RE: Sex Kahani आंटी और माँ के साथ मस्ती
माँ को लगा गया था कि मुझे उनकी इस हरकत से बहुत दुख पहुचा है ,इसलिए उन्होने जान बूझकर मुझे पाव दिखाते हुए कहा की चाची ने यहा मालिश की है(वैसे माँ ने घुटनो तक इशारा करते हुए बोला था,जबकि मुझे पता था चाची ने माँ के गान्ड के छेद की मालिश की थी
मे:मज़ाक मे ,माँ पाँव की ही क्यो करवाई मालिश पूरे शरीर की करवा लेती
माँ:अरे वो मालिश वाली थोड़े ही है जो पूरे शरीर की मालिश करवा लेती
मे:अगर चाची पाव की मालिश कर सकती है ,तो पूरे शरीर की भी मालिश कर सकती है
माँ:अगली बार देखेगे
मी:वैसे माँ मे भी मालिश अच्छी करता हूँ ,ऑर लड़का होने के कारण मेरे हाथो मे भी ज़ोर ज़्यादा लगेगा
माँ:अचंभित होते हुए,तू कहाँ से मालिश करना सीख गया
मे:आप जैसी माँ के लिए सब कुछ सीख सकता हूँ
((मुझे भी पता नही कहाँ से इतनी हिम्मत आ गयी कि माँ से डबल मीनिंग की बाते कर लग गया))
माँ को देख कर लग रहा था कि ,माँ ज़रूर अपने मन मे कुछ सोच रही है,
हालाँकि माँ ये समझ चुकी थी कि मे उनके साथ चिपकने की कॉसिश कर रहा हूँ
माँ:आज तो मालिश हो गयी अगली बार कभी ऐसा होगा तो तुझे बुला लुगी
मे:पक्का माँ
माँ:पक्का
मे:थॅंक यू माँ,आइ लव यू माँ ,ये कहकर मे खुशी से उछल पड़ा
माँ:तुझे क्या हुआ,इतना खुश क्यो है
मे:अपनी खुशी को काबू करते हुए ,नही माँ ऐसे कुछ बात नही है,हर बेटे को अपनी माँ की सेवा करने मे खुशी होती है
माँ:आज से पहले तो तूने कभी मेरी सेवा नही की
मे:मुझे पता नही था कि ,माँ की सेवा करने मे क्या खुशी होती है
माँ:तो तू कब्से सीख गया माँ की सेवा मे खुशी मिलती है
मे:थोड़ा सोचकर ,चाची ने बताया
माँ मुस्कुरा गयी
माँ समझ गयी थी कि मे माँ को पटाने की कोशिस कर रहा हूँ
अब माँ ने भी मज़े लेने के लिए मुझे छेड़ना शुरू कर दिया
माँ:अच्छा ,क्या कहा चाची ने तुझसे कि तुझे इतना जल्दी समझ मे आ गया
मे:चाची ने बड़े प्यार से समझाया कि माँ को खुश रखो,इसी मे सच्ची खुशी है
तब से मेने कसम खाई है कि मे आपको खुश करने के लिए अपनी जान भी दे दूँगा
मेरे इस डाइलॉग से माँ की ममता बाहर आ गयी,अरे बेटे ,ऑर मुझे गले लगाया
मुझे गले लगते ही मेरे लंड मे हरकत हुई ,ऑर वो खड़ा होने होने लगा,माँ के शरीर से एक अलग तरह की खुश्बू आ रही थी जो मेरे हथियार को खड़ा कर रही थी
मे इस के लिए तैयार नही था ,इसलिए मेने ने खुद को अलग होने मे ही बेहतर समझा,
ऑर बोला
मे:माँ आपके लिए चाइ बनाके लाता हूँ ,
मे चाइ बनाने गया ,कुछ ही देर मे मे चाइ लाकर माँ को दी
फिर हम दोनो ने चाइ पी ओर खुद देर तक बाते करते रहे,((इस बार हम ने बाते ग़लत वाली नही की थी ,हम बस बात करे जा रहे थे,हमे पता नही था हम क्यो बात करे जा रहे थे बस मज़ा आ रहा था))
ऑर देखते ही देखते शाम हो गयी ,फिर ध्यान आया कि शाम हो गयी ,हम दोनो अलग हो गये
मे पढ़ाई करने रूम मे चला गया ऑर माँ अपने काम मे बिज़ी हो गयी
अब रोज़ ऐसे ही चलता रहा,चाची रोज़ आती ऑर मे रोज़ की तरह के नीचे छुप जाता ऑर चाची रोज़ की तरह माँ की गान्ड के छेद मे एक उंगली घुसा के माँ की चूत से पानी निकाल देती
चाची माँ को गरम करके अपने बेटे से गान्ड मरवाने के लिए राज़ी करने की कोई कसर नही छोड़ती थी
लेकिन मेने भी ठान लिया था कि *माँ की गान्ड मे ही मारूगा
इसके लिए मे भी पूरा ज़ोर लगाना शुरू कर दिया था,अब दिन भर माँ के काम मे हाथ बटाता था,मोका मिलने पर मे माँ की गान्ड को देखकर लंड भी सहला लेता था,सच मे ,मुझे माँ की गान्ड से प्यार हो गया था,ऑर अब मुझे खुद पे गुस्सा आ रहा था कि कैसे मेने इस गान्ड को चाची ऑर सलीम के हवाले कर दिया था,केवेल ये सोच कर ही मेरा लंड तन्तना गया,ऑर झटके खाने लगा
फिर मेने बाथरूम मे जाक्र मेने लंड हिलाके शांत किया किया
लेकिन मुझ मे पता नही सलीम से टक्कर लेने की क्या जाम रही थी,इसलिए मे माँ की गान्ड जोरदार तरीके से मारना चाहता था,मैं नही चाहता था कि मुझे बाद मे पछतावा हो कि,मुझमे सलीम का मुकाबला करने की ताक़त नही थी,(हाँ मे मानता हूँ कि मे सलीम का चुदाई मे मुकाबला नही कर सकता,लेकिन फिर भी मे उसे टक्कर देना चाहता था)
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