसमें सुनील के दोस्तों और कुछ रिश्तेदारों के पते और फोन नंबर लिखे हुए थे और रुखसाना को उसी डयरी में सुनील की मम्मी का फोन नंबर मिल गया। उसने पेन उठा कर उस नंबर को अपने हाथ पर लिखा और नीचे आ गयी। सुनील को हमेशा अपने करीब रखने की आखिरी तरकीब उसे नज़र आयी। फिर बाहर का दरवाजा लॉक करके उसने अपने बेडरूम में आकर सुनील के घर का नंबर मिलाया। थोड़ी देर बाद किसी आदमी ने फ़ोन उठाया, "हेल्लो कौन..!"
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