RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
सुनील ने इसी तरह वहशियाना ढंग से रुखसाना का मुँह अपने लौड़े से चोदना शुरू कर दिया। वो बीच-बीच में धक्के ज़रा धीमे कर देता ताकि रुखसाना साँस ले सके और फिर ज़ोर-ज़ोर से रुखसाना के हलक तक धक्के मारने लगता। रुख़्साना के मुँह से ठुड्डी तक लार बह कर नीचे टपकने लगी। रुखसाना को सुनील का लंड अपने हलक के नीचे उतरता हुआ महसूस हो रहा था और बार-बार साँस घुटने से उसके मुँह से गों-गों की आवाज़ें आ रही थीं लेकिन फिर भी सुनील का वहशियानापन कहीं ना कहीं रुखसाना की हवस भड़का रहा था। फिर सुनील अचानक अपना लौड़ा रुखसाना के होंठों से हटाते हुए बोला, “उतारो... भाभी!” रुखसाना ने राहत की साँस लेते हुए चौंक कर सवालिया नज़रों से उसकी तरफ़ देखा तो सुनील ने हल्की सी मुस्कुराहट के साथ फिर से कहा, “अपनी सलवार उतारो..!” रुखसाना तो शराब के नशे की खुमारी और चुदासी मस्ती के आलम में थी... उसकी भीगी चूत सुनील का बिला-कटा लंड लेने के लिये मचमचा रही थी। रुखसाना ने वैसे ही बैठे-बैठे अपनी कमीज़ के नीचे हाथ डाल कर अपनी सलवार का नाड़ा खोलना शुरू कर दिया। रुखसाना ने सलवार का नाड़ा खोलते हुए एक बार नज़र उठा कर सुनील की आँखों में देखा और फिर अपनी सलवार उतार कर बेड के एक तरफ़ रख दी। उसने जानबूझ कर पैंटी नहीं पहनी हुई थी। सुनील ने नीचे झुक कर उसकी टाँगों को पकड़ कर ऊपर उठा दिया जिसकी वजह से रुखसाना बेड पर पीछे की तरफ़ लुढ़क गयी। सुनील ने फिर उसे टाँगों से घसीट कर बेड पर सीधा लिटा दिया और उसकी टाँगों को खोल कर जाँघों के बीच में आ गया। उसने अपने लंड को एक हाथ से पकड़ा और रुखसाना की चूत की फ़ाँकों पर रगड़ते हुए अपनी एक उंगली को उसकी चूत के छेद के बीच में घुसा कर बोला, “भाभी आपकी चूत तो पहले से ही लार टपका रही है!”
सुनील की बात सुन कर रुखसाना ने मुस्कुराते हुए उसकी चौड़ी छाती में मुक्का झड़ दिया, “इसका तो शाम से ही ये हाल है... पर तुझे क्या फ़र्क पड़ता है... हरजाई कहीं का!” रुखसाना के जवाब में सुनील बोला, “तो ये लो भाभी मेरी जान!” और अपना लंड रुखसाना की चूत में एक धक्के के साथ पेल दिया। “आआआऊऊऊहहहह याल्लाआआहहहह ऊऊहहहह आहहहहह” रुखसाना जोर से सिसकते हुए सुनील से चिपक गयी। सुनील ने झुक कर उसके होंठों को अपने होंठों में भर लिया और तेजी से अपने लंड को अंदर-बाहर करते हुए रुखसाना के होंठों को चूसने लगा। रुखसाना मस्ती के समंदर में गोते खाते हुए सुनील के नीचे मचल रही थी और वो लगातार अपना मूसल उसकी चूत में चला रहा था। रुखसना को अपनी चूत की दीवारों पे सुनील के लंड की रगड़ इंतेहाई लज़्ज़त दे रही थी। रुखसाना के हाथ खुद-ब-खुद सुनील की पीठ पर कसते चले गये। उसने अपनी टाँगें उठा कर सुनील की गाँड के नीचे लपेट कर कैंची की तरह कस दीं और उसकी खुद की गाँड बेकाबू होकर अपने आप ऊपर की और उछलने लगी। करीब दस मिनट की धुंआधार चुदाई में ही रुखसाना मस्ती के सातवें आसमान पे उड़ने लगी और फिर उसकी चूत में तेज सिकुड़न होने लगी और उसकी चूत ने सुनील के लंड के टोपे को चूमते हुए उस पर अपना प्यार भरा रस लुटाना शुरू कर दिया। सुनील भी चंद और झटकों के बाद रुखसाना की चूत में ही झड़ने लगा। झड़ने के बाद रुखसाना को बेहद सकुन मिल रहा था। शाम से जिसके लिये वो तड़प रही थी... उस लौड़े ने दस मिनट में रुकसाना को दुनिया भर की जन्नत की सैर करवा दी थी।
उसके बाद देर रात तक दोनों चुदाई के मज़े लूटते रहे। सुनील ने रुखसाना की गाँड भी मारी और फिर पहली दफ़ा सुनील ने रुखसाना की गाँड में से निकला गंदा लंड उससे चुसवाया। दरसल सुनील ने उसकी गाँड मारने के फ़ौरन बाद अपना गंदा लंड अचानक ही रुखसाना के मुँह में दे दिया। नशे और मस्ती के आलम में पहले तो रुखसाना को एहसास नहीं हुआ और जब उसे एहसास हुआ तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी और वो अपने मुँह में चूसते हुए उसपे ज़ुबान फिरा कर चुप्पे लगाते उसका गंदा लंड पुरी तरह चाट चुकी थी। आखिर में दोनों बिल्कुल नंगे एक दूसरे के आगोश में लेट कर सो गये। रात के तीन बजे के करीब रुखसाना की आँख खुली तो उसने देखा कि सुनील गहरी नींद में सोया हुआ था। कमेरे में ट्यूब लाइट अभी भी चालू थी। रुखसाना को पेशाब भी लगी थी तो उसने बिस्तर से उतर कर सिर्फ़ अपनी कमीज़ पहन ली। फिर सुनील के नंगे जिस्म और मुर्झाये हुए लंड को उसने एक बार प्यार भरी नज़र से देखा और फिर लाईट बंद करके कमरे से बाहर निकल गयी। शराब के नशे की खुमारी अभी भी छायी हुई थी तो रुखसाना झूमती हुई हाई पेन्सिल हील के सैंडलों में आहिस्ता-आहिस्ता सीढ़ियाँ उतर कर अपने कमरे में आयी और बाथरूम में जा कर पेशाब करने के बाद उसी हालत में अपने बेड पर आकर लेट गयी। भले ही वो हवस के नशे में और जिस्मानी सुकून के लिये ये सब कुछ कर रही थी पर दिल के एक कोने में उसे ये ख्याल आ रहा था कि यही उसका वजूद है... वो जिस्मानी रिश्ते के साथ-साथ कहीं ना कहीं सुनील में अपनी मोहब्बत भी ढूँढ रही थी पर उसे एहसास हो गया था कि सुनील के लिये शायद वो सिर्फ़ सैक्स और मौज मस्ती करने की जरूरत है। वो सोच रही थी कि क्या सुनील उसे सिर्फ़ उसके हसीन जिस्म के लिये चाहता है... और वो खुद भी क्या से क्या बन गयी है.... वो खुद भी तो सुनील के ज़रिये अपनी हवस की आग बुझा रही है... एक शादीशुदा औरत होकर भी वो आधी रात को अपने से आधी उम्र से भी कम जवान हिंदू लड़के के कमरे में जाकर खुद अपने कपड़े उतार के नंगी होके अपनी टाँगें और चूत खोल कर शराब के नशे में उससे चुदवाती है... उससे गाँड मरवाती है... अपनी गाँड में से निकला उसका गंदा लंड चाट कर चुप्पे लगाती है... बेहयाई से खुल कर गंदी- गंदी अश्लील बातें और गालियाँ बोलती है...! लेकिन इसमें गलत भी क्या है... उसका शौहर तो उसे छोड़ कर अपनी भाभी का गुलाम बना हुआ है... इतने सालों से वो अपनी हसरतों का गला घोंटती रही थी पर जब से सुनील से रिश्ता बना है उसकी ज़िंदगी कितनी खुशगवार हो गयी है... यही सब उधेड़बुन उसके दिमाग में चल रही थी कि पता नहीं कब उसे नींद आ गयी।
सुबह सात बजे रुखसाना उठी और खुद तैयार होकर नाश्ता तैयार करने लगी। इतने में सानिया भी आ गयी और वो भी कॉलेज जाने के लिये जल्दी से तैयार हुई। फिर तीनों ने एक साथ नाश्ता किया। जैसे ही सुनील नाश्ता करके उठा तो उसने सानिया से पूछा, “तुम्हें कॉलेज जाना हो तो छोड़ दूँ..?” सानिया ने सुनील की बात सुनते ही रुखसाना की तरफ़ देखा तो रुखसाना ने रज़ामंदी में सिर हिला दिया। सानिया ने अपना बैक-पैक कंधे पे लटकाया और फिर वो सुनील की बाइक के पीछे बैठ कर चली गयी। दर असल अब सुनील सानिया को अपने नीचे लिटाने की फ़िराक़ में था जिसका रुखसाना को अंदाज़ा नहीं था।
उस दिन जब दोनों बाइक पर निकले तो सानिया के दिमाग में उस शाम की बातें घूम रही थी जब सुनील ने उसे कहा था कि उसके कॉलेज के लड़के उसे देख कर गंदे-गंदे कमेंट्स कर रहे थे। सानिया जवान थी और उसकी चूत में खूब चुलचुलाहट होती थी। सान्या ने सुनील के बाइक पीछे बैठे हुए पूछा, “उस दिन तुमने ये क्यों कहा था कि वो लड़के जो भी मेरे बारे में गंदे कमेंट्स कर रहे थे... वो सही है... क्या मैं तुम्हें ऐसी लड़की लगती हूँ...?”
सुनील बोला, “नहीं-नहीं... मेरा मतलब वो नहीं था...!”
“तो फिर तुम्हारा मतलब क्या था... अगर कोई बोले कि मैं चालू लड़की हूँ तो तुम सच मान लोगे..?” सानिया ने नाराज़गी ज़ाहिर की तो सुनील बोला, “नहीं बिल्कुल नहीं... मैं किसी की कही हुई बातों पर यकीन नहीं करता..!”
“फिर तुमने क्यों कहा कि वो लड़के जो भी कह रहे थे सच कह रहे थे...?” सनिया बोली। “हाँ सच कह रहे थे... वो तुम्हारे जिस्म के बारे में कुछ गलत शब्द इस्तेमाल कर रहे थे... पर उन्होंने जो भी तुम्हारे फ़िगर के बारे में कहा... एक दम सच कहा था..!” सुनिल ने कहा तो सानिया उसकी बात सुन कर थोड़ा शरमा गयी। दोनों में से कुछ देर कोई भी कुछ ना बोला। सान्या का दिल जोरों से धड़क रहा था। उसका दिल बार-बार गुदगुदा रहा था। “वैसे क्या बोल रहे थे वो कमीने मेरे बारे में...?” सानिया का दिल अब सुनील से अपने बारे में सुनने को बेचैन होता जा रहा था। “वो कमीने जो भी बोल रहे थे उसे छोड़ो... मैं नहीं बता सकता!” सुनील बोला। “क्यों..?” सानिया ने पूछा तो सुनील बोला, “क्योंकि इस तरह तो मैं भी कमीना हुआ ना?”
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