RE: Chudai Story बाबुल प्यारे
मैं : आपकी मालिश ने मुझे भी पागल कर दिया है. बापू का एक हाथ मेरे बूब पर गया और उससे हल्का हल्कादबाने लगे.वह मेरी गर्दन और मेरा चेहरा चूमते जा रहे थे.
मैं : पाप्पा.ओ.आपके चुंबन मुझे पागल कर देंगे.यह आपका एक हाथ मेरी छाति पर क्यूँ है. क्या करोगे उसका
बापू : जी चाहता है तेरी छाति को मसल दूँ.
मैं : ओईमा. जो करना है कर लो. मेरी छातियाँ मेरे बापू के काम नहीं तो किसके काम आएँगी. यह ब्रा बाप बेटी केबीच में आ रहा है. निकाल दो इसे.कर दो मेरे संतरों (ऑरंजस) को आज़ाद. बापू ने मेरा ब्रा निकाल दिया.वो मेरीछाती को देखते ही पागल से हो गये.दोनो हाथों से दोनो बूब्स को दबाने लगे.
बापू : छेमिया.तेरी चूचिया संतरे नहीं. नारियल (कोकनट) हैं. कितने बड़े और भरे भरे.
मैं : ऊ. दबाते रहो. कितना मज़ा आ रहा है. मैने अपने नारियलों मैं आपके लिए बहुत सारा पानी भरा हुआ है. पियोना अपनी बेटी का नारियल पानी. यह कहने की देर थी के बापू ने मेरे स्तन (बूब) अपने मूह (माउत) में ले लिएऔर चूसने लगे.
मैं : उऊँ. आह.ऊ.चूऊऊस. ऊ.मेरे अच्छे बापू. दूध पियो मेरा. बापू और ज़ोर से मेरे स्तन चूसने लगे.बीच बीच में मेरेनिपल्स को अपने दातों (टीत) से काट रहे तह..जब भी वह मेरे निप्स (निपल्स) को काट - ते तो , मेरी जान निकलजाती.लेकिन मज़ा आ रहा था.
मैं : ओमा.सारा दूध पी जाओ मेरा. खाली कर दो मेरे दूध के कटोरे. मैं आपकी मा हूँ, और आप मेरे बेटे हो. मेरे बेटेमेरी छाती से दुदू पी मेरी जान. मैने अपना एक हाथ बापू की लूँगी में डाला और लूँगी खोल दी. बापू ने अंदर कच्छापहना था.बापू मेरा दूध पीईईईन्न्नने में मगन थे .मेरे निपल्स को रुक रुक के जीभ से चाट - ते और दातों से काट - ते. मैने बापू की लूँगी में हाथ डाला.और उनके हिप्स को मसल्ने लगी.सच कहूँ तो मुझे बापू के हिप्स बहुत आकर्षकलगते थे .मैं इमॅजिन किया करती थी के उनके हिप्स कितने बड़े और कितने हार्ड होंगेः.मैने बापू की सारी लूँगीनिकाल दी.अब बापू सिर्फ़ कच्चे में और उनकी बेटी सिर्फ़ पॅंटी में.मेरे दोनो हाथ बापू की हिप्स पर थे.
मैं : ओ बापू.आपका जिस्म कितना कठोर (स्ट्रॉंग) है.
बापू : बेटी तेरे अंग जितने मुलायम हैं मेरे अंग उतने ही कठोर हैं.तेरा दूध बड़ा मीठा है.तू खुद भी चीनी है.बाप बेटीके नंगे जिस्मों का मिलन और गरम होता जा रहा था.बापू अब मेरा दूध ख़तम कर के मेरे पेट को चूम रहे थे ...वोमेरी नाभि (नेवेल) में अपनी जीभ चला रहे थे ..मेरी चूत तो पूरी गीली हो चुकी थी..अब बापू मेरी काली पॅंटी को चूमरहे थे .
मैं : ओह.प्प्प.आपपा.म.याइ.यह.आपन्न् ( ने.क्या कर दिया.है.मुझसे अब और सहेन नहीं होता..और मूततड़पाव.ऊ.बुज्ज्झा.भुजा दो मेरी प्यास.भुजा दो अपनी प्प्प्प्पयारी बेटी की प्यास.
बापू : अब मुझसे भी और सहेन नहीं हो रहा. यह कह के बापू ने पहले मेरी पॅंटी निकाल दी.फिर अपना कच्छा.ओहनो.बापू का लॉडा देख कर मैं घबरा गयी.इतना मोटा..
बापू : चल मेरी बेटी.
मैं : ओह.बापू.कितना मोटा डंडा है आपका.मुझे बहुत दर्द होगा.
बापू : थोड़ी दर्द तो होगा.लेकिन कुच्छ देर बाद अच्छा लगेगा.चल जल्दी कर.डलवा. मैने आँखें बंद (क्लोज़) करली.बापू ने एक झटके में मेरी चूत में लॉडा डाल दिया.मैं दर्द से कराह उठी.
मैं : ऊ.बापू.मैं मर जाऊंगी.निकाल लो इसे.
बापू : बस थोड़ी देर की ही बात है.सबर का फल बहुत मीठा होगा. अब बापू लॉड को मेरी चूत के अंदर बाहर करनेलगे. आगे पीछे आगे पीछे. अंदर. बाहर अंदर. बाहर..मुझे मज़ा आने लगा.
क्रमशः........................ .........
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