RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
नज़ीला के जाने के बाद वो फिर नहाने चली गयी। सुबह सुनील ने साड़ी का ज़िक्र किया था इसलिये रुखसाना ने नहा कर फिरोज़ा नीले रंग की प्रिंटेड साड़ी पहन ली और साथ में सिल्वर रंग के हाई पेंसिल हील वाले खूबसुरत सैंडल भी पहने। सुनील के आने का समय भी हो चला था। सुनील आज पाँच बजे ही आ गया। जब रुखसाना ने दरवाजा खोला तो वो उसे बड़े गौर से देखने लगा। उसे यूँ अपनी तरफ़ ऐसे घूरता देख कर रुखसाना शरमाते हुए लेकिन अदा से बोली, “ऐसे क्या देख रहा है सुनील!” तो वो मुस्कुराता हुआ बोला, “वॉव भाभी! आज तो आप बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लग रही हो इस साड़ी में..!” ये कह कर वो अंदर आ गया। वो साथ में रात का खाना भी ले आया था। “भाभी ये खाना लाया हूँ... आप बाद में रात को गरम कर लेना... मैं ऊपर जा रहा हूँ फ्रेश होने के लिये... आप एक गिलास शर्बत बना देंगी प्लीज़?”
रुखसाना उसकी तरफ़ देख कर मुस्कुराते हुए बोली, “हाँ क्यों नहीं..!”
फिर सुनील ऊपर चला गया और फ्रेश होकर जब वो नीचे आया तो उसने एक ढीली सी टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहना हुआ था। रुखसाना ने शर्बत बनाया और उसे अपने बेड रूम में ले गयी क्योंकि वहाँ पे कूलर लगा हुआ था। सुनील रूम में आकर बेड के सामने कुर्सी पर बैठ गया और रुखसाना भी बेड पर टाँगें नीचे लटका कर बैठ गयी। दोनों ने इधर उधर की बात की। इस दौरान सुनील ने रुख्सना से पूछा, “भाभी अब आपकी कमर का दर्द कैसा है?”
रुखसाना मुस्कुराते हुए बोली, “अरे अब तो मैं बिल्कुल ठीक हूँ... कल तूने इतनी अच्छी मालिश जो की थी!”
अपना शर्बत का खाली गिलास साइड टेबल पे रखते हुए सुनील उससे बोला, “भाभी आप उल्टी लेट जाओ... मैं एक बार और बाम से आपकी मालिश कर देता हूँ...!”
रुखसाना मना किया कि, “नहीं सुनील! मैं अब बिल्कुल ठीक हूँ..!” लेकिन सुनील भी फिर इसरार करते हुए बोला, “भाभी आप मेरे लिये इतना कुछ करती है... मैं क्या आपके लिये इतना भी नहीं कर सकता... चलिये लेट जाइये!”
रुखसाना सुनील के बात टाल ना सकी और अपना खाली गिलास टेबल पे रखते हुए बोली, “अच्छा बाबा... तू मानेगा नहीं... लेटती हूँ... पहले सैंडल तो खोल के उतार दूँ!”
“सैंडल खोलने की जरूरत नहीं है भाभी... इतने खूबसूरत सैंडल आपके हसीन गोरे पैरों की खूबसूरती और ज्यादा बढ़ा रहे हैं... आप ऐसे ही लेट जाइये!” सुनील किसी बच्चे की तरह मचलते हुए बोला तो रुखसान को हंसी आ गयी और वो उसकी बात मान कर बेड पर लेट गयी। क्योंकि आज उसने साड़ी पहनी हुई थी इसलिये उसकी कमर पीछे से सुनील की आँखों के सामने थी। सुनील ने बाम को पहले अपनी उंगलियों पर लगाया और रुखसाना की कमर को दोनों हाथों से मालिश करना शुरू कर दिया। “एक बात बता सुनील! तुझे मेरा ऊँची हील वाले सैंडल काफ़ी पसंद है ना?” रुखसाना ने पूछा तो इस बार सुनील का चेहरा शरम से लाल हो गया। वो झेंपते हुए बोला, “जी... जी भाभी आप सही कह रही हैं... आपको अजीब लगेगा लेकिन मुझे लेडिज़ के पैरों में हाई हील वाले सैडल बेहद अट्रैक्टिव लगते हैं... और संयोग से आप तो हमेशा हाई हील की सैंडल या चप्पल पहने रहती हैं!”
“अरे इसमें शर्माने वाली क्या बात है... और मुझे बिल्कुल अजीब नहीं लगा... मैं तेरे जज़्बात समझती हूँ... कुछ कूछ होता है... है ना?” रुखसाना हंसते हुए हुए बोली। सुनील के हाथों की मालिश से पिछले दिन की तरह ही बेहद मज़ा आ रहा था। सुनील के हाथ अब धीरे-धीरे नीचे की तरफ़ बढ़ने लगे। रुखसाना को मज़ाक के मूड में देख कर सुनील भी हिम्मत करते हुए बोला, “भाभी... आपकी स्किन कितनी सॉफ्ट है एक दम मुलायम... भाभी आप अपनी साड़ी थोड़ा नीचे सरका दो... पूरी कमर पे नीचे तक अच्छे से मालिश हो जायेगी और साड़ी भी गंदी नहीं होगी।“ रुखसाना ने थोड़ा शर्माते हुए अपनी साड़ी में हाथ डाला और पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और पेटीकोट और साड़ी ढीली कर दी। रुखसाना को पिछली रात मालिश से बहुत सुकून मिला था और बहुत अच्छी नींद भी आयी थी इसलिये उसने ना-नुक्कर नहीं की। जैसे ही रुखसाना की साड़ी ढीली हुई तो सुनील ने उसकी साड़ी और पेटीकोट के अंदर अपनी उंगलियों को डाल कर उसे नीचे सरका दिया पर रुखसाना को तभी एहसास हुआ कि उसने बहुत बड़ी गलती कर दी है। रुखसाना ने नीचे पैंटी ही नहीं पहनी हुई थी... पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसके आधे से ज्यादा चूतड़ अब सुनील की नज़रों के सामने थे।
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