RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
सुनील खड़ा उन दोनों की बातें सुन रहा था पर सुनील कुछ बोला नहीं। उसने बाइक स्टार्ट की और काम पर चला गया। सुनील के दिमाग में उन लड़कों की बातें घूम रही थी और उनकी बातें याद करते हुए उसका लंड उसकी पैंट में अकड़ने लगा था। सुनील ने करीब एक बजे तक काम किया और फिर लंच किया। सुबह से उसका लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था। सुनील ने एक बार घड़ी की तरफ़ नज़र डाली और फिर अज़मल से किसी जरूरी काम का बहाना बना कर दो घंटे की छुट्टी लेकर बाहर आ गया। उसने अपनी बाइक स्टार्ट की और घर के तरफ़ चल पढ़ा। उन लड़कों की बातों ने सुनील का दिमाग सुबह से खराब कर रखा था... वो जानता था कि रुखसाना इस समय घर पे अकेली होगी। सुनील की बाइक हवा से बातें कर रही थी और पंद्रह मिनट में वो घर के बाहर था। उसने घर के गेट के बाहर सड़क पे ही बाइक लगायी और अंदर जाकर डोर-बेल बजायी। सुनील ने रुखसाना को निकलने से पहले ही फोन कर दिया था इसलिये वो भी तैयार होकर बेकरारी से सुनील के आने का इंतज़ार कर रही थी। घंटी की आवाज सुनते ही उसने फ़ौरन दरवाजा खोल दिया।
अंदर दाखिल होते ही सुनील ने रुखसाना को पीछे से अपनी बाहों में भर लिया। “आहहह दरवाजा तो बंद कर लेने दे!” रुखसाना मचलते हुए बोली। फिर सुनील ने रुखसाना को अपनी बाहों में उठा लिया और उसे उठा कर ड्राइंग रूम में ले आया। फिर उसे सोफ़े के सामने खड़ी करते हुए रुखसाना को पीछे से बाहों में भर लिया और मेरे उसकी गर्दन पर अपने होंठों को रगड़ने लगा। रुकसाना ने मस्ती में आकर अपनी आँखें बंद कर लीं। “हाय सुनील मेरी जान... अच्छा है तू आ गया... मैं तो कल पूरी रात अपने इस दिलबर की याद में तड़पती रही!” रुखसाना उसके लंड को पैंट के ऊपर से दबाते हुए बोली। सुनील कुछ नहीं बोला। वो शायद किसी और ही धुन में था। उसने रुखसाना की गर्दन पर अपने होंठों को रगड़ना ज़ारी रखा और फिर एक हाथ से रुखसाना की गाँड को पकड़ कर मसलने लगा।
जैसे ही सुनील ने अपने हाथों से रुखसाना के चूतड़ों को दबोच कर मसला तो रुखसाना की तो साँसें ही उखड़ गयी। आज वो बड़ी बेदर्दी से रुखसाना के दोनों चूतड़ों को अलग करके फैला रहा था और मसल रहा था। उसके कड़क मर्दाना हाथों से अपनी गाँड को यूँ मसलवाते हुए रुखसाना एक दम हवस ज़दा हो गयी उसकी आँखें बंद होने लगी... दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। फिर अचानक ही सुनील के दोनों हाथ रुखसाना की सलवार के आगे जबरदन तक पहुँच गये। रुकसाना ने आज इलास्टिक वाली सलवार पहनी हुई थी। जैसे ही सुनील को एहसास हुआ कि रुखसाना ने इलास्टिक वाली सलवार पहनी हुई है तो उसने दोनों तरफ़ सलवार में अपनी उंगलियों को फंसा कर रुखसाना की सलवार नीचे सरका दी। रुखसाना ने नीचे पैंटी भी नहीं पहनी थी और जैसे ही सलवार नीचे हुई तो सुनील ने उसे सोफ़े की ओर ढकेला। रुखसाना ने हमेशा की तरह ऊँची पेंसिल हील की सैंडल पहनी हुई थी तो सुनील के धकेलने से उसका बैलेंस बिगड़ गया और सोफ़े की और लुढ़क गयी। रुखसाना ने सोफ़े की बैक पर अपने दोनों हाथ जमाते हुए दोनों घुटनों को सोफ़े पर रख लिया।
रुखसाना सोचने लगी कि, “हाय आज क्या सुनील यहाँ ड्राइंग रूम में ही मुझे नंगी करके इस तरह मुझे चोदेगा!” ये सोच कर रुखसाना के चेहरे पर शर्म से सुर्खी छा गयी। “ओहहहह सुनील यहाँ मत करो ना... बेडरूम में चलते हैं...!” रुकसाना ने सिसकते हुए मस्ती में लड़खड़ाती हुई ज़ुबान में सुनील को कहा। पर सुनील नहीं माना और उसने पीछे से रुखसाना की कमीज़ का पल्ला उठा कर उसकी कमर पर चढ़ा दिया। रुखसाना की सलवार पहले से ही उसकी रानों में अटकी हुई थी। फिर रुखसाना को कुछ सरसराहट की आवाज़ आयी तो उसने गर्दन घुमा कर पीछे देखा कि सुनील अपनी पैंट की जेब में से कोई ट्यूब सी निकाल रहा है जिसपे “ड्यूरेक्स के-वॉय जैली” लिखा था। सुनील ने ये अभी घर आते हुए रास्ते में केमिस्ट की दुकान से खरीदी थी। फिर सुनील ने अपनी पैंट और अंडरवियर नीचे किया और धीरे से काफ़ी सारी के-वॉय जैली अपने लंड पर गिरा कर उसे मलने लगा। रुखसाना अपने चेहरे को पीछे घुमा कर अपनी नशीली आँखों से उसे ये सब करता हुआ देख रही थी। फिर सुनील ने जैली की उस ट्यूब को वहीं सोफ़े पर एक तरफ़ उछाल दिया फिर वो रुखसाना के पीछे आकर खड़ा हुआ और अपने घुटनों को थोड़ा सा मोड़ कर झुका और अगले ही पल उसके लंड का मोटा गरम सुपाड़ा रुकसाना की चूत की फ़ाँकों को फ़ैलाता हुआ उसकी चूत के छेद पर आ लगा।
रुखसाना को ऐसा लगा मानो चूत पर किसी ने सुलगती हुई सलाख रख दी हो। उसने सोफ़े की बैक को कसके पकड़ लिया। सुनील ने रुखसाना के दोनों चूतड़ों को पकड़ कर जोर से फैलाते हुए एक जोरदार धक्का मारा और सुनील का लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर घुसता चला गया। रुखसाना एक दम से सिसक उठी, “हाआआआय अल्लाआआआहहह .. मैं मरीईईईई!” सुनील ने अपना लंड जड़ तक उसकी चूत में घुसेड़ा हुआ था। सुनील ने वैसे ही झुक कर फिर से सोफ़े पे पड़ी के-वॉय जैली की वो ट्यूब उठायी और रुखसाना की गाँड के ऊपर करते हुए के-वॉय जैली को गिराने लगा। जैसे ही जैली की पिचकारी रुखसाना की गाँड के छेद पर पड़ी तो वो बुरी तरह से मचल उठी। सुनील ने ट्यूब को नीचे रखा और फिर अपना लंड धीरे-धीरे रुखसाना की चूत में अंदर-बाहर करने लगा।
गाँड से बहती हुई जैली नीचे सुनील के लंड और रुखसाना की चूत पर आने लगी। तभी सुनील ने वो किया जिससे रुखसाना एक दम से उचक सी गयी पर सुनील ने उसे उसकी कमर से कसके पकड़ लिया। दर असल सुनील ने अपनी उंगली को रुखसाना की गाँड के छेद पर रगड़ना शुरू कर दिया। रुखसाना की कमर को पकड़ते ही सुनील ने तीन चार जबरदस्त वार उसकी चूत पर किये तो चूत बेहाल हो उठी और मस्ती आलम में रुखसाना में मुज़ाहिमत करने की ताकत नहीं बची थी। सुनील ने फिर से रुखसाना की गाँड को दोनों हाथों से दबोच कर फैलाया और फिर अपने दांये हाथ के अंगूठे से रुखसाना की गाँड के छेद को कुरेदने लगा।
रुखसाना की कमर उसके अंगूठे की हर्कत के साथ एक के बाद एक झटके खाने लगी। सुनील का लंड एक रफ़्तार से रुखसाना की चूत के अंदर बाहर हो रहा था और उसका अंगूठा अब रुखसाना की गाँड के छेद को और जोर से कुरेदने लगा था। रुखसाना इतनी गरम हो चुकी थी कि अब वो सुनील की मुखालिफ़त करने की हालत में नहीं थी। वो जो भी कर रहा था रुखसाना मज़े से सिसकते हुए उसका लंड अपनी चूत में लेते हुए करवा रही थी। सुनील ने उसकी गाँड के छेद को अब उंगली से दबाना शुरू कर दिया। के-वॉय जैली की वजह से और सुनील की उंगली की रगड़ की वजह से रुखसाना की गाँड का कुंवारा छेद नरम होने लगा और उसे अपनी गाँड के छेद पर लज़्ज़त-अमेज़ गुदगुदी होने लगी थी जिसे महसूस करके उसकी चूत और ज्यादा पानी बहा रही थी। बेहद मस्ती के आलम में रुखसाना को इस वक़्त कहीं ना कहीं शराब की तलब हो रही थी क्योंकि चार-पाँच दिन उसने शराब के नशे की खुमारी में ही सुनील के साथ चुदाई का खूब मज़ा लूटा था और चुदाई के लुत्फ़ और मस्ती में शराब के नशे की मस्ती की अमेज़िश से रुखसाना को जन्नत का मज़ा मिलता था। फिर सुनील ने अपनी उंगली को धीरे-धीरे से रुखसाना की गाँड के छेद पर दबाया और उंगली का अगला हिस्सा रुखसाना की गाँड के छेद में उतरता चला गया। पहले तो रुखसाना को कुछ खास महसूस नहीं हुआ पर जैसे ही सुनील की आधे से थोड़ी कम उंगली उसकी गाँड के छेद में घुसी तो रुखसाना को तेज दर्द महसूस हुआ। “आआहहह सुनीईईल मत कर.... दर्द हो रहा है!” रुखसाना चींखी तो सुनील शायद समझ गया कि रुखसाना की गाँड का छेद एक दम कोरा है। वो कुछ पलों के लिये रुका और फिर उतनी ही उंगली रुखसाना की गाँड के छेद के अंदर बाहर करने लगा।
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