RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
किरण दीदी चाय पीते हुए अजीब सा व्यवहार कर रही रही और मुझे घुर रही थी मैंने उनसे खाना डालने को कहा और चेयर पर बैठ गया। मैं जितनी जल्दी हो सके उनको घर भेजना चाहता था। मैंने खाना खाया और पास के एक ऑटो चालक को दीदी को घर छोड़ने भेज दिया। दीदी ने मुझे अपसेट कर दिया था।
तभी मंजू आकर मुझसे बात करने लगी और हंसी मजाक शुरू कर दिया। बाहर फिर से बारिश स्टार्ट हो गयी। अब दुकान पर ग्राहकों का आना तो होना नही था तो मैंने संपत, राजन और मोना को गोदाम में ( माल को चेक करने और साफ सफाई करने) भेज दिया।
मंजू और सुमन वही खुला माल पैक करने लगी। मैं भी उनके पास चला गया।
फिर मंजू मेरे पास खड़ी होकर चाय पत्ती पेक करने लगी और मैं भी हेल्प करवाते हुए समय बिताने के लिए वजन करके थेली में चाय को भरने लगा. साथ में सुमन मोमबत्ती से प्लास्टिक की उन थेलियों को पेक करने लगी और इस दरमियाँ मेरा हाथ उसके कूल्हों पर करीब चार पांच बार लगा, लेकिन सुमन मुझसे कुछ नहीं बोली केवल वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी.
फिर मैंने जानबूझ कर एक बार अपनी तरफ से उसके एक कूल्हे पर दबाव डालते हुए उसको दबोच लिया, लेकिन वो फिर भी कुछ नहीं बोली. इतने में एक बाहर एक कोने से बारिश का पानी नीचे तपक रहा था, जिसको देखकर सुमन अपनी साड़ी को ऊपर उठाकर वो पास में रखे एक स्टूल पर चड़ गयी और वो वहाँ पर बंध लगाने लगी.
उसका रंग थोड़ा सावला था । तब मुझे उसकी काली काली जांघे बहुत उत्तेजित करने लगी, जिसकी वजह से मेरा लंड तो अब पेंट के अंदर ही हरकते करने लगा था और फिर में कुछ देर बाद मौका देखकर धीरे से अपनी अंदरवियर को खोलकर केवल पेंट से बाहर लण्ड को लटका दिया। और कमीज को बाहर निकाल लिया अब मेरे अंदर हवस जग गयी थी और मुझे उसे ठंडा करने था। मैंने मंजू को भी गोदाम में भेज दिया हेल्प करने के बहाने। थोड़ी देर के बाद सुमन मेरे पास में आकर बात करने लग गयी, लेकिन कुछ देर बाद उसके बारे में सोच सोचकर अब मेरी हालत खराब होने लगी थी, क्योंकि सुमन उस समय मेरी तरफ प्यासी नजरो से देख रही थी। मेरी कमीज हट कर लण्ड बाहर लटकने लगा था और वो शर्ट भी मेरी कमर से बहुत ऊपर सरक गई थी और मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका था.
फिर बहुत देर तक में सिर्फ़ सुमन के बारे में ही सोच रहा था, लेकिन फिर मुझसे रहा ना गया और में अपना एक हाथ सुमन की गांड की तरफ सरकाते हुए अपनी दो उंगलियों से सुमन की उस साड़ी को मैंने हल्के से पकड़कर एक तरफ से उसकी कमर से और भी ज्यादा ऊपर तक कर दिया, जिसकी वजह से अब सुमन की काली काली मोटी गांड और बूब्स की झलक साफ दिखाई देने लगी थी. अब मेरी हालत कुछ ऐसी हो गयी थी कि में हिम्मत करके अपने पूरी हथेली से धीरे से सुमन की गांड को सहलाने लगा, लेकिन उसकी तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया कोई भी विरोध हलचल नहीं होने से मेरी हिम्मत और भी ज्यादा बढ़ गयी.
मैंने सही मौका देखकर अपनी कमर को आगे की तरफ सरकाते हुए उसकी गांड के पीछे हल्के से मेरे लंड को चिपका दिया । फिर धीरे धिरे उसका पेटीकोट उप्पेर उठा दिया। उसने अंदर पेंटी नही पहनी हुई थी। अब भी कुछ देर तक कोई भी हलचल को ना देखकर मैंने ढेर सारा थूक अपने लंड और उसकी गांड पर लगाकर उसकी गांड के छेद में रखकर लंड को थोड़ा सा दबाव दिया, तो मैंने महसूस किया कि अचानक से अब सुमन ने अपनी सांसे रोक ली और वो अपने मुहं से सईईईईई उूईईईईईईईई की दर्द भरी आवाज़े करने लगी और तब मैंने तुरंत अपने आप को वहीं पर रोक दिया में बिना हिले कुछ देर ऐसे ही खड़ा रहा. मुझे पता नहीं चला कि यह किस तरह की आवाज़ थी एक मिनट के बाद वापस सब कुछ पहले जैसा हो गया और अब मैंने देखा कि मेरा लंड पूरी तरह से सुमन की गांड के छेद के बीच में चिपका हुआ था.
मैं ये सब करते हुए सामने दीवार पर लगी हुई led में गोदाम के कैमरे की रिकॉर्डिंग भी देख रहा था। जहाँ संपत, राजन, मोना और मंजू समान इधर उधर कर रहे थे।
फिर तभी मैंने मन ही मन सोचा कि में इसकी गांड को बाद में मारूँगा पहले में इसकी चूत की चुदाई तो कर लूँ और फिर में अपने एक हाथ से लंड को थोड़ा नीचे करके चूत के मुहं पर अपने लंड को रखकर मैंने उसकी कमर को पकड़कर हल्का सा एक धक्का मारा तो उसकी वजह से मेरे लंड का टोपा उसकी चूत को चीरता हुआ चूत में समा गया और जैसे ही लंड का टोपा अंदर घुसा सुमन दर्द के मारे अपने मुहं से आह्ह्हह्ह्ह्ह स्सीईईईईइ माँ मर गई कहने लगी, लेकिन अब मेरी हालत ऐसी थी कि वो चाहे मन से कर रही हो या मेरे दबाव में कर रही हो, लेकिन में अब बिल्कुल भी रुकने वाला नहीं था और में उसको अब अपनी तरफ से हल्के हल्के धक्के मार मारकर उसकी चूत में अपने लंड को पूरा का पूरा अंदर डालकर उसकी चुदाई करने लगा और तब मैंने महसूस किया कि उसकी गरम गरमा चूत ने मेरे लंड को बड़ी ही मजबूती से जकड़ा हुआ था.
फिर में अपनी कमर को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा और तब मैंने महसूस किया कि अब उसको भी बहुत मज़ा आ रहा था, जिसकी वजह से वो अपने मुहं से सिसकियां भरते हुए बोली उूउउफ्फ चोदो साहब आहहहह और ज़ोर से और ज़ोर से चोदो ऊईईईईईईई हाँ ज़ोर से धक्के मारो मुझे, क्योंकि काफी समय बाद मेरी इस चूत ने किसी का लंड खाया है ऊउफ़्फ़्फ़्फ़ सही में तुम्हारा लंड बहुत मोटा और लंबा है जिसकी वजह से मुझे बहुत मज़ा आ रहा है. तुम ऐसे ही धक्के देकर आज मेरी इस प्यास को बुझा दो और यह बात कहते हुए वो अपनी चूत को सिकुड़ने लगी और ज़ोर ज़ोर से हांफने लगी. धीरे धीरे वो ठंडी होने लगी, तो में तुरंत समझ गया कि वो अब झड़ चुकी है और फिर करीब 10-15 धक्को के बाद मेरे लंड ने भी उसकी चूत की गहराईयों में अपने लंड का रस डाल दिया. में उसकी चूत में झड़ गया और हम दोनों पसीने से लथपथ थे. फिर कुछ देर एक दूसरे से ऐसे ही चिपके रहे.
फिर तुरंत सुमन बाथरूम में जाकर आ गई और वो दोबारा मेरे पास में आकर बैठ गयी और मुस्कराने लगी। अब में थोड़ा रिलैक्स फ़ील कर रहा था। सुमन की निगाह भी सामने दीवार पर थी और वो इस तरह से उन चारों को काम करते हुए देख रही थी। सुमन को देखकर मेरा मन एक बार फिर से चुदाई का हो गया मैंने उसको दोबारा जमकर चोदा और उसने इस बार मेरा पूरा पूरा साथ दिया. हम दोनों को इस खेल में बड़ा मज़ा आया ।
सुमन ने चुदाई के मज़े लिए, जिसकी वजह से सुमन बहुत खुश थी, क्योंकि मैंने सुमन को अपनी चुदाई से पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया था और उसकी चूत की प्यास को बुझा दिया था ।
मैं भी कुछ देर के लिए अपनी परेशानी भूल गया था और वही केबिन में चेयर पर ही सो गया।
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