RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
सुनील बोला, “रहने दो ना भाभी.. मैं आज आपके हुस्न का दीदार करना चाहता हूँ..!” और रुखसाना के पेट से होते हुए उसके हाथ रुखसाना की चूचियों के तरफ़ बढ़ने लगे।
“मुझे शरम आती है सुनील... लाईट ऑफ कर दे ना... नाईट लैम्प की रोशनी काफ़ी होगी!” अपनी चूचियों पे सुनील के हाथों का दबाव महसूस होने से रुखसाना सिसकते हुए बोली। सुनील ने एक बार फिर से उसे छोड़ा और थोड़े बेमन से लाइट ऑफ़ कर दी। लेकिन सुनील ने देखा कि वाकय में नाईट लैम्प की काफी रोशनी थी और खुली खिड़कियों से कमरे में चाँद की भी काफी रोशनी आ रही थी। इतनी रोशनी रुखसाना के हुस्न का दीदार करने के लिये काफ़ी थी। अब उससे और सब्र नहीं हो रहा था और वो रुखसाना को लेकर बेड पर आ गया।
एक बार फिर से रुखसाना की चुदने की घड़ी आ गयी थी। बेड पर आते ही सुनील उसके साथ गुथमगुथा हो गया। उसके हाथ कभी रुखस्ना की पीठ पर तो कभी उसके चूतड़ों पर घूम रहे थे। रुखसाना उससे और वो रुखसाना से चिपकने लगा। रुखसाना की चूचियाँ बार-बार सुनील के सीने से दबी जा रही थी। रुखसाना का इतने सालों में और सुनील के साथ भी चुदाई का दूसरा ही मौका था इसलिये रुखसाना ज़रा शरम रही थी... शराब की खुमारी के बावजूद वो बहोत ज्यादा खुल कर साथ नहीं दे रही थी।
सुनील ने पहले उसकी कमीज़ उतारी और फिर सलवार और फिर उसकी पैंटी भी खींच कर निकाल दी। रुखसाना के जिस्म पे अब सिर्फ़ काली ब्रा बची थी और पैरों में ऊँची हील वाले लाल सैन्डल। सुनील उसकी बड़ी-बड़ी गुदाज़ चूचियाँ ब्रा के ऊपर से ही दबाने और मसलने लगा जो रुखसाना को बहुत अच्छा लग रहा था। दस सालों में पहली बार उसकी चूचियों को मर्दाना हाथों का मसलना नसीब हुआ था। रुखसाना की हालत खराब हो गयी थी और उसके होंठों से बे-इख़्तियार सिसकियाँ निकल रही थीं। जब सुनील ने उसकी ब्रा को खोला तो रुखसाना की साँस बहोत तेज चल रही थी और दिल ज़ोर-ज़ोर से धक-धक कर रहा था। जिस्म का सारा खून उसे अपनी चूत की तरफ़ सिमटता हुआ महसूस हो रहा था। अब रुखसाना उस बिस्तर पर सिर्फ़ सैंडल पहने एक दम नंगी पड़ी थी... वो भी अपने किरायेदार के साथ। सोच कर ही रुखसाना की चूत मचलने लगी कि वो अपने से पंद्रह साल छोटे जवान लड़के के साथ उसके ही बिस्तर पे एक दम नंगी लेटी हुई थी।
इतने में सुनील ने भी अपने कपड़े उतार दिये और अगले ही पल वो रुखसाना के ऊपर आ चुका था। उसने रुखसाना की टाँगों को उठा कर उसके पैर अपने कंधों पे रखे और अपना मूसल जैसा सख्त अनकटा लंड रुखसाना की चूत के छेद पर लगा दिया और फिर धीरे-धीरे दबाते हुए लंड को अंदर घुसेड़ने लगा। वो घुसेड़ता गया और रुखसाना उसके लंड को अंदर समेटती गयी। जैसे ही उसका लंड रुखसाना की चूत के गहराइयों में पहुँचा, तो वो एक दम मस्त हो गयी। सुनील एक पल भी ना रुका, और अपने लंड को रुखसाना की चूत के अंदर बाहर करने लगा। रुखसाना को लग जैसे कि वो जन्नत की हसीन वादियों में उड़ रही हो। ऐसा सुकून और लुत्फ़ उसे आज तक नहीं मिला था। जैसे ही वो अगला शॉट लगाने के लिये अपना लौड़ा रुखसान की फुद्दी से बाहर निकालता तो रुखसाना की कमर उसके लौड़े को अपनी फुद्दी मैं लेने के लिये बे-इख़्तियार ऊपर की तरफ़ उठ जाती और सुनील का लंड फिर से चूत की गहराइयों में उतर जाता।
सुनील एक स्पीड से बिना रुके अपने लौड़े को अंदर-बाहर करता रहा। इस तरह चोदते हुए ना ही वो रुखसाना के मम्मों से खेला और ना ही कोई चूमा चाटी की चुदाई का आखिर था तो वो भी नया खिलाड़ी। दो बार अज़रा को चोदा था और आज रुखसाना को दूसरी बार चोद रहा था। करीब दस मिनट बाद रुखसाना को ऐसा लगा जैसे उसकी चूत के नसें ऐंठने लगी हों। रुखसाना को अपनी चूत की दीवारें सुनील के लंड के इर्द गिर्द कसती हुई महसूस होने लगी और फिर उसकी चूत से पानी का दरिया बह निकला। रुखसाना झड़ कर बेहाल हो गयी। “ओहहह सुनीईईल मेरीईईई जाआआआन आँहहहह...!” रुखसाना ने जोर से चींखते हुए सुनील को अपनी बाहों में कस लिया। सुनील ने उसकी चूत में अपना लंड पेलते हुए पूछा, “क्या कहा भाभी आपने?” रुखसाना अभी भी झड़ रही थी और चूत में अभी भी जकड़ाव हो रहा था। रुखसाना मस्ती की बुलंदी पर थी। रुखसाना ने मस्ती में आकर सुनील होंठों को चूम लिया। “मेरी जान... मेरे दिलबर...” कहते हुए रुखसाना सुनील के सीने में सिमटती चली गयी। सुनील ने फिर तेजी से धक्के मारने शुरू कर दिये और रुखसाना की चूत के अंदर अपने वीर्य की बौछार करने लगा। झड़ते हुए उसने झुक कर रुखसाना के एक मम्मे को मुँह में भर लिया। सुनील के मुँह और जीभ का लम्स अपने मम्मे और अंगूर के दाने जितने बड़े निप्पल पर महसूस हुआ तो एक बार फिर से रुखसाना की चूत ने झड़ना शुरू कर दिया। उसकी चूत ने पता नहीं सुनील के लंड पर कितना पानी बहाया।
वो दोनों उसी तरह ना जाने कितनी देर लेटे रहे। सुनील रुखसाना के नंगे मुलायम जिस्म को सहलाता रहा और रुखसाना भी इसका लुत्फ़ उठाती रही। रुखसाना को लग रहा था कि ये हसीन पल कभी खत्म ना हों लेकिन फिर वो बिस्तर से उठी और अपने कपड़े ढूँढे और सिर्फ़ कमीज़ पहनने के बाद लाइट ऑन की। सुनील बेड से उठा और रुखसाना का हाथ पकड़ कर बोला, “क्या हुआ?” रुखसाना ने उसकी तरफ़ देखा और फिर शरमा कर नज़रें झुका ली, “सलील अकेला है मुझे जाने दे!”
सुनील बोला, “थोड़ी देर और रुको ना!” तो रुखसाना एक सुनील के नंगे लंड पे एक नज़र डालते हुए बोली, “जाना तो मैं भी नहीं चाहती... लेकिन अभी मुझे जाने दे... अगर वो उठ गया तो मसला हो जायेगा!”
सुनील कुछ नहीं बोला और मुस्कुरा कर उसे जाने दिया। रुखसाना ने अपने बाकी कपड़े उठाये और सिर्फ़ कमीज़ पहने हुए सुनील के कमरे से बहार निकली और सीढ़ियाँ उतर कर नीचे चली गयी। शराब और ज़ोरदार चुदाई के लुत्फ़ की खुमारी से वो खुद को हवा में उड़ता हुआ महसूस कर रही थी। अपने बेडरूम का दरवाजा खोल कर अंदर झाँका तो सलील अभी भी सो रहा था। बेडरूम में आकर उसने दरवाजा बंद किया और रात के कपड़े पहन कर लेट गयी। रात कब नींद आयी उसे पता नहीं चला। सुबह उठ कर नहा-धो कर तैयार होने के बाद उसने नाश्ता तैयार किया । सुनील नाश्ता करने नीचे आया तो रुखसाना के चेहरे पर अभी भी लाली थी... वो अभी भी उसके साथ नज़रें नहीं मिला पा रही थी। सलील की मौजूदगी में दोनों कुछ बोले नहीं। नाश्ता करते हुए सुनील ने टेबल के नीचे रुखसाना का हाथ पकड़ा तो वो अचानक से हड़बड़ा गयी लेकिन सुनील ने उसका हाथ छोड़ा नहीं बल्कि रुखसाना का हाथ अपनी गोद में खींच कर पैंट के ऊपर से लंड पे रख के दबाने लगा। इस सबसे बेखबर सलील सामने बैठा चुपचाप नाश्ता कर रहा था लेकिन रुखसाना की तो धड़कनें तेज़ हो गयीं और चेहरा शर्म से सुर्ख हो गया। फिर नाश्ता करके सुनील तो चला गया लेकिन रुखसाना के जज़बातों को भड़का गया।
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