Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
06-14-2019, 01:18 PM,
#20
RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
दीदी के पास से मैं दुकान पर चला गया और आगे का सोचने लगा। मामा के लिए फूल प्रोफ प्लान चाहिए था और किरण का भी इंतजाम करना था।
तभी मुझे रीटा दी का फ़ोन आता है और बताती है कि मम्मी और रीटा को मोशी के घर जा कर आना है, किरण घर पर अकेली है, मैं थोड़ा जल्दी घर आ जाओ।
फिर उस दिन मैंने दुकान से घर पर जल्दी आने का प्लान बनाया और फिर में उस दिन घर पर जल्दी आ गया.

हमारा घर आखरी तरफ पर है और बिल्डिंग एकदम नई जगह थी.. इसलिए बहुत कम लोग ही रहने आए थे इस तरफ। फिर में अपने घर पर पहुंच गया और मैंने वहां पर पहुंच कर बहुत धीरे से घर का दरवाज़ा खोला और अंदर घुसते ही मुझे उस रात की तरह वही आवाज़ आ रही थी. तो मैंने सोचा कि शायद दीदी आज फिर से अपनी चूत में रोशनी से उंगली डलवा रही है?
तभी मैंने एक नाटक करने के बारे में सोचा और अपनी बहन के बेडरूम में अंजाने में जाने का प्लान बनाया और जब कमरे की तरफ जाने लगा तो मुझे रोशनी वही खडी मिली जो रूम में झांक रही थी। मैंने धीरे से उसको छुआ तो वो मुझे देख कर डर गई। मैंने उसके मुह पर हाथ रख दिया वर्ना चीख पड़ती। मैंने उससे पूछा क्या चल रहा है तो उसके मुह से कुछ भी नही निकला। मैं उसको साइड करके जब में कमरे के अंदर गया तो नज़ारा और भी चौंकाने वाला था.

मेरी बहन रंडी की तरह अपने दोनों पैरों को फैलाए हुए बेड पर पड़ी हुई थी और रोशन ड्राइवर( रोशनी का पति) नीचे जमीन पर खड़ा हुआ अपना लंड मेरी रंडी बहन की चूत पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ रहा था और यह सब देखकर मेरा लंड तो एकदम खड़ा हो गया.. लेकिन अब मुझे बहुत गुस्सा भी आ रहा था कि वो ड्राइवर मेरी बहन की चूत मारकर जा सकता है और अब तक में कुछ नहीं कर पाया. फिर मेने ध्यान दिया कि रोशन का लण्ड अभी तक ढ़ीला है और मेरी बहन की चूत में नही घुस पा रहा है।.. वो दीदी की चुत पर सिर्फ रगड रहा है और दीदी नीचे पड़ी पड़ी सिसकियाँ ले रही थी. तभी अचानक से उसने रगडने की अपनी स्पीड और बड़ा दी और कुछ देर के बाद उसने अपना वीर्य मेरी बहन की चूत के ऊपर डाल दिया और वो सब द्रश्य देखकर मुझे बहुत गुस्सा आया।
फिर में कमरे से बाहर आकर और रोशनी को साइड में लेजाकर पूछा कि क्या है ये सब।
रोशनी रोने लगी और बताने लगी कि किरण दीदी पर पता नही क्या जनून सवार होता है और वो ये हरकते करने लग जाती है। आज वो मुझसे बोली कि उसको किसी मर्द का लण्ड चाहिए किसी भी कीमत पर ।
मालकिन और रीटा जी के जाते ही ये मेरे पास आई और मुझे किसी को बुलाने को कहने लगी।
संजू मुझे मालूम थाकि अगर किसी और को बुलाया तो क्या हो सकता है इसलिए मैं रोशन से कहा। वो काफी मना किया लेकिन फिर मेरे समझने पर मान गया। मैं जानती थी कि उसका खड़ा नही होता है और किरण कितनी भी कोशिश कर ले कुछ नही होगा।
और रोशनी चुप हो गयी। कहा मैं रोशनी को गलत समझ रहा था और यहा वो मेरे ही बहन को बचाने की कोसिस कर ही है।
मैं वही जमीन पर बैठ गया और सोचने लगा कि क्या करूँ अब मै?
तभी रोशनी बोली कि संजू तुम्हे ही किरण को रोकना होगा चाहे जैसे भी।
मैं उनकी बात का मतलब समझ गया और वापिश घर से बाहर आ गया। थोड़ी देर बाद वापिश घर गया और बेल बजायी।

मेरी दीदी ने दरवाज़ा खोला और वो मुझे देखकर एकदम चकित हो गई.. लेकिन वो मुझसे कुछ नहीं बोली और में भी उसे देखकर समझ गया कि यह अपनी रंगरलियों से बहुत थक चुकी है.. वो उसके चेहरे से झलक रहा था.. उसके बिखरे हुए बाल और चेहरे का उड़ा हुआ रंग साफ साफ बता रहा था कि वो अभी अभी क्या करके आ रही है और फिर वो मेरे आगे आगे अपनी गांड मटकाती हुई चलने लगी और में उसके पीछे पीछे उसकी गांड को देखता हुआ अंदर चला आया. फिर मैंने थोड़ा लंच किया और हॉल में दीदी और में साथ बैठकर फिल्म देखने लगे और मैंने सोच ही लिया था कि आज इस साली रंडी को में किसी भी हालत में जरुर चोदूंगा.
फिर वो उठकर वापिश अपने कमरे में चली गयी।
थोड़ी देर बाद में उठकर जब उसके रूम के पास पहुचा तो वो मम्मी के मोबाइल में लीड लगा कर कुछ देखने मे मस्त थी।
पहले तो मैं चुपचाप नजारा देख रहा था वो कान में लिड लगा रखी थी और आह आह कर रही थी। मैं खड़ा था साइड में और देख रहा था मेरी धड़कन बढ़ गई थी। मैं अपना लौड़ा अपने हाथ में ले लिया था और हिलाने लगा और मेरी भी सिसकियाँ निकलने लगी थी। मेरी बहन अपने बूर में ऊँगली डाल दी और आह आह आह चोद दो मनोज मुझे चोद दो मुझे। भाई का क्या है मेरे सपने में तुम ही आते हो।
मैं समझ गया वो मनोज को याद करके अपने बूर में ऊँगली कर रही थी। मुझसे रहा नहीं गया और उसके सामने नंगा ही खड़ा हो गया वो देख कर अचानक खड़ी हो गई और डर गई
लेकिन उसकी नजर मेरे खड़े हुये लंड पर थी और मेरी उसके बड़े बड़े बूब्स पर.. जो मुझे अपनी और आकर्षित कर रहे थे.

मेरी बहन एकदम उठकर खड़ी हुई और वो बनावटी गुस्से में मुझसे बोली कि यह क्या बदतमीजी है? यह तुम मुझे क्या दिखा रहे हो.. में तुम्हारी बड़ी बहन हूँ और अभी के अभी इसे अंदर करो. फिर में उठकर खड़ा हुआ और मैंने सबसे पहले उसकी चूत में उंगली डाल दी .. वो उसे देखकर एकदम भड़क गयी और उसने मुझे एक जोरदार थप्पड़ लगा दिया और कहा कि तुम भी तो बाथरूम में जाकर अपना लंड हिलाते हो.....? और हिलाते तो सब ही है और हाँ, में भी कभी कभी चूत में ऊँगली करती हूँ.. लेकिन मैंने किसी के साथ सेक्स किया नहीं है. तो मैंने फिर उसे रोशन से उसकी चुदाई वाली बात बताई और फिर पूछा कि अब बोल साली रंडी तब तो पैर फैलाकर बड़े मज़े से लंड ले रही थी और जब मैंने कुछ सेक्स की बात की तो मेरे ऊपर भड़क गयी? मैंने तुझे तीन दिन रुकने को कहा था लकीन तुम तो ड्राइवर के नीचे ही लेट गयी। इतना सुनकर वो ज़ोर ज़ोर से रोने लगी और मेरे पैरों पर गिर पड़ी और वो मुझसे माफ़ी मांगने लगी.. बोली कि प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.. मैंने बहुत बड़ी ग़लती कर दी.

तो मैंने कहा कि में तुम्हें एक ही शर्त पर माफ़ करूँगा.. अगर तुम जो काम उस ड्राइवर के साथ कर रही थी वही काम मेरे साथ करो तो? तो यह बात सुनकर वो एकदम दंग रह गयी और मुझसे दूर जाकर खड़ी हो गयी. फिर उसने मुझसे कहा कि में उसका भाई होकर उसके बारें में ऐसा कैसे सोच सकता हूँ?

मैंने कहा कि जब तू उस ड्राइवर से पूरी तरह से जोश में आकर चुदवा रही थी.. तब तो तुझे बड़ा मज़ा आ रहा था ना? तो अब मुझसे चुदवाने में क्या प्राब्लम है? और में यह बात किसी को नहीं बताऊंगा और एक भाई, बहन का रिश्ता हम लोग घर के बाहर रखेंगे और घर में दिनभर चुदाई करते रहेंगे.. इसकी वजह से तुझे भी बाहर किसी और से चुदवाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और में घर पर ही तुझे चोदता रहूँगा.. इससे तेरा भी काम चलेगा और मेरा भी चलता रहेगा ।

मैंने कहा देख बहन मैं भी प्यासा हु और तुम भी प्यासी हो, क्यों ना हम दोनों आपस में ही रिश्ता रख लें घर का माल घर में रह जाये इससे बढ़िया और कुछ भी नहीं हो सकता है इसलिए हम दोनों आपस में ही सम्बन्ध बना लें ताकि बाद में तेरा बाहर जाने का मन न करे।
इतना कहते ही मेरी बहन बोल उठी और ये बात कभी मम्मी को पता चला तो?
तो मैं बोला क्या तुम मम्मी को अपनी चुदाई की कहानी बताने बाली हो तो उसने कहा नहीं। तो मैंने कहा फिर कैसे पता चलेगा?
और इस तरह से बहुत देर तक समझने पर वो आख़िर समझ गई.. बोली ठीक है।
फिर वो बोली अगर हम दोनों ऐसे ही चुदाई करेंगे तो दीदी को भी मालूम चल सकता है। उसकी चिंता न करें मे संभाल लूंगा।


मैंने फिर अपने कपड़े उतारे और में उसके सामने पूरा नंगा हो गया और उसके बहुत करीब गया और उसकी चूत का आकार उसकी पेंटी से पूरा साफ साफ दिखाई दे रहा था और उसके बूब्स के निप्पल भी अब उभर रहे थे और मेरा लंड तनकर खड़ा हो चुका था. तो मैंने उसकी पेंटी पर ही अपना लंड रगड़ना शुरू कर दिया और मैंने अपना लंड उसकी चूत पर चिपकाना शुरू कर दिया. फिर सबसे पहले मैंने उसकी ब्रा को उतारा और उसके बूब्स देखकर में तो बिल्कुल पागल सा हो गया और मैंने तुरंत बूब्स को चूसना शुरू कर दिया. में अपनी दीदी के बूब्स को ज़ोर ज़ोर से चूसता रहा

फिर मैंने उसकी गांड पर पेंटी के ऊपर से ही अपना लंड रगड़ना शुरू कर दिया.. तो मैंने कहा कि ठीक है तो तू अपनी पेंटी को उतार और मेरा लंड अपने हाथ में लेकर मुठ मार. फिर उसने धीरे से अपनी पेंटी को उतारा.. वाह क्या चूत थी? मेरी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था और हम दोनों बेड पर बैठ गये और वो मेरा लंड अपने हाथ में पकड़कर हिलाने लगी.

मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि में अपनी बहन के साथ ऐसे बिल्कुल नंगा बैठकर उसके हाथ से अपनी मुठ मारवाऊंगा और फिर जब वो मेरा लंड हिला रही थी.. तब मैंने उसकी चूत पर उंगली करना शूरु कर दिया. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था..

मैंने फिर उसके बाल पकड़े और उसका मुहं अपने लंड की तरफ लाया. मैंने कहा कि अब तुम मेरे लंड को अपने मुहं से हिलाओ.. फिर उसने मेरा लंड अपने मुहं में ले लिया और लंड को चूसने लगी और मैंने उससे अपना लंड बड़े मज़े से चुसवाया.

फिर मैंने उसका सर अपने दोनों हाथों से पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से अपना लंड उसके मुहं में डालता रहा.. वाह क्या मज़ा आ रहा था? फिर मैंने अपना कंट्रोल खो दिया और उसको पकड़कर बेड पर पटक दिया. तो वो एकदम से डर गयी और अब मेरा लंड एकदम जोश में आ चुका था और मेरे लंड को उसकी चूत की ज़रूरत थी और में इतना खुश कभी नहीं था.. मेरी बहन मेरे सामने एकदम नंगी लेटी हुई थी

फिर क्या था वो मेरे में लिपट गई और मैं भी अपने बहन से लिपट गया. मैं चूचियां दबाने लगा वो मेरे लौड़े को सहलाने लगी। धीरे धीरे हम दोनों वाइल्ड हो गए और मैं फिर अपने बहन का बूर चाटने लगा और फिर गांड में ऊँगली करने लगा। वो खूब मजे लेने लगी उसने अपने बाल खोल दिए वो गजब की लग रही थी। फिर मैं उसको बेड लिटा दिया और अपना लौड़ा उसके बूर पर लगा कर अंदर पेल दिया।

वो दर्द से कराह उठी, वो बोली लौड़ा दूसरी बार इतने दिनों बाद डलवाई हु अपने बूर में इससे पहले तो ऊँगली से ही काम चला रही थी। उसके बाद फिर क्या था मैं जोर जोर से अपने लौड़े को अपने बहन के बूर में डालने और वो भी अपने गांड को उठा उठा कर चुदबाने लगी। करीब 30 मिनेट तक चोदने के बाद मैं झड़ गया और वो भी शांत हो गई। फिर हम दोनों साथ में नहाये मैंने उसके चूचियों पर खूब साबुन लगाया और बूर में ऊँगली किया और साबुन लगाया। हम दोनों फिर से तैयार हो गए और अब हम दोनों बाथरूम में ही सेक्स करने लगे, अब तो और भी मज्जा आने लगा। दिन भर मैं अपने बहन को चोदा और उसकी कामपिपासा को शांत किया।
किरण दी मुझे छोड़ने को तैयार ही नही थी। फिर मैंने कहा कि दीदी और मम्मी आने वाली है अब ये सब बंध करना होगा।
तब जाके मुझे छोड़ा और हमने कपड़े पहने और बात करने लगे।
फिर मैंने दिदी से कहा कि अबसे उनको खुद पर कंट्रोल करना होगा वो अब किसी भी बाहर वाले से संपर्क नही करेगी। मैने उनको ये भी बता दिया कि मैंने आज उसको और रोशन को भी देख लिया था तो उनकी नजर नीची हो गयी। उन्होंने वादा किया कि वो पूरी कोशिश करेगी अब से । अगर नही कंट्रोल हुआ तो मुझसे बोलेंगी।
मैने उनको गले से लगा लिया और फिर उनको ले कर बाहर आ गया।
रोशनी रसोई में थी। हमे देख कर उसने चाय के लिए पूछा। मैंने कहा बना लो और हाल में बैठकर टीवी देखने लगा।
तभी मम्मी और दीदी भी आ गयी वापिश। दोनो आकर मेरे पास सोफे पर बैठ गयी।
मैं शांत बैठा रहा कुछ नही बोल रहा था। मम्मी ने मुझे टोका क्या हुआ संजू इतना क्यो चुप चुप है?
मैंने कहा---//कहा गयी थी मम्मी?
मम्मी---रीता ने फ़ोन तो किया था तेरी मोशी से मिलने गए थे।
मैं-----क्यों?
मम्मी---क्यो क्या ऐसे ही मन किया।
मैं----- मम्मी अगर अब पापा नही रहै तो इसका ये मतलब नही की इस घर मे अब मर्द नही रहा।
मम्मी का मुह खुला का खुला रह गया। उनको समझ ही नही आ रहा था कि मैं ऐसे क्यो बात कर रहा हु।
मम्मी--- हां तो मैं घर मे बड़ी हु और कहि आ जा भी नही सकती। तुम बच्चे हो और बडे न बनो।
मैं--- मम्मी पापा के जाने के बाद मैं इस घर का वारिश हु और मालिक भी। सब रिस्तेदारो ने उनके देहान्त के बाद मुझे पापा की पगड़ी पहनाई थी उसका मतलब यही था कि अब इस घर का मालिक हु मैं। और अब इस घर मे मेरी मर्जी से सब होगा। मेरी नोलेज के बिना न कोई कहि ज्यायेगा और न ही आएगा।
मम्मी गम्भीर हो गयी और कुछ न बोली। दीदी मुझे देख कर मुस्करा रही थी।
हा, मम्मी मामा का क्या करना है?
मामा का नाम सुनते ही जैसे मम्मी की हालत ऐसे हो गयी जैसे बिजली का झकटा लगा हो।
पापा ने मामा से सब रिश्ते तोड़ लिए थे। क्यो तोड़े मुझे नही मालूम लेकिन अब उनके जाते है आप उनके घर जाने लगी। ऐसा क्यों?
मम्मी बगले झांकने लगी।
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RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी - by sexstories - 06-14-2019, 01:18 PM

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