RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
सुनील के दिमाग में कुछ विचार आया और उसने रुखसाना को ज़रा सा रुकने को कहा और फिर टेबल से काँच का एक छोटा सा गिलास ले कर उसे आधे तक व्हिस्की से भर दिया। फिर रुखसाना के चेहरे के सामने खड़े होकर अपना लौड़ा उस गिलास में डाल कर व्हिस्की में डुबो कर रुखसाना के होंठों पे रख दिया। रुखसाना फ़ौरन अपने लब खोल कर शराब में भीगा सुपाड़ा मुँह में ले कर फिर चुप्पे लगाने लगी। ऐसे ही सुनील बार-बार अपना लौड़ा शराब में भिगो-भिगो कर रुखसाना से चुसवा रहा था और रुखसाना को भी इस तरह शराब में भीगा लंड चूसने में बेहद मज़ा आ रहा था। इतने में सुनील का सब्र जवाब दे गया और उसकी टाँगें काँपने लगीं वो जोर से सिसकते हुए रुखसाना के मुँह में ही झड़ने लगा। रुखसाना बेझिझक उसकी मनी का ज़ायका ले रही थी। इतने मोटा लंड मुँह में भरे होने की वजह से सुनील का वीर्य रुखसाना के होंठों के किनारों से बाहर बहाने लगा तो सुनील ने अपना झड़ता हुआ लंड उसके मुँह से बाहर निकाल लिया और वीर्य की बाकी पिचकारियाँ शराब के गिलास में निकाल दीं। रूकसाना तो मस्ती में अपने होंठों के किनारों से बाहर निकली हुई मनी भी उंगलियों से पोंछ कर चाट गयी और होंठों पे ज़ुबान फिराने लगी।
जैसे ही सुनील ने शराब का गिलास जिसमें उसका वीर्य मलाई की तरह व्हिस्की में तैर रहा था... उसे टेबल पे रखने के इरादे से हाथ आगे बढ़ाया तो रुखसाना ने उसका हाथ पकड़ के रोक दिया और गिलास अपने हाथ में लेकर और उसे हिलाते हुए हिर्सना नज़रों से शराब में तैरती मनी देखने लगी। सुनील तो झड़ने के बाद के लम्हों की मस्ती में था और इससे पहले वो कुछ समझ पाता रुखसाना ने अपने थरथराते होंठ गिलास पे लगा दिये और गिलास को बिना होंठों से हटाये हुए धीरे-धीरे व्हिस्की और उसमें तैरती हुई मनी बड़े मज़े से पी गयी। सुनील आँखें फाड़े देखता रहा गया। वो सपने में भी सोच नहीं सकता था किरुखसाना जैसी शर्मिली औरत ऐसी अश्लील हर्कत भी कर सकती। लेकिन हवस का तुफ़ान सारी शर्म और हया खतम कर देता है।
ये देखकर सुनील में नया जोश आ गया और उसने रुखसाना को गोद में उठा कर बिस्तर पे लिटा दिया। रुखसाना ने जो मज़ा और खुशी उसे दी थी तो अब सुनील की बारी थी बदला चुकाने की। सुनील रुखसाना के ऊपर छा गया और उसके होंठों को अपने होंठों में ले कर चूसने लगा। फिर धीरे-धीरे रुखसाना के गालों और गर्दन को चूमते और अपनी जीभ फिराते हुए नीचे सरका। रुखसाना के दोनों मम्मों को मसलते हुए उसके निप्पलों को मुँह में ले कर चुभलाया तो रुखसाने की सिसकारियाँ शुरू हो गयीं। इसके बाद सुनील अचानक बेड से उतरा और व्हिस्की की बोतल ले कर वापस आ गया। रुखसाना के पैरों के नज़दीक बैठ कर उसने रुखसाना का एक पैर उठा के सैंडल के स्ट्रैप के बीच में उसके पैर को चूम लिया। फिर रुखसाना को उस पैर पे कुछ ठंडा बहता हुआ महसूस हुआ तो उसने देखा सुनील उसके पैर और सैंडल पे शराब डाल-डाल के चाट रहा था। सुनील ने एक-एक करके दोनों पैरों और सुनहरी सैंडलों के हर हिस्से को शराब में भिगो-भिगो कर चाटा। सैंडलों के तलवे और हील तक उसने शराब में भिगो कर अपनी जीभ से चाट कर साफ़ किये। सुनील की इस हरकत से रुखसाना के जिस्म में हवस की बिजलियाँ कड़कने लगीं। ऐसे ही धीरे-धीरे उसकी दोनों सुडौल चिकनी टाँगों और जाँघों पे थोड़ी-थोड़ी शराब डाल कर चाटते हुए ऊपर बढ़ा। रुखसाना मस्ती में छटपटाने लगी थी और उसकी सिसकारियाँ लगातार निकल रही थीं, “ओहहह मेरी जान ऊँऊँहह सुनीईईल जानू.... आँआआहहह!” उसके सिर के नीचे तकिया था तो वो नशीली आँखों से सुनील को ये सब करते देख भी रही थी। जब सुनील का चेहरा उसकी चूत के करीब आया तो पहले ही मचल उठी लेकिन सुनील उसकी चूत को नज़र-अंदाज़ करता हुआ ऊपर उसके पेट और नाभि की तरफ़ गया और उसके पेट पर शराब उड़ेल कर चाटने लगा। रुखसाना को अपने जिस्म पे जहाँ-जहाँ सुनील के चाटने का एहसास होता उन-उन हिस्सों में उसे हवस की चिंगरियाँ भड़कती महसूस होने लगती। जब उसकी नाफ़ में सुनील ने जाम की तरह शराब भर के उसे अपने होंठों से सुड़का तो रुखसाना सिसकते हुए मस्ती में जोर से किलकारी मार उठी। इसके बाद सुनील ने उसकी चूचियों और चूचियों के बीच की घाटी में भी शराब डाल कर फिर से उन्हें मसलते हुए चूमा-चाटा। फिर सुनील ने शराब का एक घूँट अपने मुँह में भरा और झुक कर रुखसाना के होंठों पे होंठ रख दिये और अपने मुँह में भरी शराब रुखसाना के मुँह में उतार दी।
रुखसाना को सुनील की इन हरकतों में बेहद मज़ा आ रहा था और उसकी हवस परवान चढ़ती जा रही थी। आखिर में जब सुनील उसकी चूत को शराब में नहला कर चूत के ऊपर और अंदर अपनी जीभ डाल-डाल कर चाटने लगा तो रुखसाना मस्ती में छटपटाते हुए अपनी टाँगें बिस्तर पे पटकने लगी और जोर-जोर से मस्ती में कराहते हुए अपना सिर दांये-बांये पटकने लगी और कुछ ही देर में उसकी चूत ने सुनील के मुँह में और चेहरे पे पानी छोड़ दिया। ज़िंदगी में अपनी चूत चटवाने का रुखसाना का ये पहला मौका था और उसे बेपनाह मज़ा आया था। दो ही दिन में सुनील ने रुखसाना की बरसों से बियाबान ज़िंदगी को ऐश-ओ-इशरत की बहारों से खिला दिया था। आज तक रुखसाना को इतना मज़ा कभी नहीं आया था। सैक्स सिर्फ़ लंड के चूत में अंदर-बाहर चोदने तक महदूद नहीं होता ये बात रुखसाना को अब पता चल रही थी।
अब तक सुनील का लंड फिर से खड़ा होकर सख्त हो चुका था। वो एक बार फिर रुखसाना के ऊपर छाता चला गया और कुछ ही पलों में वो रुखसाना की टाँगों के बीच में था और रुखसाना की टाँगें सुनील की जाँघों के ऊपर थी। सुनील ने अपनी हथेली रुखसाना की हसास चूत पर रखी तो उसके मुँह से आह निकल गयी। उसकी हथेली का एहसास इतना भड़कीला था कि रुखसाना ने बिस्तर की चादर को दोनों हाथों में थाम लिया। नीचे से उसकी चूत फिर से मचलते हुए पानी-पानी हो रही थी। सुनील का लंड उसकी चूत की फ़ाँकों पर रगड़ खा रहा था। “रुखसाना भाभी आपकी चूत बहुत खूबसूरत है..!” सुनील ने रुखसाना की चूत की फ़ाँकों को हाथों से फैलाया तो रुखसाना की मस्ती सातवें आसमान पर पहुँच गयी। हालाँकि रुखसाना ने ‘चूत-चुदाई’ जैसे अल्फ़ाज़ अकसर अज़रा और फ़ारुख के मुँह से सुने थे और वो इस तरह के लफ़ज़ों और गालियों से अंजान नहीं थी लेकिन रुखसाना के साथ कभी किसी ने ऐसे अल्फ़ाज़ों में बात नहीं की थी और ना ही कभी रुख्सआना ने ऐसे अल्फ़ाज़ों का इस्तेमाल किया था। रुखसाना को बिल्कुल भी बुरा या अजीब नहीं लगा बल्कि सुनील के मुँह से अपनी चूत की इस तरह तारीफ़ सुनकर वो गुदगुदा गयी थी। “ऊँम्म... खुदा के लिये ऐसी बातें ना कर सुनील!” रुखसाना मस्ती में बंद आँखें किये हुए लड़खड़ाती ज़ुबान में बोली।
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