RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
सुनील ने जल्दी आने का वादा किया था लेकिन फिर भी उसे आते-आते पाँच बज गये। रुखसाना तब तक सज-संवर कर तैयार हो चुकी थी और थोड़ी-थोड़ी देर में बाहर गेट तक जा-जा कर देख रही थी। सुनील के घर में दाखिल होते ही दोनों एक दूसरे से लिपट गये। फिर सुनील फ्रेश होने के लिये ऊपर जाने लगा तो खाने के पैकेट टेबल से उठाते हुए रुखसाना ने ज़रा मायूस से लहज़े में पूछा, “सुनील आज तू वो बोतल... मतलब व्हिस्की नहीं लाया?” रुखसाना की बात सुनकर सुनील को यकीन नहीं हुआ। आज रुखसाना का खुलापन और ये बदला हुआ अंदाज़ देख कर सुनील को बेहद खुशी हुई। “क्या बात है भाभी जान.... कल तो आप नखरे कर रही थीं और आज खुद ही?” सुनील उसे छेडते हुए बोला। “कल से पहले कभी पी नहीं थी ना... मुझे अंदाज़ा नहीं था कि शराब के नशे की खुमारी इतनी मस्ती और सुकून अमेज़ होती है!” रुकसाना ने कहा तो सुनील ने अपने बैग में से रॉयल- स्टैग व्हिस्की की बोतल निकाल कर रुखसाना के सामने टेबल पे रख दी।
फिर अगले तीन दिनों तक हर रोज़ शाम को सुनील के घर आते ही दोनों शराब के नशे में चूर नंगे होकर रंगरलियों में डुब जाते। देर रात तक रुखसाना के बेडरूम में खूब चुदाई और ऐश करते। रुखसाना तो जैसे इतने सालों का चुदाई की कमी पूरा कर लेना चाहती थी और पुरजोश खुल-कर उसने सुनील के जवान लंड से चुदाई का खूब मज़ा लिया।
फिर चार दिन बाद सुनील के स्टेशान जाने के बाद डोर-बेल बजी। रुखसाना ने जाकर दरवाजा खोला तो बाहर सानिया और उसके मामा खड़े थे। रुखसाणा ने सलाम किया और उनको अंदर आने को कहा। सानिया के मामा और उनके घर का हालचाल पूछने के बाद रुखसाना ने उनके लिये चाय नाश्ते के इंतज़ाम किया। चाय नाश्ते के बाद सानिया के मामा ने वापस जाने का कहा तो रुखसाना ने फ़ॉर्मैलिटी के तौर पे उन्हें थोड़ा और रुकने को कहा पर वो नहीं माने। उन्होंने कहा कि वो सिर्फ़ सानिया को छोड़ने की खातिर ही आये थे क्योंकि सानिया के कॉलेज की छुट्टीयाँ खतम हो रही थीं और कल से उसकी क्लासें भी शुरू होने वाली थी।
सानिया के आने से घर में रौनक जरूर आ गयी थी पर रुकसाना को एक गम ये था कि अब उसे और सुनील को मौका आसानी से नहीं मिलेगा। पिछले पाँच दिनों में हर रोज़ शाम से देर रातों तक बार-बार चुदने के बाद रुखसाना को तो जैसे सुनील के लंड की आदत सी लग गयी थी। उस दिन शाम को जब बाहर डोर-बेल बजी तो सानिया ने जाकर दरवाजा खोला। सानिया ने सुनील को सलाम कहा और सुनील अंदर आकर चुपचाप ऊपर चला गया। उस दिन कुछ खास नहीं हुआ।
सानिया का कॉलेज घर से काफ़ी दूर था और उसे बस से जाना पड़ता था। कईं बार उसे देर भी हो जाती थी। अगले दिन सुनील सुबह जब नाश्ता करने नीचे आया तो रुखसाना ने गौर किया कि सानिया बार-बार चोर नज़रों से सुनील को देख रही थी। सानिया उस वक़्त कॉलेज जाने के लिये तैयार हो चुकी थी। उसने सफ़ेद रंग की कुर्ती के साथ नीले रंग की बेहद टाइट स्किनी-जींस पहनी हुई थी जिसमें उसका सैक्सी फिगर साफ़ नुमाया हो रहा था। उसने सफ़ेद रंग के करीब तीन इंच ऊँची हील वाले सैंडल भी पहने हुए थे जिससे टाइट जींस में उसके चूतड़ और ज्यादा बाहर उभड़ रहे थे।
उस दिन सानिया कुछ ज्यादा ही सुनील की तरफ़ देख रही थी। इस दौरान कभी जब सुनील सानिया की तरफ़ देखता तो वो नज़रें झुका कर मुस्कुराने लग जाती। सुनील ने पहले अज़रा की चुदी चुदाई फुद्दी मारी थी और फिर बाद में रुखसाना की बरसों से बिना चुदी चूत। सुनील ने उससे पहले कभी चुदाई नहीं करी थी लेकिन उसे जानकारी तो पूरी थी। इस बात का तो उसे पता चल गया था कि औरत जिसके बच्चे ना हो और जो कम चुदी हो उसकी चूत ज्यादा टाइट होती है। और फिर जब एक जवान लड़के को चुदाई की लत्त लग जाती है तो वो कहीं नहीं रुकती... खासतौर पर उन लड़कों के लिये जिन्होंने ऐसी औरतों से जिस्मानी रिश्ते बनाये हों... जो उम्र में उनसे बड़ी हों और जो उन्हें किसी तरह के बंधन में ना बाँध सकती हों... जैसे की रुखसाना। वो जानता था कि रुखसाना उसे किसी तरह अपने साथ बाँध कर नहीं रख सकती। अब वो उस आवारा साँड कि तरह हो गया था जिसे सिफ़ चूत चाहिये थी... हर बार नयी और बिना किसी बंधन की!
रुखसाना ने उस दिन सानिया के बर्ताव पे ज्यादा तवज्जो नहीं दी क्योंकि वो तो खुद सानिया की नज़र बचा कर सुनील के साथ नज़रें मिला रही थी। सुनील ने नाश्ता किया और बाइक बाहर निकालने लगा तो सानिया दौड़ी हुई किचन में आयी और रुखसाना से बोली, “अम्मी सुनील से कहो ना कि वो मुझे कॉलेज छोड़ आये!” रुखसाना ने बाहर आकर सुनील से पूछा कि क्या वो सानिया को कॉलेज छोड़ सकता है तो सुनील ने भी हाँ कर दी। सुनील ने बाइक स्टार्ट की और सानिया उसके पीछे बैठ गयी। सुनील के पीछे बैठी सानिया बेहद खुश थी। भले ही दोनों में अभी कुछ नहीं था पर सानिया सुनील की पर्सनैलिटी से उसकी तरफ़ बेहद आकर्षित थी। दोनों में कोई भी बातचीत नहीं हो रही थी। सानिया का कॉलेज घर से काफ़ी दूर था और कॉलेज से घर तक के रास्ते में बहुत सी ऐसी जगह भी आती थी जहाँ पर एक दम विराना सा होता था। थोड़ी देर बाद कॉलेज पहुँचे तो सानिया बाइक से नीचे उतरी और अपने बैक-पैक को अपने कपड़े पर लटकाते हुए सुनील को थैंक्स कहा। सुनील ने सानिया की तरफ़ नज़र डाली। उसकी सुडौल लम्बी टाँगें और माँसल जाँघें स्कीनी जींस में कसी हुई नज़र आ रही थी... उसके मम्मे उसकी कुर्ती के अंदर ब्रा में एक दम कसे हुए पहाड़ की चोटियों की तरह तने हुए थे। सुनील की हम-उम्र सानिया अपनी ज़िंदगी के बेहद नज़ुक मोड़ पर थी।
जब उसने सुनील को अपनी तरफ़ यूँ घूरते देखा तो वो सिर झुका कर मुस्कुराने लगी और फिर पलट कर कॉलेज की तरफ़ जाने लगी। सुनील वहाँ खड़ा सानिया को अंदर जाते हुए देख रहा था... दर असल वो पीछे सानिया के चूतड़ों को घूर रहा था। सानिया ने अंदर जाते हुए तीन-चार बार पलट कर सुनील को देखा और हर बार वो शर्मा कर मुस्कुरा देती। तभी सानिया के सामने से दो लड़के गुजरे और कॉलेज से बाहर आये। दोनों आपस में बात कर रहे थे। उन्हें नहीं पता था कि सुनील सानिया के साथ आया है। वो दोनों सुनील के करीब ही खड़े थे जब उनमें से एक लड़का बोला, “यार ये सानिया तो एक दम पटाखा होती जा रही है... साली के मम्मे देख कैसे गोल-गोल और बड़े हो गये हैं..!” तो दूसरा लड़का बोला, “हाँ यार साली की गाँड पर भी अब बहुत चर्बी चढ़ने लगी है... देखा नहीं साली जब हाई हील वाली सैंडल पहन के चलती है तो कैसे इसकी गाँड मटकती है... बस एक बार बात बन जाये तो इसकी गाँड ही सबसे पहले मारुँगा!”
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