RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
ये बात सुनते ही सानिया के चेहरे का रंग एक दम से उड़ गया। उसका केलजा मुँह को आ गया। वो कभी अपने सामने नज़ीला की तरफ़ देखती जो उसके पैर की मालिश कर रही थी तो कभी नीचे फ़र्श की तरफ़। "तुझे ये सब करते हुए डर नहीं लगा... अगर तेरी अम्मी और अब्बू को पता चल गया कि तू उनके पीछे अपना मुँह काला करवाती फिरती है तो वो तुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे... बोल बताऊँ तेरी अम्मी को..?" नज़ीला की धमकी सुनकर सानिया की हालत रोने जैसी हो गयी थी। सानिया ने नज़ीला का हाथ पकड़ लिया और रुआँसी आवाज़ में बोली, "प्लीज़ आँटी... अम्मी-अब्बू को नहीं बताना... वो मुझे मार डालेंगे...!"
शिकार को अपने जाल में फंसते देख कर नज़ीला बोली, "तुझे क्या यही... दूसरे मज़हब का लड़का मिला था सानिया... क्यों क्या तूने उसके साथ ये सब!"
सानिया: "आँटी मैं सुनील से प्यार करती हूँ..!"
नज़ीला: "प्यार हुँम्म.... आने दे तेरे अम्मी और अब्बू को... सब प्यार-मोहब्बत भूल जायेगी!"
सानिया: "आँटी प्लीज़... आपको अल्लाह का वस्ता... प्लीज़ आप अम्मी और अब्बू से कुछ ना कहना!"
नज़ीला: "हम्म्म चल ठीक है... नहीं बताती... पर उसके बदले में मुझे क्या मिलेगा...?"
सानिया: "आँटी आप जो कहेंगी मैं वो करुँगी!"
नज़ीला: "सोच ले वरना फिर ना कहना कि मैंने तुझे मौका नहीं दिया और तेरी अम्मी से तेरी शिकायत कर दी...!"
सानिया: "नहीं आँटी ऐसी नौबत नहीं आयेगी... आप जो कहेंगी मैं वो ही करुँगी..!"
नज़ीला: "तो फिर मेरी बात का सही-सही जवाब देना... ये बता तूने सुनील के साथ सैक्स किया है क्या... देख सच बोलना वरना पता लगाने के मुझे और भी तरीके आते हैं...!"
नज़ीला की बात सुन कर सानिया खामोश हो गयी। वो कुछ नहीं बोल पायी। नज़ीला ने फिर से उसे पूछा, "इसका मतलब तू उससे चुदवा चुकी है ना? बता मुझे!" सानिया ने हाँ में सिर हिला दिया।
नज़ीला: "हाय मेरे अल्लाह... तो तू हक़ीकत में उसका लंड अपनी फुद्दी मैं ले चुकी है... कब चोदी उसने तेरी फुद्दी?"
सानिया: "वो आँटी एक दिन घर पर ही..!"
नज़ीला: "अरे तो इसमें इतना शरमाने या घबराने की क्या बात है... मैं तो तेरी सहेली जैसी हूँ... खैर चल मैं तेरा फेशियल कर देती हूँ पहले फिर तू जल्दी से घर जा और कोई और बढ़िया से कपड़े और सैंडल पहन कर आ... उसके बाद तेरा मेक-अप कर दुँगी ताकि रात को जब सुनील तुझे देखे तो बस दीवाना हो जाये!"
सानिया: "रात को सुनील... मैं समझी नहीं!"
नज़ीला: "चल ठीक है तो फिर सुन.... मैंने सुनील को आज रात यहाँ बुलाया है...!"
सानिया एक दम चौंकते हुए बोली, "क्या?"
नज़ीला: "हाँ मैंने उसे बुलाया है... वो रात को नौ बजे आयेगा.... अब मुद्दे की बात करते हैं... देख तुझे तो मालूम है कि तेरे अंकल तो मेरी चूत की प्यास नहीं बुझा पाते... इसलिये मुझे भी जवान लंड की ख्वाहिश है... आज मैं भी तेरे साथ उससे अपनी चूत की आग को ठंडा करवाउँगी!"
सानिया: "ये... ये आप क्या बोल रही हो आँटी!"
नज़ीला: "वही जो तू सुन रही है... अगर तुझे मेरी बात नहीं माननी तो ठीक है... मैं कल तेरी अम्मी को सब बता दुँगी...!"
सानिया: "नहीं नहीं... प्लीज़ आप अम्मी से कुछ नहीं कहना... आप जो बोलेंगी वो मैं करुँगी..!"
नज़ीला: "वेरी गुड... चल फिर रात के लिये तैयारी करते हैं!"
फिर नज़ीला ने सानिया का फेशियल किया और सानिया कपड़े बदलने अपने घर चली गयी। सुनील उस वक़्त घर पे नहीं था क्योंकि वो खाना खाने बाहर चला गया था। इतने में नज़ीला भी नहा कर बेहद सैक्सी सलवार कमीज़ पहन कर तैयार हो गयी। उसकी कमीज़ स्लीवलेस और बेहद गहरे गले वाली थी। रुखसाना से उसे सुनील की सब पसंद-नापसंद मालूम थी तो उसने बेहद ऊँची पेंसिल हील की कातिलाना सैंडल भी पहन ली। सानिया भी अपने घर से स्लीवलेस कुर्ती और पलाज़्ज़ो सलवार के साथ अपनी अम्मी की एक ऊँची हील वाली सेन्डल पहन कर आ गयी। फिर दोनों ने खाना खाया और उसके बाद नज़िला ने सानिया का और अपना अच्छे से मेक-अप किया। आठ बजे के करीब दोनों की फुद्दियाँ लंड लेने के मचलने लगी थीं।
रात के नौ बजे रहे थे। सलील नज़ीला के बेडरूम में सो चुका था और सानिया ड्राइंग रूम में टीवी देख रही थी। नज़ीला खिड़की के पास खड़ी होकर बार-बार बाहर झाँक रही थी... पर सुनील अभी तक नहीं आया था। नज़ीला की बेकरारी बढ़ती जा रही थी। साढ़े नौ बजे तक नज़ीला ने इंतज़ार किया और फिर मायूस होकर सानिया से कहा कि लगता है कि शायद सुनील नहीं आयेगा और फिर ये कह कर सानिया को दूसरे बेडरूम में भेज दिया कि अगर सुनील आया यो वो उसे वहीं ले आयेगी।
बेकरार और मायूस होकर नज़ीला कुद ड्राइंग रूम में ही अकेली बैठ कर शराब पीने लगी। उसने महंगी शराब की बोतल का खास इंतज़ाम किया था कि सुनील के साथ बैठ कर पियेगी लेकिन अब अकेले ही शराब पीते हुए वो अपने दिल में बार-बार सुनील को कोस रही थी। अगले आधे घंटे में नज़ीला दो स्ट्रॉंग पैग पी चुकी थी और तीसरा पैग पीते हुए उसके ज़हन में सानिया को आज रात अपने साथ लेस्बियन सैक्स में शरीक करने का मंसूबा बन रहा था। इतने में उसे बाहर गेट खुलने की आवाज़ आयी। उसने उठ कर खिड़की से झाँका तो उसे सुनील गेट के अंदर सामने पार्लर की तरफ़ जाता हुआ नज़र आया। नज़ीला को शराब पीने का ज्यादा तजुर्बा नहीं था और मायूसी में आज उसने आमतौर से ज़्यादा पी ली थी तो शराब का खासा नशा छाया हुआ था और वो हाई हील की सैंडल में झूमती हुई उस दरवाजे की तरफ़ बढ़ी जो उसके ब्यूटी पार्लर में खुलता था।
नज़ीला ने ब्यूटी पार्लर का दरवाजा खोला तो सुनील पार्लर में अंदर आ चुका था। नज़ीला ने उसे ब्यूटी पार्लर का मेन-डोर अंदर से लॉक करने को कहा और फिर उसे लेकर घर के अंदर ड्राइंग रूम में आ गयी। ब्यूटी पार्लर में तो हल्की सी नाइट-लैंप की रोशनी थी लेकिन ड्राइंग रूम की ट्यूब-लाइट की रोशनी में सामने का नज़ारा देख कर सुनील के होश उड़ गये। चालीस साल की एक गदरायी हुई औरत स्लीवलेस और बेहद गहरे गले की कमीज़ और सलवार पहने खड़ी थी... उसकी कमीज़ के गहरे गले में से उसका क्लीवेज और चूचियों का काफ़ी हिस्सा साफ़ झलक रहा था... शराब और हवस के नशे में चूर नज़ीला का हुस्न और उसके पैरों में हाइ हील के कातिलाना सैंडल देखते ही सुनील का लंड पैंट में झटके खाने लगा। वो नज़ीला के करीब गया और उसके चेहरे के करीब अपना चेहरा ले जाकर सरगोशी में बोला, "आप तो चुदने के लिये पूरी तैयारी करके बैठी हो..!"
नज़ीला उसे सोफ़े पर बिठा कर शराब का पैग देते हुए बड़ी अदा से मुस्कुराते हुए बोली, "यू लक्की बास्टर्ड क्या... किस्मत पायी है तुने.... अभी तो तुझे पता ही नहीं कि मैंने और क्या-क्या तैयारी की हुई है इस रात को यादगार बनने के लिये... मुझे तो लगा कि तू आयेगा ही नहीं..!" ये कह कर नज़ीला अपना शराब का पैग लेकर सुनील की गोद में उसकी जाँघ पर बैठ गयी और अपनी एक बाँह उसकी गर्दन में डाल दी। सुनील ने भी नज़ीला की कमर में एक बाँह डालते हुए उसकी गोलमटोल चूची को जोर से दबा दिया "आआहहहस्सीईई... जान लेगा क्या मेरी..." नज़ीला जोर से सिसकी। सुनील बोला, "मेरी बाइक पंक्चर हो गयी थी इसलिये देर हो गयी... वैसे मुझे भी तो पता चले कि आपने और क्या-क्या तैयारी कर रखी है... शराब और शराब के नशे में चूर शबाब तो मरे सामने है ही!"
नज़ीला शराब का घूँट पीते हुए अदा से बोली, "बताऊँ?" तो सुनील ने कहा कि "हाँ बताओ ना!" नज़ीला बेहद कातिलाना अंदाज़ में मुस्कुराते हुए बोली, "मेरी चूत के अलावा अंदर एक और चूत सज संवर कर तेरे लंड का इंतज़ार कर रही है..!"
"क्या.. कौन?" सुनील चौंकते हुए बोला। उसे लगा कि हो सकता है शायद रुखसाना वापस आ गयी है।
नज़ीला कमीनगी से मुस्कुराते हुए रसभरी आवाज़ में बोली, "सानिया और कौन... श्श्श अब तू सोच रहा होगा कि मुझे कैसे मालूम ये सब कैसे हुआ... है ना? तो चल मैं ही बता देती हूँ... आज जब तू घर आया था तब मैंने खिड़की से सब देख लिया था... कैसे तू उसकी चूत को मसल रहा था... फिर मैंने सानिया को ज़रा धमकाया कि मैं उसकी शिकायत रुखसाना से कर दुँगी... और उसे कबूल करने पर मजबूर कर दिया..!" नज़ीला की बात सुनकर सुनील समझ गया कि ये चुदक्कड़ औरत अपनी सहेली रुखसाना के विपरीत बिल्कुल बिंदास किस्म की है। "अच्छा... जितना मैं सोचता था... आप तो उससे कहीं ज्यादा चालाक हो... बहुत चालू चीज़ हो आप!" सुनील हंसते हुए बोला तो नज़िला ने कहा, "अरे चालू नहीं हूँ मैं... अब क्या करूँ मेरी ये चूत लंड के लिये तड़पती है... बस चूत के हाथों मजबूर हूँ... वैसे तू भी कम चालू नहीं है... दोनों माँ-बेटी को अपने लंड का दीवाना बना रखा है तूने... चल पैग खतम कर... अंदर चलते हैं.... सानिया भी तुझसे चुदने के लिये मरी जा रही है...!"
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