RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
मामा--- हरामखोर तेरे ये दोस्त क्या कर रहे है तुम्हारी मामी के साथ?
मैं--- क्यो मामा पसंद नही आया तुम्हे? मुझे तो लगा कि तुम्हे अपनी घर की औरतों को बाहर कर मर्दो से चुदवाना पसंद है। पसंद नही आया मामी का रण्डी रूप।
मामा--- साले रण्डी की औलाद तेरी ये हिम्मत तू मेरे ही घर मे मुझे बात सुना रहा।
मैं--- अभी तूने देखा सुना ही क्या है मामा आगे देख होता है क्या,
मामा मेरी तरफ बढ़ता है तभी प्रियंका वहा आ जाती है, और अपनी बेटी को देखकर मामा रुक जाता है।
प्रिंयका--- पापा आप और संजू रात को क्या बात कर रहे है। आप तो खेत गए थे अभी यहा क्या कर रहे है।
तभी मामी बाहर आ जाती है और कहती है अरे ये रात में क्या मिटिंग लगा रखी है?
तभी हमारे पीछे से मनोज और जय भी आंख मलते हुए आ जाते है। जैसे अभी उठे हो। मामा उनको देख के चौक जाता है ये लोग कमरे में थे अभी वहा से कहा आ गए।
फिर मामा मोके की नजाकत को समझ कर वहा से निकल जाता है।
प्रिंयका--- मम्मी ये पापा कहा से आ गए। और संजू तुम क्या बात कर रहे थे पापा से। ऐसे लग रहा था कि तुम झगड़ा कर रहे थे पापा से।
मैं---- अरे बुधु मैं तो उनका ध्यान भटका रहा था अगर सीधे कमरे मे जाते तो आज मामी गयी थी उपर।
फिर हम ठहाका लगा कर हंसते है और अपने अपने कमरे के चले जाते है और सो जाते है।
सुबह उठकर मैं पहले जय और मनोज को आगे क्या करना है समझकर वापिश भेज देता हूं।
उनको विदा करके जैसे ही मैं हाल में आता हूं मेरे मुह पर झनातेदार एक थप्पड़ पड़ता है
मैं अपना गाल सहलाते हुए देखता हूं तो सामने मम्मी खड़ी थी।
मम्मी---- कुते तेरी हिम्मत कैसे हुई अपनी मामी के साथ ये सब करने की।
मैं---- मैंने क्या किया मम्मी।
मम्मी---- अपनी मामी को अपने दोस्तों के सामने परोस दिया।
मैं-- तुम्हे किसने कहा कि मैंने ये सब किया? तुम तो अपने कमरे में सो रही थी न उस समय।
मम्मी अब बगले झांकने लगती है।
तभी आवाज गूंजती है---- दीदी क्या तुम ही रण्डी बन सकती हो मुझमे क्या कमी है। संजू की कोई गलती नही मैं खुद उन लड़कों से कुतिया बन कर चुदी हु। जब मेरे पति को बहन चोदने से फुरसत नही तो मै क्या करती। मैं भी जवान हु मेरे भी अरमान है क्या तुम्हें ही हक़ है मस्ती करने का , मैं नही कर सकती मस्ती----- मामी एक ही सांस में क्या क्या बोलती चली गयी उनको खुद मालूम नही चला होगा।
मम्मी बस उनको सांस रोके देखते ही चली गयी।
तभी मैंने देखा कि मामा ऊपर खड़े सब देख और सुन रहै है और मामी का चंडी रूप देख हतप्रभ थे।
और तभी मामी मामा को देखते हुए मुझे अपने साथ कमरे में लेकर बन्द हो गईं.
मामी ने आज मुझे एक गिलास मलाईदार दूध के साथ एक सेक्स की गोली लेने के लिए दिया. आज मामी थोड़ी गंभीर लग रही थीं, वे बहुत आराम से मुझे आलिंगन कर एक एक कपड़े उतारती रहीं. थोड़ी ही देर में हम लोग आदि मानव की तरह नंगे एक दूसरे में समा जाने की बेकार कोशिश कर रहे थे. मैं मामी को फॉलो करता रहा, मामी जैसे करतीं, मैं भी वैसे करता रहा.
हमने एक दूसरे के शरीर को चूम कर गीला कर दिया. अब मामी की सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं. मैं उनके एक निप्पल को चुटकी से मसलता और दूसरे को मुँह में लेकर चूस रहा था. उनकी सांस उखड़ने लगी थी, तभी मामी ने 69 की स्थिति में आकर खेल का रुख बदल दिया.
अब हम एक दूसरे के गुप्तांग चाटने लगे.. मुझे उस आनन्द की अनुभूति को बयान करने के लिए शब्द नहीं हैं.
मामी एक बार झड़ चुकी थीं, उनकी चुत से निकलता काम रस मेरी उत्तेजना बढ़ा रहा था. फिर मामी ने लंड डालने का संकेत किया, मैंने बहुत सावधानी से उनकी टांगें ऊपर कर चुत पर टोपा टिका कर दबाव बनाया और लंड आराम से अपने मांद में समा गया. लंड के घुसते मामी बुरी तरह सिसकार उठीं और चीख पड़ी उनकी चीख हवेली में गूंज उठी, तो मैं भी मौके पर चौका मारते हुए उनके मम्मों को दबाने लगा. वो धीरे से आँख बंद करके चूचों को मसलवाने के मजे लेने लगीं.
उन्होंने धीरे से कान में कहा- तुम नीचे हो जाओ.. मैं ऊपर आती हूँ.
मैंने वैसे ही किया, उसके बाद मामी मेरे मूसल लंड पर सवार होकर बेतरतीब उछलने लगीं. हर बार उनके गुदाज चूतड़ मेरी वासना भड़का रहे थे. नजर के सामने दो झकाझक सफेद चुचियां ऐसे उछल रही थीं, जैसे कि दो कबूतर उड़ने को बेताब हों.
पूरे कमरे में मामी की कामुक सिसकारियों के साथ थप थप का संगीत गूँज रहा था, जो माहौल को गर्म कर रहा था.
मामी आगे पीछे, दाएं बांए होकर चुत रगड़ रही थीं, जैसे चुत की महीनों की जंग छुड़ा रही हों. लगभग बीस मिनट में मामी की गति तेज हो गई और हर धक्के के साथ वे चीखकर गरम लावा छोड़ने लगीं. इसके बाद मामी मेरे ऊपर निढाल हो गईं.
तभी मुझे दोनो भाई बहन झरोखे से झांकते दिखे। मामा और मम्मी बाहर से कमरे का कार्यक्रम देख रहे थे।
तभी प्रियंका भी कमरे में आ गई. बहन को देख कर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा. पिछले तीन दिन में बहन की काया ही बदल गई थी, मेरी बहन के चूतड़ पहले की अपेक्षा भारी हो गए थे और चुचियां बिल्कुल तन गई थीं. देखने पर वो एक सेक्स की देवी लगने लगी थी.
मैंने मामी को नीचे बेड पर लेटा कर प्रियंका को अपनी बांहों में भर लिया. वो धीरे से मुझे चुम्बन करने लगी और अपने होंठों को मेरे होंठों के साथ सटा कर उसने एक लम्बा चुम्बन किया. मैं भी धीरे से उसके मस्त मम्मों को दबाने लगा. अपने रसीले मम्मों को दबवाते ही वो एकदम से गर्म हो गई और इधर मेरा लंड भी उफान पर आ गया था.
प्रियंका ने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे हाथ में लेकर सहलाने लगी, मैंने भी उसकी चूत को ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया. थोड़ी देर बाद प्रियंका के सलवार सूट को मैंने उतार दिया, मेरी मस्त बहन ने अन्दर काली ब्रा और काली पैन्टी पहनी हुई थी. उसकी जालीदार ब्रा के हुक को मैंने धीरे से खोल दिया.
आह्ह..… क्या तने और कसे हुए चूचे थे. एक बार चुदने के बाद उनमें आज गजब की चमक बिखर रही थी. मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं दोनों हाथों से उसकी चूचियों को सहलाने और दबाने लगा, मेरी बहन भी धीरे धीरे सिसकारियाँ लेने लगी.
फिर उसने कहा- भाई इन्हें चूस चूस कर इनका रस निकाल दो.
मैं भूखे शेर की तरह अपनी बहन के मम्मों पर टूट पड़ा और उसकी चूचियों को दबाने और चूसने लगा. कुछ देर बाद मैंने अपनी बहन की पैन्टी के अन्दर हाथ डाल कर उसकी चूत को मसलने लगा.
अब मेरी बहन ने मेरे लंड को पकड़ा और हिलाने लगी. अगले कुछ ही पलों में मेरा 8 इंच का लंड दुबारा तन कर उसके सामने खड़ा था. मेरी बहन भी भूखी शेरनी की तरह लंड को निहारने लगी और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.
‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ क्या मजा आ रहा था.. ऐसा लग रहा था कि मैं मानो हवा में उड़ रहा होऊं.
उधर मामा और मम्मी दोनो आंखे फाड़े देख रहै थे कि जो उन्होंने बोया था आज वही काट रहे है।
इधर मामी भी अपनी सांसों को नियंत्रित कर के अपनी बेटी की चुत चाटने लगी थीं. कुछ देर लंड चूसने के बाद प्रियंका बेड पर लेट गई और उसने अपने दोनों पैर फैला लिए और मुझे चूत चोदने के लिए बुलाने लगी. मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में जा कर बैठ गया और झट से उसकी चूत को चूम लिया.
मेरे मुँह लगाते ही मेरी बहन के मुँह से मादक सिसकारी निकल गई- आआह्ह्..
मैं प्रियंका की चूत को चूसने लगा और अपनी जीभ को उसकी चूत के बीच डाल कर काम रस को चाटने लगा. करीब दस मिनट में प्रियन्का पागलों की तरह मेरा सिर अपने हाथों से पकड़ कर अपनी बुर में दबा रही थी और चुत चोदने की मिन्नत कर रही थी- आह.. अब चोद भी दे भाई.. चोद दे..
मैं अपना लंड प्रियंका की चूत के छेद के पास ले जाकर डालने की कोशिश करने लगा. लेकिन मैं लंड डालने में सफल नहीं हुआ.. तो मामी ने मेरी मदद करते हुए मेरे लंड के सुपारे को चूत के छेद के निशाने पर लगा दिया.
तभी मैंने धीरे से एक झटका लगा दिया. मेरे लंड का सुपारा प्रिंयका की बुर में घुस गया. लेकिन प्रियंका को दर्द नहीं हुआ तो मैंने पूछा- दर्द क्यों नहीं हुआ?
तो उसने मुस्कुराते हुए कहा- मेरी चूत की झिल्ली फाड़ चुके हो भाई, अब दर्द नहीं होगा.
ये सुन कर मैंने एक और तेज़ झटका लगा दिया और मेरा पूरा 7 इंच का लंड उसकी चूत के अन्दर समां गया.
इस झटके से उसको थोड़ा सा दर्द हुआ.. तो मैं रुक कर उसको चुम्बन करने लगा और चूचियों को दबाने लगा. कुछ देर बाद जब प्रियंका सामान्य हुईं तो मैं अपने लंड को आगे-पीछे करने लगा.
मेरी बहन के मुँह से मस्त आवाजें आने लगीं- आआह.. आअईई.. फाड़ दे बहनचोद!
मैं भी तेज़ी से झटके देने लगा कुछ देर बाद प्रियंका भी गांड उठा उठा कर साथ देने लगी. दस मिनट बाद उसका बदन अकड़ गया और वो झड़ गई.. पर मैं रुका नहीं.. उसे यूं ही धकापेल चोदता रहा.
इधर मामी फिर से दोनों टांगें ऊपर कर तैयार थीं, मैंने प्रियंका की चूत से गीला लंड खींचा और मामी की चुत में पेल दिया और जोर जोर से चोदने लगा.
उधर कुछ ही पल में प्रियंका फिर से चुदासी हो गई और उसने भी चुदाई की मुद्रा में अपनी चूत खोल दी.
मामा अपनी पत्नी और बेटी की चुदास देख कर हैरान थे। उन्होंने किया लेकिन छुप कर किया यहाँ दोनो उनके सामने चुद रही थी।
अब कभी मैं मामी की चुत में.. और कभी प्रियंका की चुत में बारी बारी से लंड पेल कर उन दोनों को चोदता रहा. पूरे कमरे में चुदाई की संगीत ‘फच.. पछह’ बिखरने लगा. काफ़ी देर तक चोदने के बाद दूसरी बार मामी झड़ने लगीं, तब मैं भी झड़ने वाला हो गया था.
मैंने लंड को मामी की चुत में से निकाल कर प्रियंका के मुँह में लगा दिया. मेरी बहन ने मेरे लंड का सारा का सारा वीर्य पी लिया और मेरे लंड को चाट चाट कर साफ़ कर दिया.
उसके बाद मैं, मामी और प्रियंका नंगे ही एक दूसरे से लिपट गए और मामा को देखकर मुस्कराने लगे.
उस दिन मामा के सामने प्रिंयका को मैंने दो बार एवं मामी को तीन बार चोदा.
जब हम फ़ारिग़ हुए तो मामा हवेली से जा चुके थे। मम्मी बाहर हाल में बैठी मिली।
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