RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
फिर रुखसाना और सानिया ने मिल कर खाना खाया और किचन संभालने लगी। तभी फ़ारूक भी आ गया। जब रुखसाना ने उससे खाने का पूछा तो उसने कहा कि वो बाहर से ही खाना खा कर आया है। फ़ारूक शराब के नशे में एक दम धुत्त बेड पर जाकर लेट गया और बेड पर लेटते ही सो गया। रुखसाना ने भी अपना काम खतम किया और वो लेट गयी। करवटें बदलते हुए कब उसे नींद आयी उसे पता ही नहीं चला। सुबह- सुबह फ़ारूक ने ऊपर जाकर सुनील के रूम का दरवाजा खटकटाया। सुनील ने दरवाजा खोला तो फ़ारूक सुनील को देखते हुए बोला “अरे यार सुनील... मुझे माफ़ कर दो... कल तुम्हारा यहाँ पहला दिन था... और मेरी वजह से...”
सुनील: “अरे फ़ारूक भाई कोई बात नहीं... अब जबकि मैं आपके घर में रह रहा हूँ तो मुझे बेगाना ना समझें..!”
फ़ारूक: “अच्छा तुम तैयार होकर आ जाओ... आज नाश्ता नीचे मेरे साथ करना!”
सुनील: “अच्छा ठीक है मैं तैयार होकर आता हूँ!”
फ़ारूक नीचे आ गया और रुखसाना को जल्दी नाश्ता तैयार करने को कहा। थोड़ी देर बाद सुनील तैयार होकर नीचे आ गया। रुखसाना ने नाश्ता टेबल पर रखते हुए सुनील के जानिब देखा तो उसने रुखसाना को सलाम कहा। रुखसाना ने भी मुस्कुरा कर उसे जवाब दिया और नाश्ता रख कर फिर से किचन में आ गयी। नाश्ते के बाद सुनील और फ़ारूक स्टेशन पर चले गये।
इसी तरह दो हफ़्ते गुज़र गये। फ़ारूक और सुनील हर रोज़ नाश्ता करने के बाद साथ-साथ स्टेशन जाते। फिर शाम को छः-सात बजे के करीब कभी दोनों साथ में वापस आते और कभी सुनील अकेला ही वापस आता। फ़ारूक जब सुनील के साथ वापस आता तो भी थोड़ी देर बाद फिर शराब पीने कहीं चला जाता और देर रात नशे की हालत में लौटता। सुनील ज्यादातर शाम को ऊपर अपने कमरे में या छत पे ही गुज़ारता था। रुखसाना उसे ऊपर ही खाना दे आती थी। सुनील की खुशमिजाज़ी और अच्छे रवैये से रुखसाना के दिल में उसके लिये उल्फ़त पैदा होने लगी थी। उसे सुनील से बात करना अच्छा लगता था लेकिन उसे थोड़ा-बहोत मौका तब ही मिलता था जब वो उसे खाना देने ऊपर जाती थी। सुनील खाने की या उसकी तारीफ़ करता तो उसे बहोत अच्छा लगता था। रुखसाना ने नोट किया था कि सुनील भी कईं दफ़ा उसे चोर नज़रों से निहारता था लेकिन रुखसाना को बुरा नहीं लगता था क्योंकि सुनील ने कभी कोई ओछी हर्कत या बात नहीं की थी। उसे तो बल्कि खुशी होती थी कि कोई उसे तारीफ़-अमेज़ नज़रों से देखता है।
एक दिन शाम के छः बजे डोर-बेल बजी तो रुखसाना ने सोचा कि सुनील और फ़ारूख आ गये हैं। उसने सानिया को आवाज़ लगा कर कहा कि, “तुम्हारे अब्बू आ गये है, जाकर डोर खोल दो!”
सानिया बाहर दरवाजा खोलने चली गयी। सानिया ने उस दिन गुलाबी रंग का सलवार कमीज़ पहना हुआ था जो उसके गोरे रंग पर क़हर ढा रहा था। गरमी होने की वजह से वो अभी थोड़ी देर पहले ही नहा कर आयी थी। उसके बाल भी खुले हुए थे और बला की क़यामत लग रही थी सानिया उस दिन। रुखसाना को अचानक महसूस हुआ कि जब सुनील देखेगा तो उसके दिल पर भी सानिया का हुस्न जरूर क़हर बरपायेगा।
सानिया दरवाजा खोलने चली गयी। रुखसाना बेडरूम में बैठी सब्जी काट रही थी और आँखें कमरे के दरवाजे के बाहर लगी हुई थी। तभी उसे बाहर से सुनील की हल्की सी आवाज़ सुनायी दी। वो शायद सानिया को कुछ कह रहा था। रुखसाना को पता नहीं क्यों सानिया का इतनी देर तक सुनील के साथ बातें करना खलने लगा। वो उठ कर बाहर जाने ही वाली थी कि सुनील बेडरूम के सामने से गुजरा और ऊपर चला गया। उसके पीछे सानिया भी आ गयी और सीधे रुखसाना के बेडरूम में चली आयी।
इससे पहले कि रुख्सना सानिया से कुछ पूछ पाती वो खुद ही बोल पड़ी, “अम्मी आज रात अब्बू घर नहीं आयेंगे... वो सुनील बोल रहा था कि आज उनकी नाइट ड्यूटी है...!” सानिया सब्जी काटने में रुखसाना की मदद करने लगी। रुखसाना सोच में पड़ गयी कि आखिर उसे हो क्या गया है... सुनील तो शायद इसलिये सानिया से बात कर रहा था कि आज फ़ारूक घर पर नहीं आयेगा... यही बताना होगा उसे... पर उसे क्या हुआ था को वो इस कदर बेचैन हो उठी... अगर वैसे भी सानिया और सुनील आपस में कुछ बात कर भी लेते है तो इसमें हर्ज ही क्या है... वो दोनों तो हम उम्र हैं… कुंवारे हैं और वो एक शादीशुदा औरत है उम्र में भी उन दोनों से चौदह-पंद्रह साल बड़ी।
रुखसाना को सानिया और सुनील का बात करना इस लिये भी अच्छा नहीं लगा था कि जब से सुनील उनके यहाँ रहने आया था तब से सानिया के तेवर बदले-बदले लग रहे थे... कहाँ तो हर रोज़ सानिया को ढंग से कपड़े पहनने और सजने संवरने के लिये जोर देना पड़ता था और कहाँ वो इन दिनों नहा-धो कर बिना कहे शाम को कॉलेज से लौट कर तैयार होती और आइने के सामने बैठ कर अच्छे से मेक-अप तक करने लगी थी। इन दो हफ़्तों में उसका पहनावा भी बदल गया था। यही सब महसूस करके रुखसाना को सानिया के ऊपर शक सा होने लगा।
फिर रुखसाना ने सोचा कि अगर सानिया सुनील को पसंद करती भी है तो उसमें सानिया की क्या गल्ती है... सुनील था ही इतना हैंडसम और चार्मिंग लड़का कि जो भी लड़की उसे देखे उस पर फ़िदा हो जाये। रुखसाना खुद भी तो इस उम्र में सुनील पे फ़िदा सी हो गयी थी और अपने कपड़ों और मेक-अप पे पहले से ज्यादा तवज्जो देने लगी थी। रुखसाना उठी और सानिया को सब्जी काट कर किचन में रखने के लिये कहा। फिर आईने के सामने एक दफ़ा अपने खुले बाल संवारे और थोड़ा मेक-अप दुरुस्त किया। रुखसाना घर के अंदर भी ज्यादातर ऊँची हील वाली चप्पल पहने रहती थी लेकिन अब मेक-अप दुरुस्त करके उसने अलमारी में से और भी ज्यादा ऊँची पेंसिल हील वाली सैंडल निकाल कर पहन ली क्योंकि इन दो हफ़्तों में सुनील की नज़रों से रुखसाना को उसकी पसंद का अंदाज़ा हो गया था। सुनील की नज़र अक्सर हील वाली चप्पलों में रुखसाना के पैरों पे अटक जाया करती थी। सैंडलों के बकल बंद करके वो एक गिलास में ठंडा पानी लेकर ऊपर चली गयी। सोचा कि सुनील को प्यास लगी होगी तो गरमी में उसे फ़्रिज का ठंडा पानी दे आये लेकिन इसमें उसका खुद का मकसद भी छुपा था। जैसे ही रुखसाना सुनील के कमरे के दरवाजे पर पहुँची तो सुनील अचानक से बाहर आ गया। उसके जिस्म पर सिर्फ़ एक तौलिया था... जो उसने कमर पर लपेट रखा था। शायद वो नहाने के लिये बाथरूम में जा रहा था।
Top
|