RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
सारा दिन रूकसाना का दिल खिला-खिला रहा। सलील की बचकानी बातें सुन कर हंसते-खेलते दिन निकला। आज रुखसाना के खुश होने की वजह और भी थी। उसे नहीं पता था कि उसका ये उठाया हुआ कदम उसे किस मुक़ाम की ओर ले जायेगा या आने वाले वक़्त में उसकी तक़दीर में क्या लिखा हुआ था। पर अभी तो वो सातवें आसमान पे थी और ज़िंदगी में पहली बार इतनी खुशी मीली थी उसे।
शाम को किसी ने गेट के सामने हॉर्न बजाया तो रुखसाना ने सोचा कि ये कौन है जो उनके घर गाड़ी ले कर आया। जब उसने बाहर जाकर गेट खोला तो देखा कि बाहर सुनील बाइक पर बैठा था। वो रुखसाना की तरफ़ देख कर मुस्कुराया और उसने बाइक गेट के अंदर ला कर स्टैंड पर लगा दी। फिर दोनों घर के अंदर दाखिल हुए और रुखसाना अभी कुंडी लगा ही रही थी कि सुनील ने उसे पीछे से बाहों में दबोच लिया। “आहहह हाय अल्लाह क्या करते हो कोई देख लेगा....!” रुखसाना कसमसाते हुए बोली।
“कौन देखेगा भाभी हमें यहाँ..?” सुनील ने उससे अलग होते हुए कहा।
“सलील है ना घर पर...!” रुखसाना ने कहा तो सुनील बोला, “उसे क्या समझ वो तो बच्चा है...!”
“नहीं मुझे डर लगता है... कुछ गड़बड़ ना हो जाये!” रुखसाना बोली।
“अच्छा रात को तो आओगी ना... ऊपर मेरे कमरे में..!” सुनील ने पूछा तो रुखसाना ने मुस्कुराते हुए गर्दन हिला कर आँखों के इशारे से रज़ामंदी बता दी। फिर उसने सुनील से पूछा कि “ये बाइक किसकी है?” तो सुनील ने कहा, “मेरी है... आज ही खरीदी है... नयी है!”
“हाँ वो तो देख ही रही हूँ!” रुखसाना बोली। उसने देखा कि सुनील ने हाथ में खाने का पैकेट पकड़ा हुआ था जो वो ढाब्बे से लेकर आया था। “अब मैं ठीक हूँ सुनील... घर पर बना लेती... इसकी क्या जरूरत थी!” रुखसाना ने सुनील के हाथों से खाने के पैकेट लेते हुए कहा तो सुनील शरारत भरे अंदाज़ में बोला, “आप बना तो लेती... पर मैं आपको काम करके थकाना नहीं चाहता था... रात को आपको काफ़ी मेहनत करनी पड़ेगी..!” ये सुनते ही रुखसाना के गाल शरम से लाल होकर दहकने लगे। सुनील ने दूसरे हाथ में एक और बैग पकड़ा हुआ था। उसने रुखसाना को दिखाया कि उसमें एक पैकेट में खूब सारी गुलाब के फूलों की पंखुड़ियाँ और चमेली के फूल थे। उसी बैग में रॉयल स्टैग व्हिस्की की एक बोतल भी थी। रुखसाना ने सवालिया नज़रों से देखते हुए पूछा तो सुनील बड़े प्यारे अंदाज़ में बोला, “भाभी ये सब तो आज की रात आपके लिये खास बनाने के लिये है... आओगी ना आप?” अब तो रुखसाना ऐसे शर्मा गयी जैसे नयी नवेली दुल्हन हो। वो अपने होंठ दाँतों मे दबा कर दौड़ती हुई किचन में चली गयी। सलील टीवी पर कॉर्टून देख रहा था। सुनील सीधा ऊपर अपने कमरे में चला गया। वो तीन-चार घंटे ऊपर ही रहा और रात के करीब नौ बजे वो नीचे आया तो रुखसाना ने खाना गरम करके टेबल पर लगाया। सुनील सलील के साथ वाली कुर्सी पर बैठा था। “आज बड़ी देर कर दी नीचे आने में...!” रुखसाना सुनील की ओर देखते हुए मुस्कुरायी तो सुनील आँख मारते हुए बोला, “वो रात को जागना है तो सोचा कि कुछ देर सो लेता हूँ!”
फिर कुछ खास बात नहीं हुई। सुनील खाना खा कर ऊपर चला गया। रुखसाना सलील के साथ अपने बेडरूम में आकर सलील के साथ लेट गयी। सलील थोड़ी देर मैं ही सो गहरी नींद सो गया। उसके बाद रुखसाना उठ कर बाथरूम में गयी और उस दिन वो ये तीसरी बार नहा रही थी। सुनील ने रात के लिये काफ़ी तैयारी की थी तो रुखसाना भी अपनी तरफ़ से कोई कमी नहीं रखना चाहती थी। वो भी आज रात को होने वाली चुदाई को लेकर काफ़ी इक्साइटिड थी। नहाने के बाद उसने पूरे जिस्म पे पर्फ्यूम छिड़का। उसकी चूत और जिस्म तो पहले ही बिल्कुल मुलायम और चिकने थे... एक रोंआँ तक भी मौजूद नहीं था। उसके बाद उसने अलमारी में सालों से रखा शरारा सूट निकाला जो उसने फ़ारूख़ के साथ निकाह के वक़्त पहना था। रुखसाना को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे आज उसकी सुनील के साथ सुहाग रात थी। ज़री वाला हरे रंग का शरारा-सूट पहनने के बाद उसने अच्छे से मेक-अप किया। फिर अलमारी की सेफ़ में से ज़ेवर निकाल कर पहने जैसे कि गले का हार... कंगन कानों के बूंदे और बालों में झुमर भी पहना। फिर आखिर में उसने सुनहरी गोल्डन रंग के बेहद ऊँची पेंसिल हील के सैंडल पहने। उसने खड़े होकर सिर पे दुपट्टा ओढ़ कर जब आइने में देखा तो खुद का हुस्नो-शबाब देख कर शर्मा गयी... बिल्कुल नयी नवेली दुल्हन की तरह बेहद खूबसूरत लग रही थी वो।
रुखसाना ने एक बार तस्ल्ली की कि सलील गहरी नींद सो रहा है और फिर लाइट बंद करके आहिस्ता से कमरे से निकली और दरवाजा बंद करके धड़कते दिल के साथ आहिस्ता-आहिस्ता सीढ़ियाँ चढ़ने लगी। जब वो ऊपर पहुँची तो सुनील के कमरे में लाईट जल रही थी। तभी उसे एहसास हुआ की सीढ़ियों से सुनील के कमरे तक रास्ते में फूलों की पंखुड़ियाँ बिछी हुई थीं। सुनील का ये अमल रुखसाना के दिल को छू गया। उसने कभी तसाव्वुर भी नहीं किया था कि कोई उसके कदमों में फूल तक बिछा सकता है। रुखसाना उन फूलों पे बड़ी नफ़ासत से ऊँची पेंसिल हील वाले सैडल पहने पैरों से आहिस्ता-आहिस्ता कदम रखती हुई सुनील के कमरे में दाखिल हुई तो अचानक उसके ऊपर ढेर सारे फूलों की बारिश हो गयी। इतने में अचानक सुनील ने रुखसाना को बाहों में भर लिया। रुखसाना की तनी हुई चूचियाँ सुनील के सीने में दबने लगीं।
“हाय भाभी आप तो मेरी जान निकाल कर ही रहोगी... कल तो इतनी बुरी तरह घायल किया था और आज तो लगता है मेरा कत्ल ही करोगी आप... वाओ!” रुखसाना को दुल्हन के लिबास में देख कर सुनील उत्तेजित होते हुए बोला। रुखसाना ने देखा कि बिस्तर पे भी गुलाब और चमेली के फूलों की चादर मौजूद थी।
“वेलकम भाभी... मेरे कमरे में और मेरी ज़िंदगी में... मैं कितना खुशनसीब हूँ बता नहीं सकता!” सुनील चहकते हुए बोला और उसने टेबल पे पहले से रखे हुए शराब के दो गिलास उठाये और एक गिलास रूकसाना को पक्ड़ाते हुए बोला, “ये लीजिये भाभी... आज का पहला जाम आपके बेमिसाल हुस्न के नाम!” रुखसाना के दिल में थोड़ी हिचकिचाहट तो हुई लेकिन उसने ज़ाहिर नहीं होने दी। जैसे ही वो अपना गिलास होंठों से लगाने लगी तो सुनील ने उसके गिलास से अपन गिलास टकराते हुए ‘चियर्स’ कहा और फिर रुख्साना की बाँह में अपनी बाँह लपेट कर बोला, “अब पियो भाभी एक ही घूँट में!”
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