RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
सुनील बोला, “अब मैं कैसे कहूँ... वो कह रहे थे कि तुम्हारे ये दोनों पहले से ज्यादा बड़े हो गये हैं!” सुनील ने अपनी आँखों से सानिया की टॉप में कैद... कसे हुए मम्मों की तरफ़ इशारा किया तो सानिया का चेहरा शरम से लाल हो गया। उसने अपनी नज़रें नीचे झुका ली। सुनील थोड़ी देर चुप रहा और फिर बोला, “और बताऊँ वो और क्या कह रहे थे...?” सानिया का दिल धक-धक करने लगा कि ना जाने अब सुनील उसे क्या बोल दे.... साथ ही चूत की धुनकी भी बजने लगी। “हाँ बताओ!” सानिया ने शर्माते हुए हाँ में सिर हिला दिया। सुनील को समझते देर ना लगी कि मुर्गी कटने के लिये बेताब हो रही है। सुनील खिसक कर सानिया के और करीब बैठ गया। उसकी जाँघें सानिया की जाँघों से सटने लगी तो सानिया के जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गयी। सुनील बोला, “पता है वो तुम्हारे बारे में और क्या कह रहे थे..!” फिर थोड़ी देर खामोश रहने के बाद वो बोला, “वो कह रहे थे कि जरूर तुम्हारी झाँटें भी आ गयी होंगी!”
ये सुनते ही सानिया का दिल जैसे धड़कना ही भूल गया हो... साँसें जैसे हलक में ही अटक गयी हो... शरम और हया की जैसे कोई इंतेहा नहीं थी... पर अब वो क्या बोलती। सुनील के मुँह से ऐसे अल्फ़ाज़ सुन कर उसका पूरा जिस्म काँप गया था। उसने खुद को नादान दिखने का नाटक करते हुए पूछा, “ये क्या होती है...?” सुनील ने जब पूछा कि “तुम्हें नहीं पता झाँटें क्या होती है..?” तो सानिया ने इंकार में सिर हिला दिया। सुनील बोला, “अब मैं तुम्हें कैसे बताऊँ... देखोगी?”
सानिया का दिल ज़ोरों से धड़कने लगा। सुनील भी जान चुका था कि ये लड़की भी मस्ती करने के मूड में आ चुकी है और नादान बनने का सिर्फ़ नाटक कर रही है। सानिया के जवाब का इंतज़ार किये बिना सुनील खड़ा हुआ और इधर-उधर देखते हुए अपनी पैंट की ज़िप खोल दी। सान्या का दिल तो पहले ही जोर-जोर से धक-धक कर रहा था और अब हाथ-पैर काँपने लगे थे। सुनील ने ज़िप खोल कर अपने अंडरवियर के छेद को खोल कर अपने लंड को बाहर निकल लिया। सानिया ने सिर झुका रखा था इसलिये वो सुनील का लंड नहीं देख पा रही थी। फिर सुनील ने अपनी कुछ झाँटों को बाहर निकाला और सानिया के पास आकर उसके ठीक सामने खड़ा हो गया और अपनी काली झाँटों को हाथ से पकड़ कर दिखाते हुए बोला, “ये देखो... इसे कहते हैं झाँट!” सानिया को ऐसी उम्मीद नहीं थी कि उसके ये कहने पर कि वो नहीं जानती कि झाँट क्या होती है... सुनील अपना लंड ही निकाल कर उसे दिखा देगा। जैसे ही सानिया ने सुनील की तरफ़ नज़र उठायी तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं। उसकी आँखों के सामने सुनील का साढ़े-आठ इंच लंबा और बेहद मोटा लंड था। सुनील अपने लंड को अपनी मुट्ठी में भर कर हिलाते हुए बोला, “ये देखो... इसे कहते है लौड़ा... और ये बाल देख रही हो... इसे कहते झाँट!”
सानिया बोली, “हाय तौबा ये तुम क्या कर रहे हो..!” सानिया ने फिर से नज़रें झुका ली पर आठ इंच के तने हुए अनकटे लौड़े को देख कर उसकी पैंटी के अंदर जवान चूत में धुनकी बजने लगी थी और चूत की फ़ाँकें फड़फड़ाने लगी थी। सुनील एक बार मुस्कराया और उसने अपने लंड को अंदर कर लिया। “क्यों अच्छा नहीं लगा?” सुनील ने फिर से सानिया के पास बैठते हुए पूछा। “तुम बहोत बेशर्म हो...” सानिया ने नज़रें झुकाये हुए शर्माते हुए कहा। सुनील ने पूछा, “क्यों क्या हुआ?” तो सानिया बोली, “ऐसे भी कोई करता है क्या..?” सुनील बोला, “तुमने ही तो कहा था कि तुम्हें नहीं पता झाँट किसे कहते हैं... वैसे एक बात कहूँ... बुरा तो नहीं मानोगी..?” सानिया का दिल अब और गुदगुदा देने वाली जवानी के रस से भरपूर बातें सुनने का कर रहा था। “अभी तक मैंने तुम्हारी किसी बात का बुरा माना है क्या?” सानिया का जवाब सुन कर सुनील मुस्कुरा उठा, “वैसे तुम्हारी गाँड पर सच में बहुत माँस चढ़ा है... बहुत मस्त और मोटी है!” सानिया सुनील के मुँह से ऐसी बात सुन कर एक दम से चौंक गयी, “हाय तुम ऐसी बात ना करो मुझे शरम आती है... मैं ऐसी बातें नहीं करती..!”
सुनील बोला, “अच्छा वैसे तुम्हारी मस्त गाँड देख कर मुझे सुहाना की याद आ जाती है!” “ये सुहाना कौन?” सानिया ने पूछा। “वही जिसके बारे में थोड़ी देर पहले तुम्हें बताया था... क्या मस्त गाँड थी उसकी... बिल्कुल तुम्हारी तरह... बाहर को निकाली हुई... हाइ हील की सैंडल पहन कर जब वो गाँड निकाल कर चलती थी तो दिल करता था कि उसकी गाँड को पकड़ कर मसल दूँ... जब मैं उसकी मारता था तो साली की गाँड से पादने जैसी आवाज़ आने लगती थी..!” हालाँकि सानिआ को सुनील की बातों में बेहद मज़ा आ रहा था लेकिन फिर भी शराफ़त का नाटक करती हुई बोली, “हाय अल्लआह ये तुम क्या बोल रहे हो... तुम्हें तो किसी लड़की से बात करना ही नहीं आता... बहोत गंदा बोलते हो तुम..!” सुनील ने कहा, “अब ये क्या बात हुई... मैंने कहा तो था कि मुझे ऐसे ही बोलना आता है... और मैंने सच में आज तक किसी लड़की से बात नहीं की जो मुझे पता चलता कि किसी लड़की से कैसे बात करते हैं!” सानिया बोली, “पर ऐसे भी नहीं बोलना चाहिये तुम्हें!” उसकी बात पर ध्यान ना देते हुए सुनील बोला, “अच्छा एक बात कहूँ तो मानोगी?”
“क्या..?” सनिया ने पूछा तो सुनील बोला, “पहले बताओ कि मानोगी?” सानिया ने हाँ मैं सिर हिला दिया। सुनील का आठ इंच का तन्नाया हुआ मोटा अनकटा लौड़ा देख कर उसकी चूत की तो पहले से धुनकी बज रही थी। “तुम भी मुझे अपनी झाँटें दिखाओ ना!” सुनील की ये बात सुनते ही सानिया के एक दम होश उड़ गये... वो बुत सी बनी उसको देखने लगी। “क्या हुआ सानिया... प्लीज़ दिखाओ ना... देखो अगर तुम मुझे अपना दोस्त मानती हो तो प्लीज़ दिखा दो ना... तुमने भी तो मेरी देख ली है... बोलो तुम मुझे अपना दोस्त नहीं मानती... मानती हो ना?” सानिया ने हाँ मैं सिर हिला दिया। सुनील बोला, “तो फिर दिखाओ ना..!” सानिया बोली, “अगर किसी को पता चल गया तो..?”
“नहीं चलता किसी को पता... तुमने मेरी देखी... किसी को पता चला... तुमने तो मेरा लौड़ा भी देख लिया है!” सानिया को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे और क्या ना करे। सुनील के लिये तो वो कितने दिनों से तड़प रही थी लेकिन उसे उम्मीद नहीं थी कि पहली ही डेट पे बात यहाँ तक पहुँच जायेगी। “अगर तुमने ने किसी को बता दिया तो..?” सानिया ने अपना शक ज़ाहिर करते हुए कहा तो सुनील बोला, “अब भला मैं क्यों बताने लगा... प्लीज़ दिखा दो ना... अपने दोस्त की इतनी सी भी बात नहीं मान सकती चलो मत दिखाओ... मैं आगे से तुम्हें कुछ नहीं कहुँगा...!” सुनील ने फिर से उसे जज़्बाती तौर पे ब्लैकमेल किया। “पक्का किसी को पता तो नहीं चलेगा ना?” सानिया बोली तो सुनील बेंच से खड़ा हो गया और इधर-उधर देखते हुए बोला, “मुझ पर भरोसा रखो... किसी को नहीं पता चलेगा..!”
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