RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
दोनों औरतें शाम को एक घंटा पहले ही निकल गयीं। दोनों पहले रशीदा के फ़्लैट में गयी और वहाँ पर रशीदा ने अपनी एक सलवार-कमीज़... नाइटी... सैंडल वगैरह और कुछ समान लिया। रशीदा ने अपनी सास को भी बताया कि वो आज रात को नफ़ीसा के घर पर ही रहेगी। ये कोई नयी बात नहीं थी क्योंकि वो अक्सर नफ़ीसा के घर रात बिताया करती थी। रशिदा ने अपनी कार नहीं ली और दोनों नफ़ीसा की कार में ही उसके घर की तरफ़ रवाना हो गयीं। नफ़ीसा ने रस्ते में से खाने पीने की कुछ चीज़ें खरीदीं और फिर घर पहुँची।
घर आकर उसने अपनी नौकरानी ज़ोहरा को बुलाया। उसने ज़ोहरा को रात का खाना तैयार करने के लिये कहा और उसे कहा कि वो गोल्ड-फ्लेक सिगरेट के दो पैकेट और ऑफिसर चाइस व्हिस्की की दो बोतलें अपने शौहर से मंगवा दे। ये भी कोई नयी बात नहीं थी क्योंकि नफ़ीसा अक्सर ज़ोहरा के शौहर के ज़रिये शराब और सिगरेट खरीदवाया करती थी। नफ़ीसा ने उसे पैसे दिये और ज़ोहरा पास ही अपने घर चली गयी। उसका शौहर जाकर सिगरेट के पैकेट और व्हिस्की की बोतलें ले आया और ज़ोहरा ने वो नफ़ीसा को लाकर दे दी। रात के चुदाई की पार्टी का इंतज़ाम हो चुका था और दोनों चुदैल औरतें नया बकरा हलाल करने के लिये बेकरार थीं।
दूसरी तरफ़ सुनील ने भी अपना काम खतम किया और स्टेशन से बाहर आकर अपना मोबाइल निकाल कर घर पर फ़ोन किया। फ़ोन सानिया ने उठाया तो सुनील ने उसे कहा कि आज रात कुछ जरूरी काम से उसे स्टेशन पर ही रुकना पड़ेगा। सुनील कुछ देर बज़ार में घूमता रहा। जब अंधेरा होने लगा तो उसका फ़ोन बजने लगा। फ़ोन रशीदा का था, “हैलो सुनील... कहाँ रह गये?”
“जी अभी आ रहा हूँ... थोड़ी ही देर में पहुँच जाऊँगा!” सुनील ने कहा तो रशीदा ने “ठीक है... जल्दी आओ...” कह कर फ़ोन काट दिया। सुनील ने बाइक नफ़ीसा के घर की तरफ़ घुमा दी। सुनील जानता था कि आज रात बहुत लंबी होने वाली है और दोनों औरतें बेहद चुदैल हैं... इसलिये वो एक दवाई की दुकान पर रुका और एक दो गोली वायग्रा की ले ली। वैसे तो सुनील के जिस्म और लंड में इतनी जान थी कि वो एक साथ नफ़ीसा और रशीदा की चुदाई तसल्ली से कर सकता था पर सुनील आज उन दोनों की गाँड और चूत पर अपने लंड की ऐसी छाप छोड़ना चाहता था कि वो दोनों उसके लंड की गुलाम हो जाये। सुनील ये भी जानता था कि नफ़ीसा और रशीदा दोनों मालदार औरतें है और दोनों के पास बहुत पैसा है। वो वक़्त आने पर सुनील की कोई भी जरूरत पूरी कर सकती थीं। लेकिन उसके लिये सुनील को पहले उन दोनों को अपने लंड का आदी बनाना था जैसे उसने रुखसाना को अपने लंड की लत्त लगा दी थी। यही सोच कर उसने वायग्रा खरीद ली और नफ़ीसा के घर के तरफ़ चल पड़ा। थोड़ी ही देर में वो नफ़ीसा के घर के पास पहुँच गया और उसने रशीदा को फ़ोन किया।
“हाँ बोलो सुनील... कहा पहुँचे?” रशीदा ने फोन उठाते ही पूछा। “मैडम मैं उस गली में पहुँच गया हूँ पर यहाँ सभी इतने बड़े-बड़े बंगले हैं कि समझ में नहीं आ रहा कि नफ़ीसा मैडम का घर कौन सा है!” सुनील ने पूछा तो रशीदा ने उसे समझाया, “देखो तुम सीधे गली के एंड में आ जाओ... राइट साइड पर सबसे आखिरी घर है... उसके सामने खाली प्लॉट है..!”
“ठीक है समझ गया मैडम!” सुनील ने फ़ोन काटा। “रशीदा क्या हुआ... पहुँचा कि नहीं अभी तक...” नफ़ीसा ने पूछा तो रशीदा अपने होंठों पे बेहद कमीनी मुस्कान के साथ बोली, “हाँ पहुँच गया है... तू जाकर गेट खोल और उसकी बाइक अंदर करवा ले... बहोत दिनों बाद साला आज तगड़ा बकरा हाथ में आया है... खूब मजे से उसे हलाल करके अपनी हसरतें पूरी करेंगी दोनों मिलकर!”
नफ़ीसा ने बाहर जाकर गेट खोला और इतने में सुनील की बाइक उसके घर के सामने थी। सुनील ने अपनी बाइक अंदर कर ली और नफ़ीसा ने अंदर से गेट बंद करते हुए पूछा, “ज्यादा तकलीफ़ तो नहीं हुई तुम्हें घर ढूँढने में...?”
“जी नहीं!” नफ़ीसा ने कॉटन का पतला सा हल्के सब्ज़ रंग का स्लीवलेस और तंग कमीज़ और नीचे सफ़ेद चुड़ीदार सलवार पहनी हुई थी। उसने दुपट्टा भी नहीं लिया हुआ था और उसकी कमीज़ का गला कुछ ज्यादा ही लो-कट था जिसमें से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ करीब-करीब आधी नंगी थीं और बाहर आने को उतावली हो रही थी। इसके अलावा नफिसा ने पाँच इंच ऊँची पेंसिल हील के बेहद सैक्सी सैंडल पहन रखे थे। ये सब देखते ही सुनील के लंड में सरसराहट होने लगी।
तजुर्बेकार नफ़ीसा भी सुनील की नज़र को फ़ौरन ताड़ गयी और मुस्कुराते हुए बोली, “चलो अंदर चलो... यहीं खड़े- खड़े देखते रहोगे क्या?” नफ़ीसा पहचान गयी थी कि उन दोनों को सुनील को अपने हुस्न ओर अदाओं से पटाने में ज्यादा वक़्त नहीं लगेगा। नफ़ीसा उसे साथ लेकर हाल में पहुँची। नफ़ीसा का घर सच में बहुत बड़ा था। घर के सामने एक बड़ा लॉन था और पीछे की तरफ़ स्विमिंग पूल था... नफ़ीसा के ससुर बहुत बड़े जागीरदार हुआ करते थे और अपनी ढेर सारी दौलत और जायदाद वो नफ़ीसा के शौहर के नाम छोड़ गये थे।
नफ़ीसा ने उसे सोफ़े पर बिठाया और बोली कि वो आराम से बैठे और वो अभी आती है! सुनील ने ऐसा शानदार सजा हुआ ड्राइंग रूम और फ़र्निचर सिर्फ़ फ़िल्मों में ही देखा था। “जी वो रशीदा मैडम कहाँ हैं?” सुनील ने नफ़ीसा से पूछा। “रशीदा चेंज करने गयी है... अभी आती है..!” ये कह कर नफ़ीसा किचन में चली गयी और फिर एक गिलास में कोल्ड ड्रिंक ले आयी और सुनील को देने के बाद बोली, “तुम बैठो मैं भी चेंज करके आती हूँ..!”
जैसे ही नफ़ीसा गयी तो सुनील ने वायग्रा की एक गोली निकाली और कोल्ड-ड्रिंक के साथ निगल ली। थोड़ी देर बाद नफ़ीसा बाहर आयी तो सुनील के मुँह से सीटी निकल गयी और धड़कनें तेज़ हो गयीं। नफ़ीसा ने सिर्फ़ मैरून रंग का छोटा सा मखमली बाथरोब पहना हुआ था और पैरों में मेल खाते मैरून रंग के ही पहले जैसे पाँच-छः इंच ऊँची पेंसिल हील के बारीक स्ट्रैप वाले सैंडल। नसीफ़ा की लंबी-लंबी और सुडौल टाँगें और गोरी माँसल जाँघें बिल्कुल नंगी सुनील की नज़रों के सामने थीं। उसका लंड तो उसी वक़्त टनटना गया। उसे ये तो पता था कि आज रात दोनों औरतों ने उसे चुदाई के मक़सद से ही बुलाया है लेकिन ये नहीं सोचा था कि इतनी जल्दी बेधड़क नंगी हो जायेगी। ये औरतें उसकी उम्मीद से काफ़ी ज्यादा ही फ़ॉर्वर्ड और बोल्ड थीं।
नफ़ीसा ने ज़रा इतराते हुए पूछा, “ऐसे क्या देख रहे हो...?”
सुनील खुद को संभालते हुए बोला, “वो... वो कुछ नहीं.. वो आप आप बहुत खूबसूरत लग रही हैं!”
“अच्छा! वैसे तुम्हे मुझ में क्या खूबसूरत लगता है...?” नफ़ीसा ने पूछा तो सुनील बोला, “जी सब कुछ...!” नफ़ीसा मुस्कुराते हुए बोली, “फिर तो सब कुछ देखना भी चाहते होगे...!”
सुनील: “जी अगर आप मौका दें तो!”
नफ़ीसा ने सुनील के पास आकर अपना एक पैर उठा कर सोफ़े पे सुनील की जाँघों के बीच मे रखा दिया और बोली, “मौके तो आज तुम्हें ऐसे-ऐसे मिलेंगे कि तुमने सोचा भी नहीं होगा... ज़रा मेरी सैंडल का बकल तो कस दो... थोड़ा लूज़ लग रहा है!”
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