RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
रुखसाना: “जी वो मैं आपके लिये खाना लायी थी!”
अभी सुनील कुछ बोलने ही वाला था कि एक बार फिर से लाइट चली गयी और रूम में एक दम से घुप्प अंधेरा छा गया। एक जवान लड़के के साथ अपने आप को अंधेरे रूम में पा कर रुखसाना एक दम से घबरा गयी। उसने हड़बड़ाते हुए कहा, “मैं नीचे से एमर्जेंसी लाइट ला देती हूँ!” पर सुनील ने उसे रोक दिया, “अरे नहीं आप वहीं खड़ी रहिये... आप मुझे बता दो एमर्जेंसी लाइट कहाँ रखी है... मैं ले कर आता हूँ!” रुखसाना ने उसे बता दिया कि एमर्जेंसी लाइट नीचे डॉयनिंग टेबल पे ही रखी है तो सुनील अंधेरे में नीचे चला गया और फिर थोड़ी देर बाद सुनील एमर्जेंसी लाइट ले कर आ गया और उसे टेबल पर रख दिया।
जैसे ही एमर्जेंसी लाइट की रोशनी रूम में फैली तो रुखसाना की नज़र एक बार फिर उसके गठीले जिस्म पर जा ठहरी। पसीने से भीगा हुआ उसका कसरती जिस्म एमर्जेंसी लाइट की रोशनी में ऐसे चमक रहा था मानो जैसे सोना हो। रुखसाना को सबसे अच्छी बात ये लगी कि सुनील के सीने या पेट पर एक भी बाल नहीं था। बिल्कुल चीकना सीना था उसका। रुखसाना को खुद आपने जिस्म पे भी बाल पसंद नहीं थे और वो बाकायदा वेक्सिंग करती थी। यहाँ तक कि अपनी चूत भी एक दम साफ़ रखती थी जबकि उसे चोदने वाला या उसकी चूत की कद्र करने वाला कोई नहीं था। तभी सुनील उसकी तरफ़ बढ़ा और रुखसाना की आँखों में झाँकते हुए उसके हाथ से खाने की थाली पकड़ ली। रुखसाना ने शरमा कर नज़रें झुका ली और हड़बड़ाते हुए बोली, “मैं बाहर चारपाई बिछा देती हूँ... आप बाहर बैठ कर आराम से खाना खा लीजिये...!”
रूखसाना बाहर आयी और बाहर चारपाई बिछा दी। सुनील भी खाने की थाली लेकर चारपाई पर बैठ गया।
“फ़ारूक भाई कहाँ हैं...?” सुनील ने खाने की थाली अपने सामने रखते हुए पूछा पर रुखसाना ने सुनील की आवाज़ नही सुनी... वो तो अभी भी उसके बाइसेप्स देख रही थी। जब रुखसाना ने उसकी बात का जवाब नहीं दिया तो वो उसकी और देखते हुए दोबारा फ़ारूक के बारे में पूछने लगा। सुनील की आवाज़ सुन कर रुखसाना होश में आयी और एक दम से झेंप गयी और सिर झुका कर बोली “पता नहीं कहीं पी रहे होंगे... रात को देर से ही घर आते हैं!”
सुनील: “अच्छा कोई बात नहीं... उफ़्फ़ ये गरमी... इतनी गरमी में खाना खाना भी मुश्किल हो जाता है!”
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