vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
06-24-2019, 12:19 PM,
#48
RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
इससे पहले आज तक उसकी चूत में मोमबत्ती, हेयर-ब्रश का हैंडल, खीरा-बैंगन-केला वगैरह जैसी बेजान चीज़ें ही घुसी थीं लेकिन सुनील के इतने मोटे लंड का मोटा सुपाड़ा जैसे ही सानिया की चूत के अंदर घुसा तो दर्द के मारे सानिया एक दम से तड़प उठी। उसकी साँसें अटक गयीं और मुँह ऐसे खुल गया जैसे उसकी साँस बंद हो गयी हों... आँखें एक दम से पत्थरा गयीं। 'गच-गच' फिर से दो बार और ये आवाज़ आयी और साथ ही सुनील का पूरा का पूरा लंड सानिया की चूत की गहराइयों में उतर गया। "आअहहहह याआआलाहहहह ओहहहह..." सानिया एक दम से चिल्ला उठी। लेकिन अगले ही पल सुनील ने उसकी टाँगें अपने कंधों से उतार दीं और आगे झुक कर सानिया के रसीले गुलाब की पंखुड़ियों जैसे नाजुक होंठों को अपने होंठों में भर लिया और उसके होंठों को अपने दाँतों से हल्का सा चबाते हुए चूसना शुरू कर दिया। गरम जवान लड़की के होंठ और चूत दोनों पा कर सुनील एक दम मस्त हो चुका था। "बस मेरी जान बस हो गया..!" सुनील ने ये कहते हुए फिर से सानिया के होंठों को चूसना शुरू कर दिया... ताकि वो चींख भी ना सके और फिर अपने मोटे मूसल जैसे लंड को अंदर-बाहर करने लगा। सानिया ने दर्द के मारे सुनील के कंधों पर अपने नाखून गड़ा दिये पर सुनील को कोई फ़र्क़ नहीं पढ़ा। वो अपना मूसल जैसा लंड उस जवान लड़की की चूत में पागलों की तरह पेलने लगा। सुनील नहीं रुका पर सानिया का दर्द अब धीरे-धीरे कमतर होने लगा था। उसकी चूत अब फिर से पानी छोड़ने लगी थी। लंड के सुपाड़े की तंग चूत की दीवारों पर हर रगड़ सानिया को जन्नत की ओर ले जने लगी। पाँच मिनट बाद ही सानिया ने मस्ती में आकर सिसकना शुरू कर दिया और वो भी धीरे-धीरे अपनी गाँड को ऊपर की ओर उछालने लगी। ये देख कर सुनील ने अपना लंड बाहर निकल कर एक झटके में उसे कुत्तिया की तरह घुटनों पर कर दिया और फिर पीछे से अपना मूसल लंड उसकी चूत में पेल दिया। फिर क्या था सुनील के जबरदस्त झटकों से उसका लंड सानिया की चूत के अंदर-बाहर होने लगा।

सुनील की माँसल जाँघें सानिया के चूतड़ों से टकरा कर 'थप-थप' की आवाज़ करने लगी। सुनील ने अपना लंड अंदर-बाहर करते हुए सानिया के दोनों चूतड़ों को फैला दिया और उसकी चूत के पानी से भीगे उसकी गाँड के छेद को अपनी उंगली से कुरेदने लगा। सानिया का पूरा जिस्म एक दम से काँप गया। बेजान चीज़ों से खुद-लज़्ज़ती के मुकाबले असल लंड से चुदवाने में इतना मज़ा आता है... ये आज सानिया को एहसास हो रहा था और वो भी सिसकते हुए सुनील के लंड को अपनी चूत की गहराइयों में महसूस कर रही थी। सानिया का पूरा जिस्म ऐंठने लगा था। उसे अपने जिस्म का सारा लहू चूत में इकट्ठा होता हुआ महसूस होने लगा। "ओहहहह सुनील येऽऽऽ मुझेऽऽऽ क्याआआ कर दियाआआ तुमनेऽऽऽ ऊउहहह हाआआय मैं पागल.... ओहहहह सुनील!"

"क्यों क्या हुआ मेरी जान... मज़ा नहीं आ रहा क्या?" सुनील ने पूछा तो सानिया सिसकते हुए बोली, "आआआहहह ऊँऊँहहह बहोत आ रहा है..!" सुनील ने पूछा, "और मारूँ क्या?" "हुम्म्म्म्म!" सानिया सिसकी। सुनील ने अपने झटकों की रफ़्तार और बढ़ा दी। अब सुनील का लंड सानिया की तंग चूत में पूरी रफ़्तार से अंदर-बाहर हो रहा था और फिर सानिया का जिस्म एक दम अकड़ने लगा। चूत का सैलाब बाहर जलजला बन कर बह निकला और उसका पूरा जिस्म झटके खाते हुए झड़ने लगा। सुनील भी उसकी गरम तंग चूत में ज्यादा देर नहीं टिक पाया और उसके चूत के अंदर ही उसके लंड ने वीर्य के बौंछार कर दी।

सानिया झड़ने के बाद बुरी तरह हाँफ रही थी। सुनील ने जैसे ही अपना लंड सानिया की चूत से बाहर निकाला तो सानिया आगे के तरफ़ लुढ़क कर उस तिरपाल पर लेट गयी और गहरी साँसें लेने लगी। सुनील कुछ देर वैसे ही घुटनों के बल बैठा रहा और सानिया के नरम और माँसल चूतड़ों को सहलाता रहा। अपनी साँसें कुछ दुरुस्त होने के बाद जैसे ही उसे अपने चूतड़ों पर सुनील का हाथ फिरता हुआ महसूस हुआ तो वो उठ कर बैठ गयी। उसने शर्माते हुए एक बार सुनील के तरफ़ देखा और फिर नीचे अपनी रानों में देखा तो उसकी चूत की फ़ाँकें उसकी चूत के गाढ़े पानी और सुनील की मनी से सनी हुई थी। सानिया शर्माते हुए बोली, "ये तुमने ठीक नहीं किया सुनील... मैं भी तुम्हारी बातों से बहक गयी!"

सुनील बोला, "अरे क्यों घबरा रही हो मेरी जान... यही तो जवानी के मज़े लूटने के दिन हैं... मैं तुम्हारा ख्याल रखुँगा ना... चलो इसे साफ़ कर लो!" "किससे साफ़ करूँ...?" सानिया ने पूछा तो सुनील ने सानिया की पैंटी उठायी और उसी से अपना लंड साफ़ करने लगा। ये देखकर सानिया एक दम से बोल पढ़ी, "अब मैं क्या पहनुँगी..?" सुनील ने हंसते हुए अपने लंड को साफ़ किया और फिर वो पैंटी सानिया की तरफ़ बढ़ाते हुए बोला, "क्यों कैप्री तो है ना... किसी को नहीं पता चलता... मैं तुम्हें घर वाली गली के बाहर छोड़ दुँगा... वहाँ से तुम पैदल चली जाना!" सानिया ने सिर झुकाये हुए सुनील के हाथ से पैंटी ली और अपनी चूत और रानों को ठीक से साफ़ किया। सानिया उसके सामने बेहद शरमा रही थी। सानिया की गोरी चिकनी जाँघें और चूत देख कर एक बार फिर से सुनील का लंड झटके खाने लगा था। उसने अभी तक अंडरवियर और पैंट नहीं पहनी थी। सुनील का लंड फिर से खड़ा होने लगा था। तभी अचानक सानिया की नज़र सुनील के झटके खा रहे लंड पर गयी जिसे देखते ही उसके दिल की धड़कने फिर से बढ़ने लगी। सानिया एक दम से खड़ी हो गयी और थोड़ा आगे खड़ी हो कर अपनी कैप्री पहनने के बाद अपनी कुर्ती पहन कर उसके हुक बंद करने लगी। सुनील सानिया की कैप्री में मटकते हुई उसके गोलमटोल चूतड़ों को देख कर पगल हो उठा। उसने जल्दी से अपनी अंडरवियर और पैंट पहनी पर उसे जाँघों तक चढ़ा कर छोड़ दिया और फिर अपनी पैंट को पकड़ कर सानिया के ठीक पीछे आकर खड़ा हो गया। सुनील ने उसे पीछे से बाहों में भर लिया और उसकी लंबी सुराहीदार गर्दन पर अपने होंठों को लगा दिया। सानिया एक दम से चौंक गयी और सुनील की बाहों से निकलने की कोशिश करने लगी पर सुनील के होंठों की तपिश अपनी गर्दन पर महसूस करके वो एक दम से बेजान से हो गयी। "ऊँऊँहहह क्या क्या कर रहे हो तुम्म्म!"

"कुछ नहीं अपनी जान को प्यार कर रहा हूँ!" सुनील ने अपने होंठों को सानिया की गर्दन पर रगड़ते हुए कहा। "ऊँऊँहहह बस करो.. कोई देख लेगा आहहह...!" सानिया सिसकी तो उसकी कुर्ती के ऊपर से उसकी चूचियों को मसलते हुए सुनील बोला, "हुम्म्म यहाँ कोई नहीं देखेगा... प्लीज़ मेरी जान मुझसे रहा नहीं जा रहा आज... तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो... प्लीज़ एक बार और दे दो ना..?" सुनील लगातार सानिया की चूचियों को मसलते हुए उसकी गर्दन और गाल पर अपने होंठों को रगड़ रहा था और सानिया भी मस्त होती जा रही थी। "प्लीज़ जान एक बार और दे दो ना..!"

"क...क...क्या...?" सानिया ने लड़खड़ाती हुई आवाज़ में पूछा। "ऊम्म्म फुद्दी... तुम्हारी फुद्दी चाहिये!" सुनील बोला तो सानिया मस्ती में भर कर बोली, "हाय अल्लाहहहह... कैसी बातें करते हो तुम!" सुनील बोला, "प्लीज़ जान मेरे लिये इतना भी नहीं कर सकती... प्लीज़ एक बार... तुम्हें मज़ा नहीं आया क्या!" ये कहते हुए सुनील ने आगे की तरफ़ नीचे हाथ ले जाकर कैप्री का बटन खोल कर सानिया की कैप्री नीचे सरकानी शुरू कर दी। सानिया की कैप्री को उठा कर उसके घुटनों के नीचे सरका दिया और फिर अपनी टाँगों को फैला कर अपने घुटनों को मोड़ते हुए नीचे झुका और सानिया के कान में धीरे से बोला, "सानिया खोलो ना...!" सानिया ने लड़खड़ाती हुई आवाज़ में पूछा, "क्या?"

सुनील बोला, "अपनी टाँगें खोलो ना!" सानिया सिसकते हुए फुसफुसा कर धीरे से बोली, "ऊँम्म... कुछ हो गया तो..!" सुनील फिर उसकी गर्दन पे अपने होंठ रगड़ते हुए बोला, "मैं भला अपनी जान को कुछ होने दुँगा... प्लीज़ सानिया एक बार और कर लेना दो ना... तुम्हें मेरी कसम..!" सानिया सुनील की प्यार भरी चिकनी चुपड़ी बातें सुन कर एक दम से पिघल गयी। उसने लरजते हुए टाँगों में फंसी अपनी कैप्री को अपने पैरों मे गिरा दिया और फिर उसमें से एक पैर निकाल कर खड़े-खड़े अपनी टाँगें फैला दी। सुनील ने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर सानिया की गाँड से नीचे ले जाते हुए उसकी चूत की फ़ाँकों पर रख कर अपने लंड के सुपाड़ा को सानिया के चूत के छेद पर टिकाने की कोशिश करने लगा पर खड़े-खड़े उसे सानिया की चूत के छेद तक अपना लंड पहुँचाने में परेशानी हो रही थी।

"सानिया तुम्हारी फुद्दी के छेद पर लंड लगा क्या?" सुनील ने पूछा। "ऊँम्म्म मुझे नहीं मालूम..!" सानिया बोली। "बताओ ना..!" सुनील ने फिर पूछा तो सानिया ने कसमसाते हुए कहा, "नहीं..!" सानिया की चूत की फ़ाँकों में अपने लंड को रगाड़ कर छेद को तलाशते हुए सुनील ने फिर पूछा, "अब..?" सानिया ने फिर से ना में गर्दन हिला दी और सुनील ने फिर से अपने लंड को एडजस्ट किया और जैसे ही सुनील के लंड का दहकता हुआ सुपाड़ा सानिया की चूत के छेद से टकराया तो सानिया के पूरे जिस्म ने एक तेज झटका खाया। उसके होंठों पर शर्मीली मुस्कान फैल गयी और उसने अपने सिर को झुका लिया। सुनील ने पुछा, "अब?" सानिया ने हाँ में सिर हिलाते हुआ कहा, "हुँम्म्म्म!"
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