RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
दीदी की आप बीती सुनकर मुझे दुख भी हुआ लकीन मैं दिदी को बाहर चुदने नही दे सकता।
मैंने दीदी को बोला कि आपने इतने दिन इंतज़ार किया अब एक सप्ताह और इंतज़ार करें। मैं कुछ न कुछ जरूर सोचता हूं। अगर उनकी इच्छाओं को पूरा करवाना है तो तीन ही रस्ते है
पहला उनको बाहर जाने दु।
दूसरा मैं उनकी जरूरत पूरी करू।
तीसरा उनकी शादी।
पहले वाला मुझे मंजूर नही था और शादी अभी दीदी करना नही चाहती।
अब एक ही रस्ता था वो की मैं अपनी दिदी के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाऊ। वैसे मुझे ऐतराज नही था बस दीदी अभी कंफर्टेबल नही थी। उसको तो बस बाहर का नशा चढ़ा था।
मैं दीदी को समझा कर घर ले आया। और उनको घर छोड़कर वापिश बाहर आ गया।
और मनोज को फ़ोन किया। उसने फोन नही उठाया। मैं वाइन शॉप पहुच गया और वाइन की बोतल लेकर फिर मनोज को फोन किया। उसने फ़ोन उठाया और बोला--- अब क्या है चुतिये क्यो मा चुदवा रहा है?
मैं कुछ नही कहा बस उसको कमरे पर आने को बोला।
वो नखरा करके आने को मान गया।
मैं जानता था इन सबमे मनोज की कोई ग़लती नही है। अगर मुझे कोई लड़की खुद से चुदाई के लिए मिलती तो मैं कोनसा उसको छोड़ देता।
मैं कमरे पे पहुच गया और वाइन पाइन लगा और साथ मे सिगरेट सुलगा ली। और सोचने लगा कि क्या मनोज को बता दु ताकि वो किरण दी के साथ बात ना करें।
मैं आपनी सोच की दुनिया में घूम रहा था कि मनोज आ गया और मुह फूलाकर बैठ गया।
मैंने एक पैक बनाया और उसकी तरफ़ सरका दिया। उसने मूझे खा जाने वाली नजरो से देखा और पैक गटक गया।
मैंने एक एक पैक और बनाये। और पी गए।
दो पैक अंदर जाते ही मनोज का गुस्सा बाहर आया और बोलने लगा---- साले दिन में अपनी औकात दिखा दी न तूने । साले बाद में अकेले ने चोदी होगी तूने।
साले गंडवे तुझे बताया था न कि वो मेरी दीदी लगती है, मैंने भी तुनक कर जवाब दिया।
बहन चोद अगर तो कहे की वो तेरी सगी दीदी है तो भी यकीन न करू की लड़की खुद चुदवाने आये और तु ने चोदा नही होगा, मनोज ने अपने भडास निकाली।
साले तेरी तरह बहनचोद नही हु मै। अगर उसकी जगह तेरी बहन होती तो भी तु यही कहता, मे बोला।
हाँ चोद देता साली बाहर चुदे उससे तो अच्छा है, साले ने वही बात बोली जो मैं सोच रहा था।
ठीक है गंड्वे मै तेरी बहन को पटाता हु फिर देखता हु, क्या कहता है, मैंने कहा।
पटा ले अगर तुझसे पट् गयि तो खुद तेरे पास लेकर आउगा। ये मेरा वादा है, मनोज ने कहा।
मै साले का मुह टकता रह गया।
मेरे मे इतनी हिम्मत नही है मनोज की अपनी बह्न् को बाहर चुदवा सकू, मैंने जैसे तैसे जवाब दिया।
साले वो कोनसा तेरी बहन् है जो इमोशनल हो रहा है............. मनोज
हां मेरी बहन है वो सगी बड़ी बहन, मैंने गुस्से मे बोल दिया।
एकदम सन्नाटा छा गया।
मैंने चुपी तोड़ी और बोला----अब बोल क्या करता मै, नही देखा गया मुझसे। तेरे साथ करते हुए।
साला कुत्ता फिर भोंक ने लगा, देख संजु माना की तेरी बहन् है लकिन् है तो लड़की, आज तो तूने बचा लिया, लकीन अगर दोबारा कहि किसी और के पास गई तो क्या करेगा। और जितना मै जान पाया उस हिसाब से तेरी बहन कहि न कही किसी न किसी से तो चुद......
आगे मनोज नही बोल पाया। उसे मेरा ग़ुस्सा मालूम था।
उसकी बात सच थी। लेकिन क्या कहता कि मैं खुद उसकी प्यास मिटाऊंगा। किसी और के साथ सोच सोच कर ही मेरी जली पड़ी थी।
मैंने मनोज को इस बात को यही खत्म करने और आगे किसी को भी न बताने को कहा। एक अच्छे दोस्त की तरह उसने मुझे यकीन दिलाया कि जब तक मैं खुद उसे नही बोलूंगा तब तक वो किरण से नही मिलेगा। और ना ही किसी को मालूम चलने देगा।
हमने दारू खत्म की और अपने अपने घर आ गये।
मैं आज भी बिना खाना खाएं अपने रूम में आ गया।
और बिस्तर पर लेट गया ।
थोड़ी देर में रीटा दीदी मेरे कमरे में आई और पूछने लगी कि मैं दो दिन से खाना क्यो नही खा रहा हु।
दीदी बाहर दोस्त के साथ खा कर आया हु, मैंने कहा।
दीदी मेरे पास आकर लेट गयी। और लेटते ही उनको वाइन की स्मेल आयी। उन्होंने एक दम से पूछा कि क्या तुम शराब पी कर आये हो।
नही दीदी वो आज एक दोस्त की पार्टी थी तो जबरदस्ती उन लोगों ने एक पेक पिला दिया,मेने बहाना बनाया।
दीदी मेरे साथ लेट गयी और मुझसे लिपट गयी। हालांकि मेरा मूड नही था फिर भी कुछ वाइन का नशा और कुछ दीदी की जवानी का नशा और दिन में किरन दीदी का नंगा बदन देखने से मेरा मूड बन गया।
उसके बाद दीदी मुझे किश करने लगी, मैं भी उनको किश करने लगा, धीरे धीरे करके हम दोनों एक दूसरे के कपडे उतार दिए, कमरे में हलकी हलकी रोशनी जल रही थी , कमरे में से गुलाब की खुसबू आ रही थी, दीदी का होठ भी किसी गुलाब की पंखुड़ी से काम नहीं था मैंने चूसना शुरू किया ऐसा लग रहा था जैसा की मधु को चूस रहा था, उनकी गोल गोल चूचियाँ और उनपर छोटा छोटा निप्पल गजब ढा रही थी, मैंने उनके बाल खोल दिए उनका बाल कमर तक लता हुआ था, गोरा बदन एक दम संगमरमर की तरह, मैंने ऊपर से निचे तक चाटने लगा,
फिर मैंने दीदी की दोनों टांगो को फैलाकर दीदी की चूत की बीच में आ गया, चूत एकदम शेवड था मैंने पूछा दीदी इतना साफ़ है क्या बाल नहीं है तुम्हारे चूत पे, तो बोली नहीं नहीं तुमारे लिए ही काटे है आज वो मुझे चूत को चाटबाना है, आज तू मुझे चोद दे इतना चोद की मैं तृप्त हो जाऊं, मैंने कहा हां दीदी मेरा लंड भी दो दिनों से प्यास है आज मेरे लंड को भी अपनी प्यास बुझाने दो, उसके बाद मैंने अपने लंड को दीदी के चूत के ऊपर रखा और जोर से धक्का मार पूरा का पूरा लंड दीदी की चूत में समा गया, फिर क्या था मैंने दीदी को चूच के निप्पल को दांत से दबा दबा के चोदे जा रहा था वो भी मुझे अपनी बाहों में भरकर गांड उठा उठा के चुदवा रही थी, इस तरह रात भर दीदी मेरे से चुदी |
और हम चिपक कर सो गए।
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