RE: Sex Kahani आंटी और माँ के साथ मस्ती
मे अपने मन ""क्या मस्त गान्ड है माँ की,ऐसी गान्ड आज तक किसी नही मारी,बहुत ही अच्छी किस्मत है मेरी ऑर बहुत बहुत शुक्रिया मेरे पापा का कि उन्होने ये मस्त गान्ड मेरे लिए छोड़ दी,ये गान्ड तो ज़रूर मारूगा ओर ऐसी मारूगा कि इस गान्ड को इतनी बड़ी होने ऑर अपनी कुवारि होने का घमंड टूट जाएगा"""
हम दोनो को इतना मज़ा आ रहा था कि ना तो मम्मी अपनी जगह से हिल रही थी ऑर ना ही मुझे कुछ करने से रोक रही थी
मेने पाया कि मम्मी की सासे भी तेज हो रही तो ऑर मम्मी ने अपनी गान्ड को पीछे धकेल रही थी ,जिससे मेरा लंड ऑर अंदर तक मम्मी की गान्ड की दरार मे घुसा जा रहा था
मे धीरे धीरे अपना एक हाथ चुचि की तरफ ओर दूसरा हाथ चूत की तरफ ले रहा था की हमारी डोर बेल बजी,तभी मम्मी को होश आया ऑर बोली
मम्मी:तेरे पापा आ गये होगे ,7:30 बज गये ना
मुझे ना चाहते हुए भी मजबूरी मे दरवाजा खोलने जाना पड़ा ,आज मुझे अपने पापा पे बहुत गुस्सा आया कि कुछ देर ऑर लेट नही हो सकते थे जिससे कम से कम मम्मी की चुचि तो दबा लेता
फिर मेने दरवाज़ा खोला ऑर वापस रूम मे आकर पढ़ने लग गया
अगली सुबह जब मे उठा तो मेने फिर मम्मी की बड़ी गान्ड देखी ऑर फिर बातरूम मे जाकर लंड हिलाया फिर फ्रेश हुआ
मुझे लग रहा था सुबह सुबह उठते ही लंड हिलाने से लंड मे ताक़त आती है,इसलिए हर दिन मेरा पानी निकालने का समय बढ़ रहा था
फिर बाहर आकर देखा तो पापा मम्मी बैठे हुए थे
पापा ने मुझे देखा ऑर बोला
पापा:बेटा मोहित,इधर आ
मे पापा के पास गया
देख मेरी मीटिंग है मुंबई मे ,मुझे 25 दिन के लिए वही रहना पड़ेगा ऑर फिर उसके बाद मे ऑर मेरे दोस्तो ने प्लान बनाया है कुछ दिन ऑर वही रहकर घूमेगे
पापा के मुँह से ये बात सुनकर तो मुझे इतनी खुशी हुई कि बता नही सकता,क्यो कि इस आने वाले एक महीने मे तो मे गान्ड ऑर चूत मार मार के लाल कर दूँगा
पापा:तुम ऐसा क्यो नही करते कि तुम अपनी मम्मी को लेकर गाव चले जाओ,तुम्हारी छुट्टिया भी चल रही है,तुम्हारा भी मन लगा रहेगा ऑर तेरी मम्मी का भी टाइम पास हो जाएगा
मे अपने मन मे ""चलो अच्छा है सलीम के हाथो से तो माँ को बचा लिया,नही तो साला मेरी माँ की गान्ड फाड़ डालता,उपर से मेरी माँ भी तैयार थी उससे चुदने को,ये सब चाची का खेल है,वाकई बहुत शातिर खिलाड़ी है,किसी को कैसे राज़ी करना है वो अच्छे तरीके से जानती थी""
""काश चाची अगर साथ देती तो अब तक कई बार मे माँ की चूत गान्ड मार चुका होता,खेर जो हो गया वो हो गया""
पापा:तो फिर मे निकलता हूँ,तुम देख लेना
मे:हाँ पापा आज ही निकल जाते है
मम्मी:इतनी जल्दी क्या है
मे:मुझे पड़ाई करनी है,गाव मे ज़्यादा दिन गुज़ारना मेरे लिए दिक्कत है
पढ़ाई का नाम सुनकर सब लोग मान जाते है
मम्मी:ठीक है मे तैयार होती हूँ
पापा:मे ट्रेन की टिकेट बुक करा देता हूँ,तुम टिकेट काउंटर से ही ले लेना देगा ऑर ये कहकर पापा चले जाते है
मे गाव जाने को इतना उतावला क्यों था इसके पीछे का कारण है मेरे दोस्त राजू ऑर कालू,वो मेरे बचपन के दोस्त थे
हम तीनो मिलकर बहुत गंदी गंदी बाते करते थे
यहाँ तक कि हम ने आपस मे बोल भी रखा था कि एक बार हम अपनी मम्मियों को चोद ले फिर बाकी दोस्तो से चुदवाने मे मदद करेगे
ऑर इस बाते पे हम मे से किसी को ऐतराज़ नही था,सब चाहते कि उनकी माँ दूसरो से चुदे ,हम तो ये चाहते थे कि हम तीनो अपनी माओ के साथ एक ही जगह सब मिलकर चोदे ,
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