RE: Sex Kahani आंटी और माँ के साथ मस्ती
आज मम्मी पिंक कलर की साड़ी पहनकर कहर ढा रही थी,मम्मी पता नही क्यो तैयार हो रखी थी,
मे चाइ पीते पीते मम्मी के पीछे गया
मे:मम्मी ,आज तो बड़ी जच रही हो,क्या बात है
मम्मी:क्या मतलब तेरा ,बाकी दिन मे तुझे खराब लगती थी
मे:दुनिया मे ऐसा कोई बेटा नही जिससे अपनी माँ खराब लगती हो
मम्मी:कहाँ से लाया ये डाइलॉग
मे:मम्मी ये कोई डाइलॉग नही है ये एक बेटे द्वारा अपनी माँ के लिए दिल से निकले हुए शब्द है
मम्मी:मुस्कुरा जाती है,अच्छा ऑर क्या कहना चाहता है मेरे बारे मे
(((मुझे लग रहा था मम्मी अपनी बधाई सुनना चाहती है ))
मे:आप तो है ही बहुत सुंदर,आपके जैसा दुनिया मे कोई नही,आपका ये मामाक्खह,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मम्मी: क्या हुआ
मे:वो शब्द नही मिल रहे कि क्या बोलूं
मम्मी:तुझे मेरी कसम,नही बोला तो मे तुझसे कभी बात नही करूगी
मे:वो मे आपका मखमली बदन देखकर कोई भी पागल हो सकता है
मम्मी:तुझे शर्म नही आती ये बात करते हुए
मे:आप ही मुझे फोर्स कर रही थी(उदास सा चेहरा बनाते हुए)
मम्मी की ममता जाग उठी बोली अरे मेरा लाल,क्यो नाराज़ होता है
कोई बेटा अपनी माँ की बातो से नाराज़ होता है क्या,ऑर मम्मी मेरे पास आकर गाल खिचकर मस्का लगाने लगी
मम्मी के बदन की खुसबु पाते ही मेरा लंड खड़ा होने लग गया जो मम्मी की नज़रों से छिप नही सकता था
मम्मी ने एक नज़र पाजामे के लंड वाले हिस्से को देखा ,फिर मुस्कुरा कर खड़ी होकर बोली
मे चाइ बनाके लाती जब तक फ्रेश होले
मे:कोई ज़रूरत नही है
मम्मी: नीचे देख ,ज़रूरत है
(मम्मी का इशारा मेरे लंड की तरफ था)
मे बस कुछ नही बोला और सीधा बाथरूम मे जाकर सोचने लगा कि मम्मी क्या सोच रही होगी
फिर मे बाहर आया मम्मी चाइ लेकर खड़ी थी ,हमने चाइ पी ओर फिर मे खेलने निकल गया(आउटडोर खेलने जाता नही था,पर आज की घटना के बाद मुझे शर्म आ रही थी)
अगली सुबह फिर मम्मी ने आवाज़ लगाकर मुझे उठाया ऑर चाइ रखकर जाने लगी
अब तो मेरी आदत सी पड़ गयी थी मम्मी की जाते हुए गान्ड देखना ,ऑर पता नही मेरे लंड को भी क्या आदत हो गयी थी,बस मम्मी की गान्ड देखने की ज़रूरत थी ऑर लंड खड़ा हो जाता था
कुछ तो बात थी मम्मी की गान्ड मे,इतना परेशान किसी ऑर की गान्ड ने नही किया जितना मम्मी की गान्ड ने कर रखा है
बस एक बार मिल जाए मम्मी की गान्ड ,माँ कसम इतना चोदुन्गा कि नानी याद आ जाएगी
मुझे पता ही नही चला की कब मेरा हाथ मेरे लंड पे चला गया ऑर मे मसल्ने लगा
मुझे माँ की गान्ड की कल्पना करते हुए लंड मसल्ने मे इतना मज़ा आ रहा था कि पता ही नही चला ऑर कब मम्मी वापस आकर दरवाज़े का सहारा लगाकर खड़ी होकर मुझे देख रही थी
मम्मी:क्या हुआ
मे:हड़बड़ाहट मे ,अपने हाथ पाजामे से निकालते हुए,कुछ नही मम्मी
मम्मी:तुझे कोई बीमारी तो नही हो गयी
मे:कोन्सि बीमारी,मे ठीक हूँ
मम्मी:तो फिर क्यो खुजलाता है वहाँ
(मम्मी का इशारा मेरे लंड वाले हिस्से की ओर था)
मे:बस खुजली होती है
मम्मी: कोई कारण तो होगा,बिना कारण खुजली नही होती,साबुन नही लगाता क्या वहाँ
मे:लगाता हूँ ना मम्मी,वो बस आजकल से होने लगी है
मम्मी:चल कोई नही,दिक्कत आए तो बता देना(मुस्कुराते हुए)
मे:ठीक है मम्मी
फिर मम्मी चली गयी
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