Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
06-14-2019, 01:13 PM,
#12
RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
अगले दिन उठ कर में नीचे आकर नास्ता किया और मम्मी से बोला कि मुझे अपने किसी काम से पास के शहर में पूरे दिन के लिए अपने एक दोस्त के साथ जाना है।
फिर में तैयार होकर में अपने काम से जाने लगा तो किरण दी ने मुझसे पूछा कि में कब तक आ जाऊंगा?
उनके चेहरे पर खुशी झलक रही थी कि मैं शहर से बाहर जा रहा हु और वो आसानी से अपने यार से मिलने जा सकती है।

मैंने उसको बता दिया कि में रात के आठ बजे से पहले नहीं आऊंगा और हो सकता है कि में लेट भी हो जाऊं. फिर किरण दीदी मम्मी से कहने लगी कि आज उसको भी अपनी सहेली से मिलने जाना है आने में थोड़ी सी देरी हो जाएगी. अब में भी अपने काम से निकल गया, लेकिन जिस लड़के के साथ मुझे जाना था, में जब अपने रूम पर गया तो मैंने देखा कि मनोज पहले से ही रूम के बाहर खड़ा है।
गांडू क्या कर रहा है यहा सुबह सुबह, मैं मनोज से बोला।
मनोज---- साले चुतिये काल बताया तो था कि मैंने उस लड़की को आज मिलने बुलाया है , वो थोड़ी देर में आएगी। तू रूम की चाभी दे और खिसक जा।
मैं--/ साले गांडू अकेले अकेले मजजे लेगा। मैं भी रुकता हु दोनो मजजे लेंगे लौंडिया के ।
मनोज--- यार आज पकका नही है वो चुदाई करवाईगी बस वो मिलने के लिए बोली है। एक बार शीशे में उतारने दे फिर दोनों मजे करेंगे। और राजेश को भी करवाने है मजे। मोबाइल के बदले में।
मैं अंदर ही अंदर सुलग उठा । साला मेरी बहन की रंडी बनाने की सोच रहा है।
मैं आज ही अपनी बहन को रंगे हाथ पकड़ कर बात करना चाह रहा था ताकि वो आगे ककोई हरकत न करे।
इसलिए मैंने रूम की चाभी दे दी और बोला साले ले मजा कर लेकिन मैं बाहर रुकूँगा और देखूंगा की चिड़िया कैसी है?
मनोज----यार बात ऐसे है कि शायद वो तेरे ही घर के पास से है कही तुझे पहचानती न हो। इसलिये यार निकल जा न यहाँ से। बाद में तो मज़े करने ही है तुझे।
ठीक है गांडू, बोल कर
और मैं वहा से निकल गया। कुछ दूरी पर जाकर एक पनवारी की दुकान खड़ा हो गया।
वहा से मेरे उस घर पर नजर रखी जा सकती थी।
करीब 40 मिनेट बाद एक ऑटो आकर उस पनवारी की दुकान से पीछे रूका।
मैंने खुद को थोड़ा साइड में कर लिया। ऑटो से एक लड़की निकली। उसने एक टाइट टीशर्ट और नीचे मस्त जीन्स डाली हुई थी। और जबरदस्त माल लग रही थी।
देखने से लग नही रहा था कि किरण दीदी है।
आंखों पर ब्लैक गूगल्स ,चेहरे पर स्कार्फ़ डाल कर छुपा रखा था।
फिर उसने इधर उधर देख कर मकान की और चली गयी।
और वहा पहुच कर फ़ोन निकाल कर काल की।
तभी मैंने देखा कि घर की दरवाजा ओपन हो गया है।
और मनोज ने अपना फेस निकाल कर उसे इशारा किया। वो आगे बढ़ी और अन्दर चली गयीं।

थोड़ी देर बाद जब में अपने मकान पर पहुंचा तो मैंने देखा कि मेरे मकान का दरवाजा बंद था, तो में समझ गया कि मेरी बहन उसके साथ होगी. फिर मैंने पीछे से दीवार कूद कर चुपके से अंदर घुसा। फिर मैं सीड़ियाँ के पास जाने लगा. तभी मुझे दरवाजे के अंदर से कुछ आवाज़ सुनाई देने लगी और अब में रोशनदान के पास पहुंच गया, जहाँ से में बड़े आराम से सब कुछ देख सकता था.

मैंने जब उस छोटी सी खिड़की से अंदर झांककर देखा तो मैंने पाया कि मेरी बहन किरण उस समय रूम में ही थी. वो बेड पर बैठी हुई थी. उसने अपना स्कार्फ़ हटा दिया था और गूगल्स भी निकाल दिए थे।उसके एक मिनट के बाद मनोज भी दूसरे रूम से निकलकर उसी कमरे में आ गया.
जब मैंने उसको देखा तो मुझे ऐसा लगा कि जैसे वो अभी कुछ देर पहले ही नहाकर आया था. उसने बेड पर बैठकर अपने जूतों को उतारा. इसके बाद टावल लेकर अपनी पेंट को भी उतारकर टावल को लपेटते हुए वो दोबारा बैठ गया.
साला ये तो कह रहा था कि दीदी आज सिर्फ बात करने के लिए मिल रही है और यहा ऐसे तैयारी कर रहा है कि पहले से चुदाई का प्रोग्राम हो।

अब वो दोनों कुछ देर तक हंस हंसकर बातें करते रहे. इसके बाद मैंने देखा कि मनोज ने किरण के बूब्स पर अपना एक हाथ रखा और मुस्कुराते हुए उसको दबाया तो किरण ने उसके हाथ को एक झटका देकर हटा दिया.

अब मनोज ने दोबारा उसके बूब्स पर हाथ रख दिया, तो किरण ने उसको कुछ भी जबाब नहीं दिया. फिर कुछ देर तक मनोज किरण के बूब्स को ऐसे ही दबाता रहा. अब उसने किरण को बेड पर लेटा दिया. किरण उसकी तरफ अपनी पीठ को करके लेट गयी.
अब मेरे बर्दाश्त से बाहर हो गया और मैं नीचे उतर कर दरवाजे के पास पहुच कर दरवाजा खटखटाया जोर से।
मनोज की आवाज आई हड़बड़ी की, कौन है?
साले गांडू दरवाजा खोल हरामखोर, मैंने आवाज लगाई।
मनोज ने सोचा कि मुझसे रुका नही गया और मैं आज ही लड़की चोदने आ गया।
उसने दरवाजे को थोड़ा खोल मुझसे बोला कि यार देख आज बड़ी मुश्किल से मानी है अगली बार तेरा नंबर लगवा दूंगा। प्लीज् यार समझ न।
मेरे तो दिमाग़ में बस दीदी ही घूम रही थी। मैंने बिना कोई जवाब दिए मनोज को धक्का देकर अंदर घुस गया।
अंदर जाकर देखा तो दीदी अपने को बेड की चद्दर से ढककर मुह छिपा कर बैठी थी।
उन्होंने मेरा चेहरा नही देखा था अभी तक।
दीदी की आवाज आई चद्दर के अंदर से , मनोज कौन है और तुमसे पहले ही कहा था कि मुझे बदनाम नही होना। सेफ जगह चुनना।
मेरे गांड के बाल सुलग गए।
मनोज मुझे खिंच कर बाहर ले गया दूसरे कमरे में ।
और बोला---- साले गांडू क्या चुतियापा कर रहा है।
मैं---- साले गांडू जानता है ये लड़की कौन है?
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