RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
रशीदा: “और कभी हमारे साथ भी बैठ कर बातें वातें कर लिया करो... यूँ अकेले बैठे-बैठे बोर नहीं हो जाते?”
सुनील: “जी मैडम जरूर... वो बस मैं सोचता था कि आप दोनों इतनी सीनियर हैं तो शायद आप दोनों को बुरा ना लगे कि मैं आपको परेशान कर रहा हूँ!”
रशीदा: “अरे सीनियर्स के साथ क्या बातें करने की कोई पाबंदी है.. हम क्या खा जायेंगी तुम्हें!”
सुनील: “ओहह सॉरी मैडम मेरा मतलब वो नहीं था... वैसे मैं भी बोर हो जाता हूँ... घर जाकर भी अकेले रूम में बैठा-बैठा उकता जाता हूँ..!”
रशीदा: “तुम्हारे कोई दोस्त या कोई गर्ल-फ़्रेंड नहीं है क्या..!”
सुनील: “जी नहीं मैडम वैसे भी नया हूँ यहाँ पे...!”
रशीदा: “इसी लिये तो कह रही हूँ... ज़रा मिलोजुलो लोगों से... बातचीत करो... तुम हैंडसम हो... अच्छी शक़्ल सूरत है... बॉडी भी अच्छी बनायी हुई है... क्या प्रॉब्लम हो सकती है!”
सुनील: “पर मैडम आप तो जानती है ना... आज कल की लड़कियों को बस महंगे-महंगे गिफ़्ट चाहिये और बदले में क्या... बस पैसे बर्बाद..!”
रशीदा: “अच्छा शाम को क्या कर रहे हो..?”
सुनील: “जी मैडम... कुछ खास नहीं!”
रशीदा: “तो चलो आज नफ़ीसा के घर में पार्टी करते हैं... ड्रिंक तो कर ही लेते हो ना?”
सुनील: “जी कभी-कभी!”
रशीदा: “और कोई शौक भी है तो बता दो... उसका अरेंजमेंट भी कर लेंगे..!”
सुनील: “जी शौक तो बहुत हैं... जैसे-जैसे जान पहचान बढ़ेगी... आपको पता चल जायेगा...!”
रशीदा: “अच्छा ऐसी बात है... चलो देखते हैं..!”
इस दौरान सुनील बार-बार रशीदा की बड़ी- बड़ी चूचियों को उसकी कमीज़ के गहरे गले में से देख रहा था और रशीदा टाँग पर टाँग चढ़ा कर बैठी हुई अपनी टाँग हिला रही थी तो सुनीळ की नज़रें उसके ऊँची हील वाले कातिलाना सैंडल से भी नहीं हट रही थी। रशीदा भी सुनील के लंड को ट्रैक-पैंट में झटके खाता हुआ साफ़ देख रही थी। फिर रशीदा उठी और अपनी मोटी गाँड मटकाते हुए जाने लगी। “भूलना नहीं आज शाम नफ़ीसा के घर पर... नफ़ीसा से घर का अड्रेस समझ लेना...” रशीदा ने जाते हुए कहा।
थोड़ी देर बाद नफ़ीसा उसके पास आयी, “तो क्या इरादा है सुनील!” सुनील ने चौंक कर नफ़ीसा की तरफ़ देखा... “जी मैडम इरादा तो नेक है बस आपके हुक्म का इंतज़ार है...!” नफ़ीसा अपने होंठों को दाँतों में दबाते हुए बोली, “अच्छा ये लो इसमें मेरा अड्रेस लिखा है और मोबाइल नम्बर भी... अगर रास्ता ढूँढने में तकलीफ़ हो तो फ़ोन कर देना!”
सुनील: “जी मैडम ठीक है... वैसे आपके घर वाले मतलब आपके हस्बैंड को कोई ऐतराज़ तो नहीं होगा?”
नफ़ीसा: “अरे नहीं... वो तो बिल्कुल पेरलाइज़्ड हैं... बिस्तर से उठ तक नहीं सकते हैं!” ये कह कर नफ़ीसा भी चली गयी।
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