RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
ये नहीं था कि मैं कोई बहुत ही शरीफ लड़का हु। लेकिन ये जरूर था कि मैंने कभी अपनी मा और बहनों की तरफ गलत नजर से नहीं देखा था। बाकी जो मिली जहाँ मिली चोद डाला चाहे वो 55 साल की बुढ़िया ही क्यों ना हो, मेरे पास माफी नहीं थी। ये था मेरा लाइफ स्टाइल।
मेरी सेक्स गुरु मेरी घर की नोकरानी रोशनी है जिसने सबसे पहले मुझे अपने लण्ड से खेलते देखा जब मैं दसवीं में था। उस दिन रोशनी ने मुझे डरा कर मेरे लण्ड से खेलना शुरु किया जिसका चस्का मुझे ऐसा लगा की मैं ही उसपर भारी पड़ गया। रोशनी ने मुझे सेक्स के बारे में मास्टर बना दिया। मेरे लोडे की मालिश करके उससे मजबूत बना दिया। मैं अब अपने लोडे से किसी को भी संतुष्ट कर सकता हु।
ये आज से एक साल पहले की बात है जब मेरे पापा की मृत्यु ही गयी । मेरे परिवार पर दुखो का पहाड़ टूट गया। अब मैने ही उनको संभाला मैं ने कॉलेज छोड़ दिया। अब मेरा एक कालेज का दोस्त जो कि मुझे सबसे ज्यादा नजदीक था जिसका नाम मनोज था लेकिन था जरा लोवर मिडिल क्लास से लेकिन एक बात जो उसकी सबसे अच्छी थी वो ये थी कि वो जब भी कोई नई लड़की फँसाता मुझे जरूर बताता। और जब खुद उसे चोद लेता तो मुझे भी उस लड़की की चुत जरूर दिलाता, क्योंकी मैं ही तो उसे लड़कियों पे खर्च के लिए पैसे दिया करता था। तो फिर वो मुझसे कैसे दगा करता।
अब तक हम कोई 4 के करीब लड़कियों को मिलकर चोद चुके थे जिनमें से एक को मैंने सेट किया था और बाकी 3 को मनोज ने। क्योंकी वो तीन भी उसी की कालोनी की थीं। एक दिन वो मेरे पास बैठा किसी सोच में गुम था और मैं उसी को देख रहा था कि कब इस साले की सोच खतम हो और ये साला मुझे कुछ बताए लेकिन जब मैंने देखा कि उसकी सोच खतम होने में ही नहीं आ रही है।
तो मैंने उसकी कमर पे एक धाप मारते हुये उससे कहा- “साले, कहाँ गुम हो गया है गान्डू की औलाद?”
मनोज अपने हाथ को पीछे की तरफ मोड़कर अपनी कमर को मलते हुये बोला- “यार, कितनी बार कहा है तुझसे कि हाथ का मजाक मत किया कर..."
मैं- साले कब से तेरे पास बैठा तुझे देख रहा हूँ लेकिन तुम हो कि उदास उल्लू की तरह पता नहीं किन सोचों में गुम हो।
मनोज- यार, मैं सोच रहा था कि तेरे साथ बात किस तरह शुरू करूं कि तूने अपना ये हथौड़े जैसा हाथ मुझे मार दिया।
मैं- साले गान्डू, ऐसी कौन सी बात है जो करने के लिए तुम्हें सोचना पड़ रहा है। हम दोनों दोस्त हैं और वो भी पक्के वाले और ‘हाहाहाहा' करके हँसने लगा।
मनोज- यार एक लड़की का नम्बर मिला है, सरोज से। मैंने उससे बात भी की है और मजे की बात ये है कि वो सेक्स में भी इंटरेस्ट रखती है। लेकिन मिलना भी नहीं चाहती। तो मैं सोच रहा था कि अगर मैं उससे फेसबुक का आई.डी. या स्काइप आई.डी. ले लूं। लेकिन मेरे पास तो इतने पैसे भी नहीं हैं कि नेट केफे में थोड़ा टाइम पास कर लिया करूं और उसके साथ सेटिंग कर सकें।
मैं- हरामी, तुझे मैंने पहले कब मना किया है। वैसे नाम तो बता उस परी चेहरा का, बाकी सारी टेंशन मेरी है। तू फिक्र ना कर मैं करता हूँ कुछ इसका भी तेरे लिए।
मनोज- यार, अभी तक नाम तो मुझे भी नहीं पता, बस मैं उसे फूल जी कहकर बुलाता हूँ।
मैं- अच्छा चल ऐसा कर, तू चल मेरे साथ मेरे घर। मैं तुम्हें दो दिन के लिए अपना लैपटाप दे देता हूँ। अगर बात बनती नजर आई तो ठीक है, वरना छोड़ देंगे साली को और देखेंगे।
मनोज मेरी बात सुनकर मेरे साथ चल दिया और मैंने उसे अपने घर से कुछ दूर रोक और अपना लैपटाप दे दिया, तो वो खुश हो गया और फिर वहाँ से निकल गया। मैं कभी भी अपने दोस्तों को अपने घर नही लाया था। बाहर ही उनसे मिलता था। फिर मैं भी वापिस अपने रूम में आ गया। क्योंकी आज मैं जरा जल्दी घर
आ गया था। इसलिए मुझे अपने रूम में जाता देखकर रीटा दी ने कहा- “संजू क्या बात है, आज दुकान नहीं गये तुम? तबीयत तो ठीक है ना?”
जी दीदी, बस सर में दर्द हो रहा था इसीलिए घर वापिस आ गया हूँ..” और इतना बोलते हुये मैं अपने रूम में घुस गया और दरवाजा बंद करके सरोज (वो लड़की जिसे मैंने सेट किया था लेकिन अब वो मेरे साथ मनोज की भी रखेल थी) को काल की और उसके काल पिक करते ही मैंने उससे उस लड़की का पूछा जिसका नम्बर पूछा।
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