RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
उस दिन जब सुनील रात को घर आया तो रुख़साना घर पे अकेली थी सानिया को नज़ीला अपने साथ अपने घर ले गयी थी क्योंकि उसका शौहर और बेटा नज़ीला के ससुर के पास गये हुए थे। इसलिये वो सानिया को अपने साथ ले गयी थी और सानिया को आज रात वहीं सोना था। इधर फ़ारूक़ भी दो-तीन दिनों के लिये अपने डिपार्टमेंट के काम से हाजीपुर हेडक्वार्टर ऑफ़िस गया हुआ था। इसलिये रूख़साना बेहद खुश थी कि आज तो पूरी रात वो सुनील के साथ खुल कर मज़े कर सकेगी। सानिया और नज़ीला के जाने के बाद रुखसाना बहुत अच्छे से तैयार हुई थी। उसने दो दिन पहले ही खरीदा नया जोड़ा पहना था... बेहद गहरे सब्ज़ रंग की सिल्क की स्लीवलेस कमीज़ जिसपे सुनहरे धागे और क्रिस्टल की कढ़ाई थी और झीनी जारजेट की प्रिंटिड काली सलवार जिसमें नीचे लाइनिंग लगी थी... सिर्फ़ एक हाथ में हरी चूड़ियाँ और पैरों में मेल खाते गोल्डन रंग के बेहद ऊँची पेंसिल हील वाले खूबसूरत प्लेटफॉर्म सैंडल। सुनील ने घर में दाखिल होते ही हर रोज़ की तरह रुक्खसाना की खूबसूरती और उसके लिबास की तारीफ़ की और घर में कोई और नज़र नहीं आया तो रुखसाना को आगोश में लेकर उसके होंठों पे एक चुम्मी देकर फ्रेश होने ऊपर चला गया।
फ्रेश होकर थोड़ी देर के बाद नीचे खाने के लिये आया तो रुख्साना ने मानी-खेज़ मुस्कुराहट के साथ उसे बताया कि आज सानिया नज़ीला भाभी के घर पर है और रात को भी वहीं सोयेगी... और फ़ारूक भी टूर पे गया है... तो ये सुन कर सुनील का कोई खास रीऐक्शन ना देख कर रुखसाना को बेहद हैरानी हुई। जब से सानिया नज़ीला के घर गयी थी तब से ये सोच-सोच कर कि आज वो और सुनील फिर से घर में बिल्कुल अकेले हैं और सुनील जरूर उसे शराब पिलाकर फ़ुर्सत से उसकी फुद्दी और गाँड मारेगा और जन्नत की सैर करवायेगा... रुखसाना का बुरा हाल था। चूत शाम से चुलचुला रही थी पर सुनील आज जैसे किसी और ही दुनिया में था। सुनील ने चुपचाप खाना खाया और रुखसाना को बस आगोश में लेकर चूमते हुए गुड-नाईट कह कर ऊपर चला गया। दर असल सुनील थका हुआ था क्योंकि पिछली रात मुश्किल से चार-पाँच घंटे ही सोया था और नफ़ीसा और रशिदा ने उसे पूरी रात बिल्कुल निचोड़ कर रख दिया था। लेकिन रुखसाना तो इस बात से अंजान थी। उसने सोचा था कि जब सुनील को पता चलेगा कि आज वो दोनों अकेले हैं तो वो खुद को रोक नहीं पायेगा और उसे अपनी बाहों में कसके पूरी रात खूब प्यार करेगा... खूब चोदेगा... पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।
सुनील के ऊपर जाने के बाद रुखसाना ने मायूस होकर किचन संभाली और अपने बेडरूम में चली गयी। पर रुख्साना का बुरा हाल था... उसका पूरा जिस्म सुलग रहा था... दिल चाह रहा था कि सुनील अभी आकर उसे बाहों में जकड़ कर उसके जिस्म को पीस दे... और चूत तो कब से बिलबिला रही थी। रुखसाना को बड़ी मुश्किल से आज मौका मिला था जो उसे ज़ाया होता नज़र आ रहा था। वो सोच रही थी सुनील तो खुद हमेशा ज़रा सा भी मौका देखते ही उसे अपने आगोश में भर कर चूमने और दबोचने लगता था... उसकी चूत या गाँड मारने के लिये बेकरार रहता था तो आज इतने दिन बाद अच्छा मौका मिलने पर भी उसे क्या हो गया.... शायद कल सारी रात स्टेशन पे नाइट-ड्यूटी के बाद आज फिर सारा दिन काम करने की वजह से थका होगा। रुखसाना से बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो उसने खुद ऊपर जाने का फैसला किया... प्यासे को ही कुंए के पास जाना पड़ता है... और इस वक़्त उसके जिस्म की प्यास सिर्फ़ सुनील और उसका लंड ही बुझा सकता था। उसने सोचा कि अगर सुनील थका भी है तो वो उसे अपने हुस्न और प्यार की बारिश में नहला कर उसकी थकान दूर कर देगी।
ये सब सोच कर वो खड़ी हुई एक बार आइने के सामने अपना मेक-अप दुरुस्त किया और खुद अपनी फुद्दी चुदवाने ऊपर की तरफ़ चल दी। वो ऊपर पहुँची, तो उसे छत के दूसरी तरफ़ बने हुए बाथरूम में कुछ आवाज़ सुनायी दी। सुनील बाथरूम में नहा रहा था। रुखसाना सुनील के कमरे में चली गयी। कमरे में सिर्फ़ टेबल लैम्प जल रहा था। उसे मालूम था कि सुनील की अलमारी में व्हिस्की की बोतल होगी तो उसने अलमारी खोल कर बोतल निकाल ली और दो गिलासों में पैग तैयार लिये। फिर अपना गिलास लेकर वो सुनील के बेड पर पैर नीचे लटका कर बैठ गयी और सुनील के आने का इंतज़ार करते हुए सिप करने लगी। वो आज मदहोश होकर बेफ़िक्र होकर चुदवाने के मूड में थी। थोड़ी देर बाद सुनील के कदमों की आहट कमरे की तरफ़ बढ़ती हुई सुनायी दी तो रुखसाना का दिल धड़कने लगा। थोड़ी देर बाद सुनील अंदर आया तो रुखसाना ने नशीली नज़रों से मुस्कुराते हुए उसकी तरफ़ देखा। सुनील सिर्फ़ अंडरवियर पहने हुए था। सुनील भी रुखसाना को अपने बेड पर बैठ कर व्हिस्की पीते हुए देख कर समझ गया था कि रुखसाना उसके कमरे में क्यों आयी है। सुनील कुछ बोला नहीं और उसने कमरे की ट्यूब लाइट भी ऑन कर दी। फिर टेबल पर से अपना गिलास और साथ ही व्हिस्की की बोतल भी लेकर रुखसाना के सामने आकर खड़ा हो गया। रुखसाना का गिलास तकरीबन खाली हो चुका था तो सुनील ने उसका गिलास आधे से ज्यादा व्हिस्की से भर दिया और फिर उसके गिलास से अपना गिलास टकरा कर मुस्कुराते हुए बोला, “चियर्स भाभी... अब फटाफट खींच दो..!” य़े कहकर सुनील अपना पैग एक साँस में गटक गया और रुखसाना ने भी तीन-चार घूँट में ही तीन-चौथाई भरा गिलास खाली कर दिया जो कि तीन-चार पैग के बराबर था।
सुनील ने अपना और रुखसाना का गिलास टेबल पर रख दिया फिर उसके सामने आकर खड़ा हो गया और अंडरवियर के ऊपर से अपना लंद मसलते हुए बोला, “कसम से भाभी... कुछ ज्यादा ही गज़ब लग रही हो आज तो... कि इतनी थकान के बाद भी आपका दिल तो रखना ही पड़ेगा... ये लो आपका दिलबर!” और ये कहते हुए उसने एक झटके में अपना अंडरवियर उतार फेंका। उसका आधा खड़ा लंड रुखसाना के चेहरे के सामने लहराने लगा। सुनील के अनकटे लंड को रुखसाना प्यार से अपना दिलबर बुलाती थी। अपनी आँखों के सामने सुनील का लौड़ा लहराते देख उसकी आँखें हवस से चमक उठीं और उसने फ़ौरन उसे अपने हाथों में लेकर सहलाते हुए प्यार से उसकी चमड़ी ज़रा सी पीछे सरकायी और उसके सुपाड़े पर अपने होंठ रख दिये और फिर चुप्पे लगाने लगी। शराब के नशे की खुमारी धीरे-धीरे रुखसाना पे छाने लगी थी। सुनील का लौड़ा जल्दी ही फूल कर बिल्कुल सख्त हो गया। रुखसाना की राल से उसका लंड बेहद सन गया था। सुनील ने सिसकते हुए रुख़्साना का सिर पीछे से कस कर पकड़ लिया और अपना लौड़ा उसके मुँह में ठेलने लगा। जैसे ही सुनील का लौड़ा उसके हलक में पहुँचा तो रुखसाना का दम घुटने लगा और उसने पीछे हटने की कोशिश की लेकिन सुनील ने उसका सिर कस के पकड़े रखा और जितना मुमकिन हो सकता था अपना लंड उसके हलक में ठूँस दिया। रुखसाना की आँखों में पानी भर आया और वो बाहर को निकल आयीं। वो नाक से लंबी-लंबी साँसें लेने लगी।
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