RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
फिर मैं नीचे आ गया। नीचे किरण दी प्रियंका दी और सीमा अपनी बातो में लगी थी। मम्मी बाहर हाल में कुछ गांव की महिलाओं के साथ बैठी थी। मामा कहि नही दिख रहे थे।
मैंने सब को बारी बारी से प्रणाम किया और बैठ गया, चाय बिस्कुट ली और फिर वैसे ही उन महिलाओं से बात चित करने लगा, पर मेरी नजर हमेशा मामी पर ही था वो रसोई में खाना बना रही थी, और आ जा रही थी, मेरे तो ह्रदय के कमल खिल रहे थे उनकी मुस्कुराहट पे, मैं मामी को पूछा मामी जी मामा जी कब आते है घर पे, तो वो बोली उनका कुछ भी पता नहीं, वो बड़े बिजी रहने लगे है आजकल कभी कभी वो नहीं भी आते है, क्यों की खेत में भी सोने का जगह है. तभी हॉर्न की आवाज आई और मामा जी आ गए, मैंने फॉर्मलटी में उनको भी प्रणाम किया पर वो मामी जी से बोले, जल्दी मुझे खाना दे दो मुझे अभी दोबारा खेत के लिए निकलना है, जरुरी काम आ गया है, और मामा जी खाना खाके जल्दी ही चले गए,
फिर मैंने खाना खाने बैठ गया, मामी जी जब भी आती थी रोटी देने तब उनके बड़े बड़े गोर गोर बूब्स का दर्शन हो जाता था, मेरी निगाह उनके ब्लाउज के ऊपर से निकले हुए चूची पे ही था, पर वो भी भाप गयी की मैंने उनके चूची को ही देख रहा हु, इस बार आई और मुस्कुराते हुए बोली क्या देख रहे हो संजू, मैं मन ही मन सोचा मैं तो आपको चूची देख रहा हु मामी जी, क्या मामा जी दबाते नहीं है क्या क्यों की ये एक दम टाइट और सुडौल है, पर मैंने कह दिया नहीं नहीं मामी जी कुछ भी नहीं, बस यूं ही, आज आप बड़े ही सुन्दर लग रहे हो
कहते ही वो ज़ोर से हंसते हुए मेरी तरफ भागी और स्पीड के कारण मुझसे आकर टकरा गई। मैंने अपने बचाव के लिए हाथ आगे बढ़ाया.. लेकिन वो फिर भी मुझे अपने साथ लेकर बेड पर गिर गई। मामी मेरी बॉडी पर सीधे गिरी थी। मुझे पहली बार इतना सेक्सी सीन देखने को मिल रहा था.. उसके दोनों बड़े बड़े बूब्स मेरी छाती से लग कर दब रहे थे और में उन्हें बहुत अच्छे से महसूस कर सकता था.. वो एकदम मुलायम थे और मेरी छाती से दबने के कारण उनके बूब्स उनके सूट और ब्रा से बाहर झाँकने लगे थे.. एकदम गोल आकार में और उन्हें देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगा था। तभी मामी ने अपना घुटना मेरे लंड के ऊपर रख दिया और धीरे से घूमने लगी और करीब 15-20 सेकण्ड उसी पोज़िशन में रही और वो कह रही थी कि..
मामी : क्या तू मुझे रोक नहीं सकता था? तू मुझे पकड़ लेता तो शायद हम गिरने से बच जाते और वो तो बहुत अच्छा हुआ कि हम बेड के पास खड़े थे और हम बेड पर ही गिर गये। फिर वो सेक्सी स्माईल देते हुए उठते समय मेरे लंड पर अपने घुटने को दबाने लगी और फिर उठकर कांच के सामने जाकर अपने बाल सेट करने लगी। फिर उन्होंने मुझमें एक ऐसी आग जला दी थी जो अपनी सीमा पार कर चुकी थी.. में उठा और धीरे धीरे उनके पीछे गया और जैसे ही उनको पकड़ने के लिये अपने हाथ उनकी कमर के दोनों तरफ से आगे लेकर जाने लगा कि तभी उन्होंने मेरे हाथ पकड़ लिए और घूम गई।
मामी : यह क्या कर रहा है?
में : मामी में आपसे सेक्स करना चाहता हूँ।
पता नहीं कहाँ से मेरे दिमाग में यह बात आई और मैंने हिम्मत करके बोल दी।
ऐसा बोलने पर मेरे पसीने छूट रहे थे और यह बोलने के साथ ही उनको गुस्सा आ गया और मुझे थप्पड़ मारने लगी.. लेकिन मैंने अपना हाथ बीच में ले लिया तो मेरे गाल पर थप्पड़ लगने से बच गया.. लेकिन उन्होंने तभी मेरा हाथ पकड़कर मुझे धक्का दिया और कमरे से निकल जाने को कहा और साथ में कहा कि में तेरी मम्मी को यह बात बताउंगी। तो फिर मैंने नाटक किया और फिर मैंने उनसे विनती की.. प्लीज़ आप मेरी मम्मी को मत बताना.. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.. दोबारा आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा। फिर जैसे ही में मुड़कर जाने लगा तो मामी बोली कि में समझती हूँ.. इस उम्र में ऐसा हर किसी के साथ होता है। लेकिन यह तो देखो कि तुम जिसके साथ ऐसा करने की सोच रहे हो वो कौन है? में तुम्हारी मामी हूँ और क्या मेरे साथ ऐसा सोचते हुए तुम्हें शरम नहीं आई? क्या तुम्हें डर नहीं लगा।
मैं---मामी जब से तुम्हे देखा है बस कंट्रोल नही हो रहा है और अपने आप मुझसे गलती हो जाती है।
आगे से ध्यान रखूंगा की ऐसी कोई हरकत न हो।
और वहा से बाहर आ जाता हूं।
थोड़ी देर में मामी आती है और मुझसे कहती है कि संजू मेरे साथ चलो गांव में कुछ काम है
बिना कुछ बोले उनके साथ चल पड़ता हु लकीन कुछ बात नही करता।
मामी : क्या बात है? तू मुझसे बात क्यों नहीं करता है?
तो मैंने कोई जवाब नहीं दिया और में नीचे मुहं करके चुपचाप चलता रहा।
मामी : क्या तू नाराज़ है मुझसे? और क्या तुझे अभी भी मुझसे डर लग रहा है?
में : ( तो में थोड़ी हिम्मत करके बोला ) भला में क्यों डरूंगा?
मामी : क्यों भूल गया क्या वो बात.. दिन में तो तेरी गांड बहुत फट रही थी।
फिर ऐसे शब्द उनके मुहं से सुनकर में थोड़ा नॉर्मल हुआ और में भी उनसे थोड़ी बहुत बातें करने लगा।
में : में नहीं भूला.. मुझे सब पता है।
मैंने फिर से थोड़ी हिम्मत करके कहा कि मामी प्लीज़ मेरी गर्लफ्रेंड बन जाओ ना।
मामी : थोड़ी देर मेरी तरफ देखते हुए बोली कि चल ठीक है आज से में तेरी गर्लफ्रेंड हूँ।
फिर मेरी जेब में एक चोकलेट थी जिसमे वो ड्रग्स मैने मिल रखी थी तो मैंने उनको वो दे दी।
फिर उसके अगले दिन।
मामी : क्या बात है आज तू बड़ा खुश नज़र आ रहा है?
में : हाँ अब मेरी भी एक गर्लफ्रेंड जो बन गई है इसलिए में बहुत खुश हूँ।
फिर ऐसा कहते हुए में उनके बूब्स की तरफ घूर घूर कर देखने लगा।
मामी : तू ऐसे क्या देख रहा है और तुझे क्या चाहिए?
में : मुझे आपके साथ सेक्स करना है
फिर ऐसा कहते हुए उन्होंने मुझे ज़ोर से पीछे धक्का दिया और फिर किचन में जाकर काम करने लगी।
फिर मैंने मामी को पीछे से हग किया और गर्दन पर किस करते हुए चाय के लिए बोला तो उन्होंने बिना मुझे हटाये चाय बनाने लगी मैं उनसे वैसे ही खड़ा रहा और फिर चाय बन गयी तो मैंने कहा कि मैं डालता हु चाय आप बैठो।
मामी साइड हो गयी और मैंने चाय कप में डाली और वो ड्रग मिला दी मामी की चाय में।
फिर बैठ कर हम चाय पीने लगे। चाय पीने के बाद मामी फिर काम मे लग गयी ।
साला मामी पर ड्रग्स का असर क्यो नही हो रहा है।
मैं बाहर गांव गुमने आ गया और इधर उधर खेत देखने लगा। तभी घूमते घूमते मैं मामा के खेत मे पहुच गया।
जब खेत मे पहुचा तो देखा कि मम्मी वहा पहले से मौजूद थी। मुझे देखते ही मम्मी बोली संजू यहा क्या कर रहा है।
मैं---खेत देखने आ गया । आप क्या कर रहै हो यहाँ। घर से कब आयी।
तभी मामा आ गए वहा और मुझे अजीब से देखने लगे।
मैंने मुस्करा के मामा को कहा मामा क्या कर रहे है?
मामा--कुछ नही।
मैं समझ गया कि इसने मम्मी को बुलाया होगा और मैं बीच के पहुच गया।
मैंने ममी को पूछा कि घर चल रही हो या रुक कर आओगी।
अब बेचारी मम्मी ये तो कह नही सकती थी कि उनको चुद कर आना है तो साथ हो ली मेरे। लेकिन चेहरे से लग रहा था कि मन मे गालिया दे रही हैं।
जब हम वापिश आ रहे थे तो मम्मी की काकी जो वही पास में रहती थी तो अपने घर ले गयी और जिद करके हमे खाना खिला दिया।
फिर हम घर आ गए
मैंने खाना मम्मी के साथ काकी के घर खा लिया था इसलिए डिनर के लिए मना करके सीधा मामी के रूम में लेटकर टी.वी. देखने लग गया. थोड़ी देर में मामी काम निपटा कर आईं, उनसे औपचारिक बातें हुईं, पर थकावट के कारण मुझे कुछ जबाब नहीं सूझ रहा था तो आँखें मूंद लीं. मुझे सोता देख, मामी प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेरती फेरती मेरे बगल में सोने का उपक्रम करने लगीं.
उनका कोमल स्पर्श मुझे कुछ अजीब सा महसूस होने लगा और मेरी नींद जाती रही. मैं कोशिश करके भी नहीं सो सका. कभी ऐसा अजीब महसूस नहीं हुआ था. चढ़ती जवानी में मेरा लंड मामी के स्पर्श से सर उठाने लगा. लाख कोशिश करने पर भी लंड मामी की पेट में चुभने लगा. शर्म के मारे मेरी रात की नींद काफूर हो गई. उनके साथ स्पर्श में मुझे पसीना आने लगा.
मामी को मेरे खड़े होते लंड का अहसास हो चुका था, जो उनके पेट में ठोकरें मार रहा था. मामी धीरे धीरे मुझे उकसाती हुई मेरे लंड से पेट सटा कर खेलती रहीं. अब अपने को रोक पाना मुझसे मुश्किल हो गया।
अब मामी भी उत्तेजित होने लगीं ,शायद ड्रग्स का असर हो गया था और अचानक उन्होंने उठ कर अपनी सूट एवं सलवार निकाल दी और पूरी नंगी हो गईं. मैंने भौचक्का सा उन्हें देख रहा था तभी अगले ही पल मामी मेरे नजदीक हुईं और मेरे एक एक कपड़े को निकाल कर मुझे भी नंगा कर दिया.
टयूबलाईट की रोशनी में मामी का नंगा बदन अंगारे की तरह दमक रहा था. वे देखने में कतई दो बच्चों वाली नहीं लगती थीं. उनकी शारीरिक बनावट भी कुछ अजीब और मस्त सी थी, मेरी आंखें फटी रह गईं और बरबस ही मेरा कोमल हाथ उनकी गहरी नाभि में रेंगने लगा. मामी का संरमरमर सा बदन देखकर ऐसा लग रहा था, जैसे मेरे पास जूही चावला सोई हो. मामी की दो बड़ी-बड़ी मस्त और कठोर उन्नत चूचियों की ढलान सपाट पेट से होते हुए गहरी नाभि में समा गई और फिर कदली जैसी जांघों के बीच पाव रोटी जैसी फूली हुई मुलायम चुत देखकर मैं भी किसी स्वपन लोक में विचरण करता रहा
जब मामी ने अपने मुँह में मेरा लंड लिया, तब मेरी तंद्रा टूटी. मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा लंड फट जाएगा. मैं असहाय सा आहें भरता रहा. लंड चूसते चूसते शायद उनका पेट भर आया और डकार मारकर अचानक मामी ने पैंतरा बदला और मेरे लंड पर चुत टिका कर बैठ धीरे धीरे दबाव देने लगीं. मेरा लंड मामी की चुत में समाता चला गया.
मुझे ऐसा लगने लगा, जैसे किसी जलती आग में मेरा लंड चला गया हो. जड़ तक लंड जाते ही मामी चिहुंक उठीं और ताबड़तोड़ लंड की सवारी करने लगीं. हर चोट के साथ उनकी चीख निकल रही थी.
औरत का यह रौद्र रूप मुझे आज पहली बार देख रहा था , कामातुर मामी लंड पर खिलाड़ी की तरह कमरताल के साथ चुत पटकती रहीं. करीब बीस मिनट में उनका शरीर ऐंठने लगा और लंड पर थाप, गति की अपेक्षा तेज हो गई.
फिर एक जोरदार चीख के साथ मामी का लावा बह गया और इसके साथ ही उनकी उछल कूद मचाती दोनों चुचियां भी शांत हो गईं, जो अब तक उनकी कमर के हर उछाल के साथ हवा में लहराती रही थीं.
इधर अब भी मेरा लंड मामी की चुत से बाहर निकल कर सिंह गर्जना कर रहा था, यह देखकर मामी की खुशियां दोगुनी हो गईं और वे गांड मरवाने के लिए घोड़ी बन कर मुझे अपनी गांड में लंड डालने को इशारा करने लगीं.
मैंने मामी से अनजान बनते हुए कहा- मुझे नहीं आता है, अपने आप से कर लो.
तो उन्होंने चुदासी कुतिया बन कर अपनी गीली गांड में लंड का टोपा लगाकर मुझे धक्के मारने का इशारा किया. एक धक्के में ही मैंने गोल गोल चूतड़ों के बीच उनकी कसी हुई गांड में अपना मूसल सा लंड जड़ तक ठोक दिया.
मामी दर्द के मारे बिलबिला उठीं और मामी की गांड से खून आने लगा. मुझे चुत से ज्यादा गांड में मजा आने लगा था.. इसलिए मैं धीरे धीरे मामी की चुदाई करता रहा.
मेरा आनन्द हर सीमा को तोड़ गया और इसके साथ ही मैं हब्शी की तरह मामी की गांड को मारता रहा.
मामी हर कोण से चुदवाती रहीं और मैं पूरी रात गुलाम की तरह उनकी चुत और गोरी गांड बजाता रहा.
अब मेरे शरीर में थोड़ी सी भी हिलने की ताकत नहीं रह गई थी, साला अब मालूम चला कि क्यो मम्मी और दीदी ड्रग्स के कारण चुदने को व्याकुल रहती है,और मामी की हुई,इसलिए दो बार चुत और तीन बार गांड मारकर हम एक दूसरे को पकड़े पता नहीं कब सो गए।
मामी को चोदते चोदते अहसास ही नहीं हुआ कि कब तीन दिन निकल गए. मैने मम्मी और दीदी का भी ध्यान नही रहा कि वो कहा रहती है।
अगले दिन दोपहर लंच के बाद मामी को मेरा लंड चूसते हुए अचानक मामी की बेटी प्रियंका ने हम लोगों को रंगे हाथ पकड़ लिया था. पहले मेरी नजर प्रियंका पर पड़ी थी. अब मेरी हालत ऐसी कि काटो तो खून नहीं.
तुरन्त मामी के मुँह से लंड खींचकर अपनी पतलून की जिप लगाने की मैं नाकाम कोशिश करता रहा.
उधर प्रियंका अपनी मम्मी पर बुरी तरह चीखती चिल्लाती रही. मैं मूक दर्शक बना मां बेटी की चिल्लम पों सुन कर भयभीत हो गया था. प्रियंका की खुलेआम चुनौती मिली कि अब मैं ये करतूत घर में सभी को बताऊँगी.
मामी गिड़गिड़ा कर मिन्नतें करती करती हताश हो गईं, परन्तु प्रियंका कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थीं. हताशा में उन्होंने एक झटके में प्रियंका को खींच कर बेड पर पटक दिया और मुझे उसकी सलवार उतारने का इशारा किया.
मैं मामी की इस हरकत से एक बार सन्न हो गया था. परन्तु बिना समय गवाएं मैं प्रिंयका की सलवार को उसकी टांगों से उतारने में कामयाब भी हो गया और वह जल बिन मछली की तरह तड़पती रही.
मामी ने प्रियंका को काबू में करके, बिस्तर में दबा कर मुझे उसको नंगी कर उसकी बुर चाटने का हुक्म दाग दिया.
मरता क्या नहीं करता, मैं अपनी ममेरी बहन की काली पैन्टी निकाल आज्ञाकारी कुत्ते की तरह फटाफट बुर चाटने लगा. उसकी कुंवारी रोयेंदार बुर की महक से अब मेरा भय जाता रहा और मैं पूरी तन्मयता से उसकी छोटी सी बुर चाटने लगा.
मेरे होंठों का वार सहन नहीं कर सकी और मेरी बहन की बुर से मूत निकल गया.
अब उसका विरोध भी ढीला पड़ता गया और वो मुझे गन्दी गन्दी गालियां देते हुए आत्मसमर्पण कर गई.
आखिर बीस साल की अकेली जान, कब तक हम दोनों का मुकाबला करती. मैं और भी जोश में उसकी बुर चूसने लगा. मक्खन सी बुर का कसैला नमकीन स्वाद पाकर लंड फिर से आकार लेने लगा था.
अब वह कमर उठा कर मेरे मुँह पर बुर मार रही थी, जिससे बार बार मेरे मुँह से बुर बाहर निकल जा रही थी. पर मैंने भी हार न मानी और बुर के अन्दर तक जीभ घुमा घुमाकर अर्चना की बुर को चूसता रहा.
मामी प्रियंका के सिर पर हाथ फेरते हुए संतोष की सांस ले रही थीं. तभी प्रियंका एक मार्मिक चीख के साथ अपना कामरस छोड़ने लगी और मैंने गरम और नमकीन पानी चाट कर उसकी बुर को साफ साफ कर दिया.
अब मेरा मन उसकी मांसल जांघों और गुदाज चूतड़ों को देखकर चोदने को हो रहा था, परन्तु मामी ने मना कर दिया और मुझे अपने ऊपर खींच कर चोदने का इशारा किया.
अपनी इच्छा पूरी करने के लिए मैं कपड़े हटा कर मामी की चुत में मुँह लगा कर इस कदर से बुरी तरह चूसने चाटने लगा कि बस दो मिनट में ही मामी का लावा भलभला कर निकल गया. तभी मैंने अपना लंड मामी की चुत में डाल दिया. बीस मिनट तक पूरे जोर जोर से मामी को चोदता रहा और प्रिंयका मुझे देखकर मुस्कुराती रही. उसकी मुस्कुराहट में अपनी जीत महसूस कर रहा था इसलिए जब मेरा लंड पूरे उत्कर्ष पर था, तभी मैंने मामी की चुत से निकाल कर प्रिंयका के मुँह में अपना लंड डाल दिया.
वह लंड बाहर निकालने की कोशिश करती रही और मैं तुनक तुनक कर उसके कंठ में झड़ता रहा.
उसे कुछ स्वाद अच्छा सा लगा इसलिए उसने मेरा लंड चूस कर साफ कर दिया.
अब मामी ने कहा- प्रियंका मैं एक नारी हूँ और नारी की भावना को समझते हुए मैंने तुम्हारा कामरस निकालने का कठोर निर्णय लिया. तुम अपनी मर्जी से कभी भी हमारे साथ शामिल हो सकती हो बशर्ते किसी को भनक तक नहीं लगे.
मामी की बात से मुझे एहसास हुआ कि क्यो मम्मी ने दीदी को मामा के आगे सुला दिया। आज वही हुआ जो कभी मेरे परिवार में हुआ होगा।
कुछ पल बाद खेल फिर शुरू हो गया, अब सामने अधनंगी प्रियंका भी थी. इधर मैं प्रिंयका की कमसिन और स्वादिष्ट चुत चाट कर मन ही मन उसको चोदने की सोच रहा था और उधर मामी मुझे खींचकर दुबारा से अपनी चुत की आग ठंडी करने में लग गई थीं.
मामी की गोरी चुत चोदते हुए मेरी नजर प्रिंयका से मिली तो वो मुस्कुराने लगी और मुझे उसकी मुस्कुराहट से जान में जान आ गई. मैंने मामी की चुत से लंड निकाल कर प्रिंयका के मुँह में फिर से लंड का पानी झाड़ दिया.
प्रिंयका ने मेरे पूरे लंड को चचोर कर ऐसा चूसा, जैसे लगता था कि चबा जाएगी. धीरे धीरे मुझे भी सुख की अनुभूति होने लगी थी.
मेरी कद काठी ठीक ठाक रही हैं, इसलिए लंड कुछ देर बाद अपना आकार लेने लगा था, जिसे देखकर प्रिंयका बार बार प्रसन्न हो रही थी.
मैं उसके बचे हुए कपड़े एक एक करके निकालने लगा. उसके दूध जैसे उजले जिस्म का कटाव यही कोई 32-28-32 और हाईट पूरे 170 cms की थी. मामी से भी सुन्दर उसके उठे हुए मम्मों को तो देखते ही उसे चोदने का मन करने लगा था. उसके उन्नत मम्मों के ऊपर भूरे दाने, किसी पहाड़ की चोटी की तरह खड़े अपने फतह किए जाने का इंतजार कर रहे थे.
झील सी गहरी काली आंखों में तैरते लाल डोरे.. वासना का आमंत्रण देते लग रहे थे. गोल गोल कटोरे जैसे चूतड़ और चिकनी मोटी मोटी जांघें किसी भी मर्द से टकराने की माद्दा रखती दिख रही थीं. पावरोटी की तरह फूली बुर पर सुनहरे रोयें और उसके ठीक ऊपर गहरी नाभि किसी की भी नियत खराब करती इठला रही थी.
कुल मिलाकर बीस साल की कचक जवान लड़की मेरे लंड से चुदने को बेकरार थी और मैं भी 167सेंटीमीटर हाईट और 62 किलो का गबरू जवान लड़का उसकी नथ उतारने के लिए उतावला था.
उधर मामी अपनी चुदी हुई चुत पर हाथ फेरती हम दोनों की कामक्रीड़ा का भरपूर आनन्द ले रही थीं.
हम दोनों जल्द ही 69 की पोजीशन में आ गए और एक दूसरे के गुप्तांगों को छेड़ कर उत्तेजित करने लगे. अभी अभी हम दोनों ही झड़े थे इसलिए मजा बहुत आ रहा था. मैंने प्रिंयका की अनचुदी बुर को चौड़ी करके जीभ से अन्दर का रस चाटता रहा. प्रिंयका के प्रीकम से मेरा मुँह लिसलिसा सा हो गया था.
तभी मामी ने खोद कर मुझे अपना लंड मेरी बहन की बुर में डालने का इशारा किया. मेरे 8 इंच लम्बे और 2 इंच मोटे लंड को बहन ने चूस चूस कर गहरा लाल कर दिया था.
बहन के सिर को मामी अपनी गोद में रखकर उसके दोनों मम्मों को सहलाने लगीं और मैंने मामी के बताए अनुसार थोड़ा फेश वाश लेकर बहन की बुर और अपने लंड पर लगा कर दोनों टांगों को ऊपर किया. दीदी की बुर फैला कर अपने लंड का टोपा सैट करके मामी से नजरें मिलाईं.
उन्होंने कहा कि जब तेरी बहन सांस अन्दर खींचे तो करारा चोट कर देना और अगर एक बार में नहीं डाल सके तो ये दूसरी बार तुझे चूत छूने भी नहीं देगी.
मैं बुर को किसी भूखे भेड़िये की तरह निहारता हुआ तैयार था. प्रियंका के सांस खींचते ही एक झन्नाटेदार धक्का दे मारा. मेरे लंड महाराज बहन की कुंवारी बुर की सील भंग करते हुए आधे से अधिक समा गए और इसी के साथ बहन एक हृदय विदारक चीख मार कर बेहोश हो गई.
मामी ने मुझे जस का तस रोक दिया और बहन के होश में आने तक उसके मुँह पर पानी के छींटे देती रहीं.
बहन की बुर से खून निकल रहा था और उसकी नंगी चुचियां सांस के साथ ऊपर नीचे हो रही थीं. अब धीरे धीरे मेरी ममेरी बहन होश में आने लगी और मेरी पकड़ से निकलने की बेकार कोशिश करने लगी.
समय की नजाकत को समझते हुए मामी ने मुझे धीरे धीरे चुदाई करने का इशारा किया. मैं छूटती हुई सवारी गाड़ी की तरह एक रफ्तार में चोदने लगा.
बहन थोड़ी देर में सामान्य हो गई और कमर उछाल उछाल कर अपनी बुर में ज्यादा लंड की मांग करने लगी. मुझे अपने लंड पर मामी की चुत से बहुत अधिक कसाव अनुभव हो रहा था. मुझे भी अब कुंवारी कन्या की बुर चोदने के असीम आनन्द की प्राप्ति होने लगी और मैं किसी मंजे हुए खिलाड़ी की तरह ताबड़तोड़ चोदते हुए बुर की धज्जियां उड़ाने लगा.
प्रिंयका आनन्द के उन्माद में एक हाथ में मामी के चुचे और दूसरे हाथ में तकिया भींच रही थी. करीब दस मिनट की भयंकर चुदाई के बाद दीदी दहाड़ मार मार कर झड़ने लगी और उसने मामी के एक चुचे को इतनी जोर से भींचा कि दीदी की दहाड़ के साथ मामी की भी चीख निकल गई.
मैं कुछ दिनों के अनुभव को लेकर एक रफ्तार में चुदाई करता रहा और प्रिंयका को ऐंठ ऐंठ कर गरम कामरस छूटने को महसूस करता रहा था.
आज मैंने भी चरम सुख भोगते हुए बहन की बुर में अपना लावा छोड़ दिया, जिसकी अनुभूति से प्रिंयका भी खिलखिला कर हंसने लगी, साथ में मामी भी हंसने लगीं.
दोनों मां बेटी की खुशी में मैं भी शरीक, खुश हो रहा था क्योंकि चार दिनों में मुझे दूसरी चुत चोदने को मिली थी.. वह भी सील पैक.
हम तीनों वहीं नंगे ही सो गए, करीब शाम पांच बजे मामी ने हम दोनों को जगाया. हम तीनों ने एक दूसरे के होंठों को चूम कर फ्रेश होने बाथरूम में नंगे समा गए. प्रियंका दीवार पकड़ कर चल रही थी, मामी ने उसको सहारा देकर नहलाया और चुत में अन्दर तक उंगली डाल कर पानी के प्रेशर से साफ किया.
प्रियंका की बुर की धारी फूल कर मोटी हो गई थी. परन्तु चेहरे पर अजीब लाली छा गई थी. प्रिंयका किसी खजुराहो की मूर्ति की तरह कामदेवी लग रही थी.
उसके बाद मामी और मैं एक दूसरे को साबुन लगाकर नहाने लगे. मेरा लंड साबुन लगे हाथ फेरने से पूरे आकार में हो गया तो मामी तुरन्त घोड़ी बन कर मेरे लंड को गांड में लेने को तैयार हो गईं.
मैं बिना किसी भूमिका के मामी की गंडासे जैसी धार दार गांड मारने लगा और प्रिंयका दीवार पकड़ कर खड़ी अवाक होकर ये गांड मराई का नजारा देखती रही. करीब आधे घंटे तक बाथरूम में सुनामी के बाद मैं मामी की चिकनी गोरी गांड में ही झड़ गया. इतनी ही देर में मामी दो बार झड़ गई थीं, ये उन्होंने बाद में बताया.
अब हम तीनों सुकून से अपने कपड़े पहन कर चाय की चुस्की ले रहे थे कि इतने में मामा जी थकी सी सूरत लेकर आ गए और कुछ देर में मम्मी और दीदी भी।
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