RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
सुनील को ऐसी आशा नहीं थी... ये तो खुला-खुला आमंत्रण था। सुनील थोड़ा नरवस हो गया। उसने काँपते हुए हाथों से नफ़ीसा के सैंडल की बकल खोल कर उसकी सुईं अगले छेद में डाल कर बकल फिर बंद कर दिया। नफ़ीसा ने फिर दूसरा पैर वैसे ही सुनील की जाँघों के बीच में रख दिया... इस बार उसके सैंडल का पंजा और पैर की उंगलियाँ सीधे उसके टट्टों और लंड को छू रहे थे। सुनील का लंड उसके ट्रैक-पैंट में कुलांचे मारने लगा। सुनील ने उस सैंडल की बकल भी काँपते हुए हाथों से कस दी। नफ़ीसा के सैंडल इतने सैक्सी थे कि सुनील का मन हुआ कि झुक कर उसके सैंडल और नरम-नरम गोरे पैर चूम ले। नफ़ीसा के पैरों के उंगलियों में नेल-पॉलिश भी मैरूण ही थी।
“घबरा नहीं सुनील आज की रात तुम्हारे लिये यादगार होने वाली है... अभी तो कईं सर्प्राइज़ मिलने हैं... चल आजा!” ये कह कर नफ़ीसा आगे चलने लगी। सुनील खड़ा होकर नफ़ीसा के पीछे जाने लगा। नफ़ीसा उसे घर के पीछे स्विमिंग पूल की तरफ़ ले गयी। अंधेरा हो चुका था लेकिन स्विमिंग पूल के चारों तरफ़ बहुत खूबसूरत रंगबिरंगी रोशनी की हुई थी। वहाँ एक लंबी सी कुर्सी पर रशीदा आधी लेटी हुई थी। उसने भी नफ़ीसा की तरह मैरून रंग का मखमली बाथरोब पहना हुआ था और पैरों में काले रंग के ऊँची पेंसिल हील वाले बेहद कातिलाना सैंडल मौजूद थे। रशीदा ने अपनी एक टाँग लंबी कर बिछायी हुई थी और दूसरी को घुटने से मोड़ा हुआ था। उसके एक हाथ में शराब का गिलास और सिगरेट थी। “ओहह सुनील आओ... कब से हम तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहे थे... यहाँ बैठो...” रशीदा ने उसे अपने पास बिठा लिया और उसकी जाँघ को सहलाते हुए बोली “सुनील क्या लोगे..!”
“जी आप जो भी प्यार से पिला दें वो मैं पी लुँगा!” सुनील ने जवाब दिया। सुनील को एहसास हो गया था कि वो शिकार करने आया था लेकिन यहाँ तो उसका ही शिकार होने वाला था।
“माशाल्लह... यार तुम तो बहोत चंट हो बातें बनाने में!” रशीदा बोली तो सुनील फिर तपाक से बोला, “जी बनाने में ही नहीं... करने में भी चंट हूँ..!” ये सुनकर रशिदा सिगरेट का धुआं उड़ाते हुए बोली, “क्यों नफ़ीसा.... लगता है आज की रात यादगार होने वाली है..!”
नफ़ीसा ने पास में टेबल पर रखी व्हिस्की की बोतल से एक गिलास में व्हिस्की और सोडा डाल कर सुनील को दी और फिर रशीदा के गिलास में भी एक और नया पैग बना कर दिया और अपने लिये भी एक पैग बनाया। फिर उसने अपने लिये सिगरेट सुलगायी और सुनील को भी सिगरेट पेश की तो सुनील ने मना कर दिया। तीनों साथ में बैठ कर व्हिस्की पीने लगे। सुनील खुद तो सिगरेट नहीं पीता था लेकिन ये दोनों औरतें सिगरेट पीती हुई बेहद सैक्सी और कातिल लग रही थीं उसे। रशीदा ने अपनी सिगरेट और पैग खतम किया और अपने गिलास को टेबल पर रख कर खड़ी हो गयी, “चलो पूल में चलते हैं... उफ्फ बहोत गरमी है यहाँ पर..!” ये कहते हुए उसने अपने बाथरोब की बेल्ट को खोला और बाथरोब उतार दिया। सुनील की आँखें एक दम से चौंधिया गयी। रशीदा का फिगर देखते ही सुनील को सन्नी लियॉन की याद आ गयी।
रत्ति भर भी कम नहीं था रशीदा का जिस्म... वैसे ही अढ़तीस साइज़ के बड़े-बड़े तने हुए मम्मे और वैसे ही बाहर की तरफ़ निकली हुई गाँड... लाल रंग की छोटी सी लेस की ब्रा के साथ जी-स्ट्रिंग की चिंदी सी लाल पैंटी और ऊँची हील के सैंडल में क़हर ढा रहा था। अब रशीदा अगर सन्नी लियॉन थी तो नफ़ीसा तो कहाँ कम थी... फिगर के साथ-साथ शक़्ल-सूरत में भी हुबहु बॉलीवुड हिरोइन ज़रीन खान लगती थी। नफ़ीसा ने भी अपना पैग खतम किया और सिगरेट का आखिरी कश लगा कर ऐशट्रे में बुझा दी और अपना बाथरोब उतार दिया। उसने नीचे काले रंग की ब्रा और काले रंग की ही जी-स्ट्रिंग पैंटी पहनी हुई थी। अपने आप को इन दोनों गज़ब की सैक्सी औरतों के बीच पाकर सुनील का लंड उसके ट्रैक सूट के पायजामे में कुलांचे मारने लगा। वैसे तो रुखसाना भी रशीदा और नफ़ीसा से फिगर और खूबसूरती में कम नहीं थी लेकिन ये दोनों बेहद तेजतर्रार... डॉमिनेटिंग और बेतकल्लुफ़ थीं और रुखसाना थोड़ी शर्मिली और नरम थी।
“अब तुम किसका इंतज़ार कर रहे हो... चलो कपड़े उतारो..!” नफ़ीसा ने कहा तो सुनील ने एक दम चौंकते हुए खड़े होकर अपनी टी-शर्ट उतार दी। फिर उसे याद आया कि आज तो उसने जानबूझ कर सुबह ट्रैक-पैंट के नीचे अंडरवियर पहना ही नहीं था तो वो एक दम से रुक गया। “क्या हुआ सुनील... कोई प्रोब्लेम है..?” कहते हुए रशीदा अपने सैंडल पहने हुए ही पूल में उतर गयी।
“जी मैडम वो मैंने नीचे अंडरवियर नहीं पहना!” सुनील झेंपते हुए बोला तो रशीदा हंसते हुए बोली, “तो यहाँ कौन सा कोई तुम्हें देख रहा है.... सिर्फ़ हमारे अलावा... यार कोई बात नहीं... आजा..!” नफ़ीसा ने अपने और रशीदा के लिये एक-एक पैग और बनाया और दोनों गिलास लेकर वो भी सैंडल पहने हुए ही स्विमिंग पूल मैं उतर गयी। स्विमिंग पूल ज्यादा गहरा नहीं था और सिर्फ़ कमर तक ही पानी था। सुनील ने सोचा कि साला ये तो सीधे चुदाई का आमंत्रण है... ऐसा मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहिये। सुनील ने अपना ट्रैक-सूट वाला पायजामा भी उतार दिया। नर्वस होने के कारण उसका लंड लटक सा गया था। सुनील का पहला पैग अभी खतम नहीं हुआ था। उसने अपना गिलास पूल के किनारे पे रखा और अपने झूलते हुए लंड को लेकर स्विमिंग पूल में उतर गया। जैसे ही सुनील पूल के अंदर आया तो नफ़ीसा उसके करीब आ गयी और उसके होंठों पर अपना गिलास लगाते हुए बोली, “एक जाम इस नयी दोस्ती के नाम!” सुनील ने एक सिप लिया और मुस्कुरा कर नफ़ीसा की तरफ़ देखा। रशीदा भी सुनील के करीब आयी और उसने भी अपने गिलास को सुनील के होंठों की तरफ़ बढ़ा दिया। नफ़ीसा सुनील की चौड़ी छाती को अपने एक हाथ से सहला रही थी। सुनील ने रशीदा के गिलास से भी एक सिप लिया।
सुनील ने पूल के किनारे रखा हुआ अपना गिलास उठा लिया और फिर तीनों धीरे-धीरे सिप करने लगे। रशीदा और नफ़ीसा दोनों अपने एक-एक हाथ से सुनील के चौड़े सीने को सहला रही थी। सुनील का लंड अब फिर खड़ा होने लगा था। आखिर वो बिल्कुल नंगा दो-दो इतनी सैक्सी और करीब-करीब नंगी हसीनाओं से घिरा हुआ स्विमिंग पूल में मौजूद था और ऊपर से दोनों हुस्न की मल्लिकाओं ने पूल के अंदर भी हाई हील वाले सैंडल पहने हुए थे। सुनील को तो अपनी किस्मत पे विश्वास ही नहीं हो रहा था। रशीदा बीच-बीच में अपना हाथ नीचे सुनील के पेट की ओर ले जाती तो कभी नफ़ीसा उसकी जाँघों को अपने हाथ से सहलाने लग जाती। सुनील का लंड अब धीरे-धीरे फिर से अपनी औकात में आने लगा था। सुनील भी उन दोनों के जिस्म छुना उनके मम्मे और गाँड दबाना चाहता था लेकिन उन दोनों का दबदबा ही ऐसा था कि सुनील की खुद से हिम्मत नहीं हुई। रशीदा ने जब सुनील के लंड को खड़ा होते देखा तो उसकी आँखों में चमक आ गयी और टाँगें थरथराने लगी। सुनील के खड़े होते हुए लंड का साइज़ देख कर रशीदा को समझ आया कि क्यों नफ़ीसा सुबह सुनील का लंड देख कर इतनी बेकरार हो रही थी। उसने इशारे से नफ़ीसा को नीचे की और देखने को कहा तो नफ़ीसा की चूत भी सुनील के अकड़ते हुए लंड को देख कर फुदफुदाने लगी।
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