RE: Chudai Story बाबुल प्यारे
गतान्क से आगे....................
बापू : चल घर चल.कोई दावा लगा ले.चल बेटी खड़ी हो मैं जैसे ही खड़ी हो कर थोड़ा चलने की कोशिश की तो फिरसे गिर गयी
बापू : अर्रे, क्या हुआ बेटी.चला नहीं जा रहा
मैं : नहीं बापू.चलने में तो और भी दुख़्ता है
बापू : बेटी, थोड़ी कोशिश कर, घर जा कर दावा लगा कर ही दर्द ख़तम होगा, घर तो जाना ही है, हेना. मैं फिरसे उठी , थोड़ा चली पर फिर गिर पड़ी
मैं : नहीं बापू, मुझसे बिल्कुल नहीं चला जा रहा
बापू : फिर तो तुझे उठा के ही ले जाना पड़ेगा यही तो मैं चाहती थी.बापू मुझे उठाएं.उनका एक हाथ मेरी टाँगों के नीचे और दूसरा हाथ मेरी पीठ के नीचे और मैं उनके नंगे जिस्म से चिपकी हुई. जब बापू मुझे उठा रहे थे तो मैने जल्दी से अपने सूट के सामने के बटन खोल दिए और मेरे आधे से ज़्यादा उभार बाहर आ गये. अब मैं बापू की गोद में थी और मेरी छाति खुला दरबार बनी हुई थी.
मैं : बापू बहुत दर्द हो रहा है बापू ने मेरी तरफ देखा तो उनकी आँखे पहले वहीं गयी जहाँ मैं चाहती थी.मेरे उभारों को देखते हुए बोले
बापू : बस बेटी घर चल के सब ठीक हो जाएगा मैने झूट-मूट में आँखें बंद करली और देखा कि बापू रुक-रुक कर मेरी गोलाइयाँ (ब्रेस्ट) देख रहे हैं.किसी बाप के सामने उसकी बेटी की आधी छाति नंगी हो तो वो बेचारा खुल के देख भी नहीं सकता. बापू ने मुझे उठा रखा था, इसलिए मेरी हिप्स बापू की पेनिस की हाइट पर थी.सडन्ली मुझे हिप्स पर कुच्छ हार्ड फील हुआ.मैं समझ गयी यह क्या है. मेरे बापू का लोडा .आज बाप बेटी कितने पास होकर भी कितने दूर थे .डंडे और छेद में मुश्किल से चार इंच का फासला था घर पहुँचते ही बापू ने मुझे लिटा दिया.मेरी आँखें बंद थी पर छाती तो खुली थी
बापू : बेटी घर आ गया है
मैं : बापू, कुच्छ करो ना.दर्द हो रहा है
बापू : अलमारी में दावा रखी है.मैं लाता हूँ बापू डिस्प्रिन की गोली लाए और साथ में पानी. पानी पीते वक़्त मैने जान-बूझ कर पानी अपने ब्रेस्ट पर गिरने दिया.अब मेरे आधे नंगे उभारों पर पानी था. मैने गोली ले ली और फिरसे आँखें बंद करके लेट गयी.बापू बार बार मेरे उभारों को देख रहे थे .जवान बेटी के गीले उभार.बाप करे तो क्या करे. मैने सोचा इतना काफ़ी है अभी के लिए.
मैं : बापू, आपको जाना है तो जाओ, खेत में काम पूरा कर आओ, अब दर्द में पहले से फरक है
बापू : ठीक है.मैं जल्द ही काम करके आता हूँ. मैने सोचा काम करके आता हूँ या काम करने आता हू. रात को बापू आए तो मैं थोड़ा चलने लगी थी
बापू : बेटी फरक पड़ा ?
मैं : हां बापू, थोड़ा थोड़ा. फिर हमने रोटी खाई.. अब मेरा जलवा दिखाने का टाइम आ गया था.मैने शहर से ली हुई मॅक्सी (फुल्ली कवर्ड नाइटी) पहेनी.इस मॅक्सी का अड्वॅंटेज यह था कि यह बिना कुच्छ एक्सपोज़ किए भी सब कुच्छ एक्सपोज़ कर सकती थी.मैने लिपस्टिक और रूज़ भी लगा लिया. मॅक्सी पहेन के मैं बापू के सामने आई तो बापू मुझे देख कर थोड़े हैरान और थोड़े खुश भी हुए. हैरान इसलिए की उन्होने पहली बार ऐसी ड्रेस देखी थी और खुश इसलिए की उनकी बेटी सुन्दर लग रही थी
मैं : बापू, मैने यह शहर से यह कपड़े भी लिए हैं.कैसे हैं ?
बापू : अच्छे हैं, पर इसमे नींद आ जाएगी ?
मैं : और क्या, शहर में तो लड़कियाँ और औरतें रात को यही पहन कर सोती हैं
बापू : अच्छा ज़मीन पे बिस्तर लग चुका था.मैं बापू के पास जा कर बैठ गयी
मैं : बापू, जो डेवॅया आपने शाम को दी थी वो बहुत पुरानी हो चुकी है और उसका असर नहीं होगा
बापू : अच्छा मुझे तो पता ही नहीं था.
मैं : धीरे धीरे दर्द बढ़ रहा है. हमारे गाओं में दर्द के लिए सरसों का गरम तेल लगते थे . मुझे पता था कि बापू मुझे तेल लगाने के लिए ज़रूर कहेंगे. नहीं कहेंगे तो मैं खुद केहदूँगी. तेल से ही तो सारा रास्ता खुलेगा
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