RE: Sex Kahani आंटी और माँ के साथ मस्ती
अब तक मे तो अपनी माँ को नही चोद पाया ,लेकिन मुझे अपने दोस्तो का पता नही था ,हो सकता है उन्होने चोद ली हो अपनी माँ
राजू एक बड़ा मस्त बंदा है ,उसकी माँ मंजू बड़ी ही मस्त है ,हाइट थोड़ी छोटी है पर भरा हुआ शरीर है,मे कब्से मंजू को चोदना चाहता था,उसके पापा फ़ौज़ मे शहीद हो चुके थे ऑर जो सरकार द्वारा राशि मिली उससे गाव मे ही ज़मीन खरीद कर उसपर खेती करके गुज़ारा करते है
रामू मेहनती होने के कारण बहुत ताक़त थी उसमे ,मे उसे कुश्ती मे हरा नही पाता था ,जबकि मे भी कोई कम नही था
रामू के घर मे एक बहन थी,इनके परिवार मे रामू उसकी बहन ऑर उसकी माँ ही थी
उसकी बहन का नाम सोनिया प्यार से सब उसे सोना कहंते थे ,5 वी क्लास के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी
अभी भी ज़्यादा बड़ी नही हुई है,लेकिन चोदने लायक माल बन चुकी थी
कालू छोटी जाती के परिवार से था
भगवान ने भी बहुत जुर्म ढाए है उस पर ,उसकी बड़ी बहन रानु का देहांत हो गया था एक* आक्सिडेंट मे ऑर जो उसके पापा है रमेश ,जो ज़्यादातर दारू पीकर पलंग पे ही पड़ा रहता है
इन सबके बावजूद रामू ऑर मे उससे जिंदगी का मज़ा दिलाने की भरपूर कॉसिश करते है,हालाँकि उसके दादा इनके लिए काफ़ी ज़मीन छोड़ गये थे,इससे इनका गुज़रा हो जाता है
कालू की माँ भी बहुत मेहनती थी ,उनके खानदान मे शुरू से मेहनत करना सिखाया जाता है ,ऑर आपस मे मिलकर रहने को कहा जाता है,इसलिए आज भी कालू अपनी माँ के साथ ही सोता है
कालू की माँ का नाम कमला था,रंग काला था ,ऑर ज़्यादा काम करने के कारण बहुत ही ज़्यादा गठीला बदन था,ना ज़्यादा बड़ी चुचिया ना ज़्यादा बड़ी गान्ड ,मतलब सब कुछ टाइट था,या यू कहे कि रामू ऑर मेरी माँ का शरीर मखमली ऑर कालू की माँ का कसरती बदन था
मुझे अक्सर देखकर लगता था कि कालू की माँ सेक्स की भूकी है ,क्यो कि उसका देखना ऑर फिर अपनी चाल बदल कर सामने वाले को निढाल करना उसकी कला थी ,
मुझे जहाँ तक यकीन है कालू अपनी माँ को चोद चुका होगा
मेरे परिवार की रामू के परिवार से ही बनती थी ऑर मुझे इस बात का फ़ायदा था कि ,अगर मे कभी रामू की माँ मंजू को चोदुन्गा तो मुझे कुवारि गान्ड मिलेगी क्योकि रामू को भी गान्ड चोदना पसंद नही था
लेकिन साला कालू बहुत कुत्ता आदमी है ,उसको गान्ड मारनी बहुत पसंद है,उसने एक अपनी ही जात की एक दूसरे गाओं की भाभी को पटा रखा है,साला जब भी जाता था हमे ले जाता था,उसने उसकी बहुत गान्ड मारी,गान्ड मार मार कर चौड़ी कर दी,भाभी बता रही थी कि साला ये चूत की ओर तो देखता ही नही केवल गान्ड ही गान्ड मारे जाता है,मेरी गान्ड फूल कर देखो क्या हो गयी
लेकिन मुझे कोई ख़तरा नही था,क्योकि उसकी मेरे ऑर रामू के परिवार से नही बनती थी,ऑर हम ने आपस मे कह भी रखा था ,पहला हक बेटे का ही होगा फिर बाद मे दूसरे चोदेगे
मे बैठे बैठे इतना सब कुछ सोच रहा था मुझे पता ही नही चला कब मम्मी तैयार हो कर आ गयी,आज मेरी मम्मी ने घाघरा लूग्डी(राजस्थान की पारंपरिक वेशभूसा) पहना था,मे तो मम्मी को देखता ही रह गया,क्या लग रही थी मम्मी मन तो कर रहा था अभी चोद दूं माँ को
माँ की गान्ड घाघरे मे उभर के आ रही थी ओर फिर उपर नंगी कमर ऑर ब्लाउस मज़ा आ गया देखकर
मम्मी:मे चाइ बना लाती हूँ
मे:ठीक है मम्मी
फिर मम्मी किचन मे चली जाती है,मे भी दरवाज़ा बंद करके मम्मी के पीछे जाने लग जाता हूँ
मेरी प्लॅनिंग थी कोई आ नही जाए क्यो कि आज मे कोई मोका मिस नही करने वाला था मम्मी को चोदने का
मे एक बार फिर माँ के पीछे जाकर माँ से चिपक गया,मम्मी के बदन की भीनी भीनी खीसबू ने मुझे पागल कर दिया,ऑर मेरे लंड को तो आदत थी जब भी नाक तक मम्मी के बदन की खुसबू आए खड़ा होने लग जाता था
मे मम्मी के चिपका हुआ था ,मेरा लंड अब अपना रास्ता ढूंड रहा था,लंड धीरे धीरे माँ की गान्ड की दरार मे घुस रहा था,घाघरे का कपड़ा पतला होने के कारण मम्मी की गान्ड को बहुत अच्छे तरीके से महसूस कर सकता था,मुझे ऐसा लग रहा था मेरा लंड गान्ड का छेद ढूँढ रहा हो
मम्मी:कुछ चुभ रहा है मेरे पीछे
मे:क्या मम्मी,क्या चुभ रहा है,मुझे तो कुवह ऐसा नही लग रहा
मम्मी :नही कुछ सख़्त जैसा चुभ रहा है
मे:मुझे पता नही ,तुम खुद देख लो
मम्मी ने हाथ पीछे ले जाकर मेरे लंड पकड़ लिया ऑर तुरंत ही छोड़ दिया
मम्मी:रहने दे ,अच्छा लग रहा है,कोई भी चीज़ हो मगर मोटी ऑर सख़्त है
मे:अच्छा लग रहा है तो आने दूं उस चीज़ को
मम्मी :आने दो ( मुझे लगा मम्मी को भी अच्छा लग रहा था)
तभी हमारे घर का बेसिक फोन बजा
मेरे ना चाहते हुए भी मुझे जाना पड़ा
मेने जाकर फोन उठाया
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