RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
रशीदा ने गटक कर अपना पैग खतम करते हुए कहा, “नफ़ीसा चलो ना अब खाना खाते हैं... बहुत हो गया..!” ये सुनकर सुनील के तो खड़े लंड पे जैसे धोखा हो गया। उसे लग रहा था कि अभी बात शायद आगे बढ़ेगी। दोनों औरतें उसे इस तरह क्यों तड़पा रही थीं। दो-दो रसगुल्ले उसके सामने थे... उसे तरसा रहे थे लेकिन वो खा नहीं पा रहा था।
तीनों पूल से बाहर आये और नफ़ीसा ने सुनील को एक तौलिया दिया। सुनील ने अपनी कमर पर तौलिया लपेटा और फिर अपने कपड़े उठा लिये। नफ़ीसा और रश़ीदा ने वहाँ पर बने हुए बाथरूम में जाकर अपनी गीली पैंटी और ब्रा उतार दीं लेकिन सैंडल अभी भी नहीं उतारे। फिर तौलिये से अपने जिस्म और सैंडल वाले पैर सुखा कर दोनों ने अपने-अपने बाथरोब पहने और तीनों घर के अंदर आ गये। अंदर आकर तीनों ने वैसे ही खाना खाया और फिर शराब पीने लगे। शराब और शबाब का नशा अब तीनों पर हावी होने लगा था। दोनों औरतें खुल कर बाथरोब में छुपे हुए अपने हुस्न का दीदार सुनील को कराने लगी थीं। सुनील जानबूझ कर सावधानी से थोड़ी-थोड़ी ही शराब पी रहा था लेकिन दोनों औरतें बे-रोक पैग लगा रही थीं और एक के बाद एक सिगरेट फूँक रही थीं और नशे में झूमने लगी थीं। सुनील का तो बुरा हाल हो चुका था। तौलिये के अंदर उसका लंड धड़क-धड़क कर फुफकारें मार रहा था। “तो सुनील तू कह रहा था कि तेरी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है..!” रशीदा ने नफ़ीसा की ओर देखते हुए कहा। दोनों औरतें अब तुम से तू पे आ गयी थीं।
“जी नहीं है!” सुनील ने भी नफ़ीसा के ओर देखते हुए कहा तो नफ़ीसा बोली, “तो इश्क़ के खेल में अभी अनाड़ी हो..?”
“जी हाँ! इश्क़ के खेल में शायद अनाड़ी हूँ पर मस्ती के खेल में नहीं..!” सुनील ने जवाब दिया। रशीदा बोली, “ओहो... तू तो फिर बड़ा छुपा रुस्तम निकला... यार नफ़ीसा मैंने कहा था ना अपना सुनिल जितना मासूम दिखता है... उतना है नहीं..!”
नफ़ीसा सिगरेट का कश लगाते हुए आँखें नचाते हुए बोली, “तो तू मस्ती करने में अनाड़ी नहीं है... हमें भी तो पता चले कि तूने कहाँ और किसके साथ और कितनी मस्ती की है..!”
सुनील का सब्र टूटा जा रहा था। “छोड़िये ना मैडम... वो सब पुराने किस्से हैं...!” सुनील बोला तो नफ़ीसा अपनी कुर्सी से उठी और बड़ी ही अदा के साथ चलते हुए सुनील के करीब आयी और अपनी एक बाँह सुनील की गर्दन में डाल कर सुनील के गोद में बैठ गयी और रशीदा की तरफ़ देख कर मुस्कुराते हुए बोली, “अच्छा... चाहे तो आज मस्ती के नये किस्से बना ले... क्या ख्याल है..?”
“ख्याल तो बहुत बढ़िया है...!” सुनील बोला। सुनील के कुलांचे मार रहे लंड की नफ़ीसा चुभन अपनी गाँड के नीचे महसूस कर रही थी। वो हंसते हुए बोली, “हाँ खूब पता चल रहा है कि तू क्या चाहता है!” “वो कैसे...?” सुनील ने पूछा तो नफ़ीसा बोली, “वो ऐसे कि तेरा हथियार जो बार-बार मेरे चूतड़ों पर जोर-जोर से ठोकरें मार रहा है..!”
सुनील बोला, “लेकिन मेरे अकेले के चाहने से क्या होगा..?”
“ओह हो... अब तू इतना नादान तो नहीं है... तू भी समझ तो गया ही होगा कि हम दोनों भी यही चाहती हैं!” ये कहते हुए नफ़ीसा सुनील की गोद से खड़ी हुई और सुनील का हाथ पकड़ कर झूमती हुई चलती हुई उसे बेडरूम की तरफ़ ले जाने लगी। रशीदा भी नशे में झूमती हुई उनके पीछे चल पड़ी। नफ़ीसा के मुकाबले रशीदा कुछ ज्यादा नशे में थी जबकि शराब दोनों ने तकरीबन बराबार ही पी थी... शायद इसलिये कि नफ़ीसा अक्सर शराब पीने की आदी थी जबकि रशिदा को कभी-कभार ही मौका मिलता था। नफ़ीसा की सोहबत में ही उसने शराब और सिगरेट पीना शुरू की थी।
बेडरूम में पहुँच कर नफ़ीसा ने सुनील को धक्का दे कर बेड पर गिरा दिया और रशीदा ने भी अंदर आकर पीछे से कमरे के दरवाज़े को लॉक कर दिया। नफ़ीसा बेड पर चढ़ी और सुनील के ऊपर झुकते हुए बोली तो “बर्खुरदार... ज़रा हमें भी तो बता कि तू क्या-क्या जानता है!” दूसरी तरफ़ रश़ीदा भी बेड पर सुनील के दूसरी तरफ़ करवट के बल लेट गयी और सुनील के चौड़े सीने को एक हाथ से सहलाते हुए अपनी एक टाँग उठा कर सुनील के टाँगों पर रख दी। “जी बहुत कुछ जानता हूँ..!” सुनील ने अपने दोनों तरफ़ लेटी हुई मस्त चुदैल मुसल्ली औरतों को देख कर कहा जो उम्र में उससे दुगुनी से ज्यादा बड़ी थीं। “रशीदा तुझे स्ट्राबेरी फ्लेवर बहोत पसंद है ना..?” नफ़ीसा की ये बात सुन कर सुनील चौंक गया कि अब साला स्ट्राबेरी फ्लेवर बीच में कहाँ से आ गया। “हाँ यार बेहद पसंद है..!” रशीदा बोली तो नफ़ीसा ने उसे कहा कि “तो उस मिनी-फ्रिज में तेरे लिये कुछ है... जा निकाल कर ले आ!”
रशीदा उठी और बेडरूम के एक कोने में मेज के नीचे रखे छोटे से फ़्रिज को खोला। उसमें एक काँच के बड़े से गिलास में स्ट्राबेरी फ़्लेवर की क्रीम मौजूद थी। उसे देख कर रशीदा की आँखों में चमक आ गयी। रशीदा वो क्रीम भरा गिलास लेकर बेड पर आकर बैठ गयी। उसने एक बार नफिस़ा की तरफ मुस्कुराते हुए देखा तो नफ़ीसा ने सुनील के तौलिये को पकड़ कर खींचा पर तौलिया सूनील के वजन से दबा हुआ था। स़ुनील ने खुद ही अपने चूतड़ उचका कर तौलिया अपने जिस्म से अलग करके फेंक दिया। सुनील का आठ इंच से लंबा और खूब मोटा मूसल जैसा लंड झटके खाते हुए फुफकारने लगा जिसे देख कर दोनों चुदैल राँडों के मुँह से सिसकरी निकल गयी!। “याल्लाहा ऊँऊँहह नफ़ीसा... ये तो बहोत तगड़ा... घोड़े जैसा है..!” रशीदा ने सुनील के लंड को खा जाने वाली नज़रों से घूरते हुए कहा। “मैंने तो सुबह ही तुझे बता दिया था... साले ऐसे घोड़े की ही तो सवारी करने में मज़ा है.. आज तो हमारी किस्मत खुल गयी... यार सुनील पहले मालूम होता कि तू अपनी टाँगों के दर्मियान इस कदर लंबा और मोटा लौड़ा छुपाये हुए है तो आल्लाह कसम पहले दिन ही तेरे से चुदवा लेती..!” ये कहते हुए नफ़ीसा ने हाथ बढ़ा कर सुनील के अन्कटे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और उसके लंड के आगे की चमड़ी पीछे की तरफ़ सरकायी तो सुनील के लंड का सुपाड़ा लाल टमाटर की तरह चमकने लगा जिसे देख कर दोनों की चूत कुलबुलाने लगी। रशीदा जल्दी से स्ट्राबेरी क्रीम का गिलास सुनील के लंड के ठीक ऊपर ले जाकर उस पर ठंडी क्रीम टपकाने लगी। ठंडी क्रीम को अपने लंड पर गिरता महसूस करके सुनील एक दम से सिसक उठा। “क्या हुआ बर्खुरदार?” नफ़ीसा ने सुनील को सिसकते हुए देख कर पूछा। “आहहह बहुत ठंडा है मैडम!” सुनील ने सिसकते हुए कहा।
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