RE: Sex Kahani आंटी और माँ के साथ मस्ती
मे जब उठा तो दोपहर हो चुकी थी ,मेने देखा कि मम्मी अभी तक तक सोई हुई है,मुझे ये सोचकर हसी आ गयी कि हमेशा मम्मी मुझे उठाती है लेकिन चुदाई के बाद हमेशा मे मम्मी को उठाता हूँ
मे जानता था कि आज मम्मी को अपनी गान्ड चुदवाने से कोई नही बचा सकता,लेकिन फिर भी मेने मम्मी को नही उठाना बेहतर समझा
मेने मामी द्वारा दी गयी सरसो के तेल की सीसी को लिया ऑर उसे घूर्ने लगा,पता नही क्यो मुझे उस तेल को घूर्ना बहुत अच्छा लग रहा था,या शायद ये मे जानता था कि ये तेल मम्मी के उस छेद पे लगेगा जिसने मुझे पागल कर रखा है,ऑर जिसने मुझ जैसे एक सीधे साधे लड़के को शातिर लड़का बना दिया था
मुझसे समय निकालना बहुत भारी पड़ रहा था,लेकिन मम्मी से प्यार होने की वजह से मे उन्हे कोई तकलीफ़ नही देना चाहता था हालाँकि मे मम्मी की गान्ड जोरदार तरीके से मारना चाहता था
कुछ देर यूही बीत जाने के बाद मेने सोचा क्यो ना टाइम पास किया जाए जब तक मम्मी भी उठ जाएगी
तो इस चक्कर मे मेने तेल की सीसी उठाई ऑर 8-10 बूंदे हाथ मे डाली ऑर अपने लंड पे ले जाकर मसल्ने लगा
मेने फिर कुछ बूंदे ली ऑर फिर लंड पे लगाकर मसलने लगा,मेरा लंड तेल मे इतने चमक रहा था जैसे किसी ने मोटा डंडा तेल मे से निकाला हो,
सरसो का तेल होने की वजह से अब मेरा हाथ अपने लंड पे बहुत आसानी से फिसल रहा था,मुझे बहुत मज़ा आ रहा था मम्मी की कल्पना करते हुए अपने लंड को मसलने मे ऑर मे ये कल्पना करके मज़ा उठा रहा था कि कैसे मेरा लंड मम्मी की गान्ड के छेद से अंदर बाहर हो रहा है ,ऑर मुझे पता ही नही चला कि कब मे उस स्थिति मे पहुच गया जहाँ मेरा लंड पानी छोड़ने वाला ही था ,पर मेने कैसे भी करके लंड को पानी निकालने से रोका
मे खुद से बोला ,मम्मी के सामने रहते हुए खुद को काबू करना बहुत मुस्किल है ,क्यो ना यहाँ से निकल कर थोड़ा इधर उधर के खेतों मे घूम आउ,अभी मम्मी को सोए हुए तकरीबन 2 घंटे हुए होगे ,मेने मम्मी की इतनी जबरदस्त चुदाई की है कि शायद मम्मी अभी 2-3 घंटे ऑर सोए,इससे अच्छा है बाहर घूम अओ
मे बाहर घूमने निकल गया ,आस पास देखा तो कोई नज़र नही आया,धूप जोरो की पड़ रही थी
तो मैं राजू के खेतो की तरफ निकल गया,मे जानता था कि राजू परसो आएगा ,ऑर उसके घर मे कोई है नही इसलिए उसकी माँ यही होगी ,ऑर उसके दर्शन हो जाए वो काफ़ी है
मे फिर राजू के खेतो की ओर निकल पड़ा ओर बहुत जल्द मे राजू के खेतो के पास पहुच गया,मे वही एक बड़े से पेड़ के पीछे छिपकर मंजू को ढूँढने लगा,मुझे काफ़ी निराशा हुई कि मंजू कही नही थी ,तो मेने सोच लिया कि मंजू अपनी कुटिया मे आराम कर रही होगी
मेने थोड़ा इंतज़ार किया पर मुझसे रुका नही जा रहा था ,तो मे हिम्मत करके कुटिया की ओर चला गया
((यहाँ मेरे गाँव मे सब खेतो मे कुटिया बनी होती है जिससे गर्मी मे दिन मे छाँव मे आराम किया जा सके,लेकिन लोग बाग आज कल इसे चुदाई मे ज़्यादा काम मे ले रहे है,यहाँ कुटिया मे कोई आता नही ,ऑर दूर दूर तक बड़े खेत होने के कारण किसी को पता भी नही चलता))
मे जैसे ही कुटिया के पास पहुचा ,मुझे कुछ आवाज़े सुनाई दी ,मुझे ये आवाज़े पहचानने मे देर नही लगी कि ये चुदाई के दौरान आने वाली आवाज़े है ,मे बहुत आश्चर्य मे पड़ गया कि मंजू भी किसी से चुदवा सकती है
मेरी हिम्मत नही हो रही थी कि मे अंदर देख सकूँ ,लेकिन मेने हिम्मत जुटाई ऑर खिड़की की दरार से देखने लगा लगा,मुझे कुछ दिखाई नही दे रहा था,फिर मेने खिड़की को थोड़ा सा धक्का दिया जिससे खिड़की थोड़ी सी खुल गयी,थोड़ी से आवाज़ भी आई ,लेकिन हवा ही इतनी चल रही थी कि कोई ये नही सोचेगा कि किसी ने खिड़की खोली है,
अब खिड़की की दरार इतनी खुल गयी थी कि मे अंदर देख सकता था,जैसे ही मेने अंदर देखा मेरा मुँह खुला का खुला रहा गया,जो आदमी मंजू को नीचे लेटकर चोद रहा था वो ऑर कोई नही बल्कि हमारे गाँव के बहादुर चाचा थे
(बहादुर चाचा,मेरे गाँव के सबसे ठरकी आदमी,दिनभर गंजा पीते रहते थे ,उसकी पत्नी की मौत को अरसा बीत चुका था,एक बड़े खेतो का मालिक,जिसपे इसने कई मजदूर रख रखे है,ऑर अधिकतर मजदूर औरते थी जिनकी उमर 40-50 के बीच होती थी ,ऑर चाचा की उमर लगभग ,65 साल,लेकिन कोई ये नही कह सकता कि ये 65 साल के है ऑर चुदाई मे तो उनका जवाब नही ,वो तरीबन 50 से उपर औरतों ऑर लड़कियो को चोद चुके है जिसमे अधिकतर उनकी मजदूर हुआ करती थी,वो रखता ही केवेल औरतो को मज़दूरी पे,जिससे उनको पटा के चोद सके जिसमे से अधिकतर औरतो को चोद चुका था ऑर बची कूची बहुत जल्द चुदने वाली थी,क्यो कि चाचा किसी को बक्श दे ऐसा हो नही सकता था ऑर कोई चाचा से नही पटे ये वो होने नही देते थे
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