RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
सुनील ने कोई रीऐक्शन नहीं दिखाया और धीरे-धीरे कमर से मालिश करते हुए अपने हाथों को रुखसाना के चूतड़ों की ओर बढ़ाना शुरू कर दिया। उसके हाथों का लम्स रुखसाना के जिस्म के हर हिस्से को ऐसा सुकून पहुँचा रहा था जैसे बरसों के प्यासे को पानी पीने के बाद सुकून मिलता है। वो चाहते हुए भी एतराज नहीं कर पा रही थी। वो बस लेटी हुई उसके छुने के एहसास का मज़ा ले रही थी। रुखसाना की तरफ़ से कोई ऐतराज़ ना देख कर सुनील की हिम्मत बढ़ी और अब उसने रुखसाना के आधे से ज्यादा नंगे हो चुके गुदाज़ चूतड़ों को जोर-जोर से मसलना शुरू कर दिया। रुखसाना की साड़ी और पेटीकोट सुनील के हाथ से टकराते हुए थोड़ा-थोड़ा और नीचे सरक जाते। रुखसाना को एहसास हो रहा था कि अब सुनील को उसके चूतड़ों के बीच की दरार भी दिखायी दे रही होगी। उसने शरम के मारे अपने चेहरे को तकिये में छुपा लिया और अपने होंठों को अपने दाँतों में भींच लिया ताकि कहीं वो मस्ती में आकर सिसक ना पड़े और उसकी बढ़ती हुई शहवत और मस्ती का एहसास सुनील को हो। सुनील उसके दोनों गोरे-गोरे गोल-गोल चूतड़ों को बाम लगाने के बहाने से सहला रहा था। रुखसाना को भी एहसास हो रहा था कि सुनील बाम कम लगा रहा था और सहला ज्यादा रहा था। जब रुखसाना ने फिर भी ऐतराज ना किया तो सुनील और नीचे बढ़ा और चूतड़ों को जोर-जोर से मसलने लगा। थोड़ी देर बाद उसके हाथों की उंगलियाँ रुखसाना की गाँड की दरार में थी। फिर उसने अचानक से रुखसाना के दोनों चूतड़ों को हाथों से चौड़ा करते हुए फैला कर बीच की जगह देखी तो रुखसाना साँस लेना ही भूल गयी। रुखसाना को एहसास हुआ की शायद सुनील ने उसके चूतड़ों के फैला कर उसकी गाँड का छेद और चूत तक देख ली होगी लेकिन रुखसाना अब तक सुनील हाथों के सहलाने और मसलने से बहुत ज्यादा मस्त हो गयी थी और उसकी चूत गीली और गीली होती चली जा रही थी। वो ये सोच कर और शरमा गयी कि सुनील उसकी बिल्कुल मुलायम और चिकनी चूत को देख रहा होगा जिसे उसने आज सुबह ही शेव किया था। उसकी चिकनी चूत को देखने वाला आज तक था ही कौन लेकिन उसके घर में रहने वाला किरायेदार आज उसके चूतड़... उसकी गाँड और उसकी चिकनी चूत को देख रहा था और वो भी पड़े-पड़े नुमाईश कर रही थी। ये सोच कर उसका दिल जोर-जोर से धक-धक करने लगा कि कहीं सुनील को उसकी चूत के गीलेपन का एहसास ना हो जाये।
पर थोड़ी देर में जब सुनील ने जानबूझकर या अंजाने में रुखसाना की गाँड के छेद को अपनी उंगली से छुआ तो वो एक दम से उचक पड़ी। उसके जिस्म में जैसे करंट लग गया हो... जैसे तन-बदन में आग लग गयी हो। रुखसाना ने एक दम से सुनील का हाथ पकड़ कर झटक दिया और उसके मुँह से निकल पड़ा, “हाय आल्लाह ये क्या कर रहा है तू...?” रुखसाना उससे दूर होते हुए उठ कर बैठ गयी। रुखसाना एक दम से घबरा गये थी और सुनील तो उससे भी ज्यादा घबरा गया था। रुखसाना को उसका इरादा ठीक नहीं लगा और घबराहट में वो एक दम से बेड से नीचे उतर कर खड़ी हो गयी। पर उसके खड़े होने का नतीजा ये हुआ कि गजब हो गया... उसकी साड़ी और पेटीकोट कमर से खुले हुए थे... जब वो खड़ी हुई तो साड़ी और पेटीकोट दोनों सरक कर उसके पैरों में जा गिरे। रुखसाना नीचे से एक दम नंगी हो गयी। इस तरह से अपने किरायेदार और बीस साल के जवान लड़के के सामने नंगी होने में उसकी शरम की कोई इंतेहा ना रही। उसे कुछ नहीं सूझा... दिमाग ने काम करना बंद कर दिया... साँस जैसे अटक गयी थी! वो घबराहट में वहीं जमीन पर बैठ गयी। इससे पहले कि रुखसाना को कुछ समझ आता... तब तक सुनील ने उसे गोद में उठा कर बेड पर डाल दिया और अगले ही पल वो हुआ जिसका रुखसाना ने तसव्वुर तक नहीं किया था कि आज उसके साथ ये सब होगा।
रुखसाना को पलंग पर पटकते ही सुनील खुद रुखसाना पर चढ़ गया। अगले ही पल रुखसाना उसके नीचे थी और वो रुखसाना के ऊपर था। उसके बाद अगले ही पल सुनील ने रुखसाना की टाँगों को हवा में उठा दिया। रुखसाना को वो कुछ भी सोचने समझने का मौका नहीं दे रहा था। अगले ही पल वो रुखसाना की टाँगों के बीच में जगह बना चुका था और पाँचवे सेकेंड में ही उसका शॉर्ट्स और अंडरवियर उसके जिस्म से अलग हो गये और उसके अगले ही पल उसने अपने लंड को हाथ में लेकर अपने लुंड का मोटा सुपाड़ा रुखसाना की चूत के छेद पर लगा दिया। एक मोटी सी गरम सी कड़क सी चीज़ रुखसाना को अपनी चूत के अंदर जाती हुई महसूस हुई।
बस फिर क्या था... शाम के वक़्त में रुखसाना के अपने कमरे में एक बीस-इक्कीस साल का किरायेदार और चौंतीस-पैंतीस साल की मकान माल्किन औरत और मर्द बन गये थे! रुखसाना की तो मस्ती में साँसें उखड़ने लगी थीं... जिस्म ऐंठ गया था... आँखें झपकना भूल गयी थी... और ज़ुबान सूखने लगी थी। उसे कुछ होश नहीं था कि क्या हो रहा है. सुनील कर रहा था... और वो चुपचप उसे करने दे रही थी... वो ना तो उसे रोक रही थी और ना ही उसे उक्सा रही थी। वो बिना कुछ बोले अपनी टाँगें उठाये और सुनील की कमर में हाथ डाले लेटी रही और सुनील का मोटा मूसल जैसा लंड उसकी चूत को रौंदता रहा रगड़ता रहा... पता नहीं कब तक रुखसाना को चोदता रहा। ऐसा नहीं था कि रुखसाना को मज़ा नहीं आ रहा था पर वो जैसे कि सक्ते की हालत में थी। जिस्म तो चुदाई के मज़े ले रहा था लेकिन दिमाग सुन्न था। फिर उसकी चूत को सुनील ने अपने गाढ़े वीर्य से भर दिया। रुखसाना अपने गैर-मज़हब वाले इक्कीस साल के किरायेदार के लंड के पानी से तरबर्तर हो चुकी थी।
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