RE: Sex Kahani आंटी और माँ के साथ मस्ती
अब मुझे यूँ लग रहा था ,कि मनोहर के पास जाउ ऑर पुछु कि यार कैसे पटाऊ मे अपनी माँ को,
लेकिन पता नही मेरा मन यही कह रहा था उस समय के हालात देखते हुए ,कि मुझमे इतनी हिम्मत नही कि मे अपने दम पे माँ को पटा सकूँ ऑर माँ को चोद सकूँ,मुझे किसी मदद चाहिए थी
ऑर मुझे इससे फ़र्क नही पड़ता था कि कोई मेरी माँ को मेरे से पहले चोदे,मे बस अपनी माँ की गान्ड को खोलके उस पर ठप्पा लगाना चाहता था कि ये गान्ड उसके बेटे की लिए है,यानी कि मेरी माँ की गान्ड को चोदने वाला मे पहला इंसान बनना चाहता था
तो मेरे प्लान मे अब माँ की चूत को किसी से चुदवाना शामिल था,लेकिन मुझे ये डर था कहीं चूत चोदने वाला माँ की गान्ड ना मार दे,जहाँ मुझे सलीम का बिल्कुल भरोसा नही था क्योकि वो तो मेरी माँ की गान्ड के पीछे हाथ धो के पड़ा है,जैसे ही मोका मिलेगा वो अपने लंड को मेरी माँ की गान्ड मे डालने का कोई अवसर नही छोड़ेगा
ऑर वही मनोहर ,जो की दमदार चुदाई करता है,मे नही चाहता कि कोई रेगर मेरी माँ की उस चूत मे अपना लंड डाले जहाँ से मे निकला हूँ,ऑर दूसरी बात जब से मेने मनोहर ऑर उसकी माँ के बीच की चुदाई देखी है तब से मेरे मन मे संकोच है कि चाहे कुछ भी हो किसी को मेरी माँ को इस तरह नही चोदने दूँगा जैसे मनोहर ने अपनी माँ की हालत खराब कर दी थी
मेरे कुछ समझ मे नही आ रहा था कि क्या करूँ,यही भी डर प्लान बनाने मे ज़्यादा डर हो गया तो कहीं चाची अपने प्लान मे शामिल ना हो जाए,ऑर मेरी माँ की गान्ड अपने बेटे सलीम के द्वारा खुलवा दे
क्योकि मे सलीम की ताक़त को जानता था ,वो अगर मेरी माँ को चोदेगा तो मेरी माँ की हालत बहुत बुरी होने वाली थी ऑर जहाँ वो माँ की गान्ड के पीछे पड़ा है,उस हिसाब से माँ 2 दिन तक अपने बेड से नही उठने वाली थी,
मुझे ये सोचकर ही मुझे बहुत गुस्सा आने लगा ,ओर मेने खुद से कहा """"मेरी माँ की गान्ड पे मेरा हक है,ऑर मे इससे लेकर रहूँगा,चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े""""
लेकिन मेरे पास चुदाई का एक्सपीरियेन्स नही था,मेने चाची को ज़्यादा देर तक नही चोद पाया था ,मुझे अपने आप को दमदार बनाना था ,इस हद तक कि किसी को भी चोदु तो वो हाथ जोड़ने लग जाए
सच कहूँ तो मे अपनी माँ को मनोहर जैसे ही चोदना चाहता था,लेकिन मेरे पास दम नही था,
चुदाई का अनुभव लेने के लिए मुझे चुदाई करनी थी,मेरे पास 2 ही ऑप्षन थे,चाची के साथ सेक्स,जहाँ मुझे अपनी माँ गान्ड पे दाव लगाना पड़ता है,ऑर ये डर रहता है,कि कही मे माँ की गान्ड हार ना जाउ
ऑर दूसरी ओर मनोहर की माँ के साथ चुदाई,लेकिन इसके लिए पैसे देने पड़ते हैं,जो मेरे पास है नही
मुझे पता था मनोहर ने उसकी माँ के साथ चुदाई के 1500 रात भर के लिए,ऑर मुझे कम से कम चुदाई मे दमदार होने के लिए बहुत सेक्स की ज़रूरत पड़ेगी,,मे निराश हो गया कि क्या करूँ,ले दे कर चाची ही एक मात्र सहारा दिख रही थी*
मेरी ये सोच थी अगर मे चुदाई मे दमदार नही हो पाया तो क्या मतलब मेरी माँ की गान्ड को चोदने का जहाँ मेरा 2 मिनिट मे निकल जाएगा,ऐसे मे मुझे ऑर मेरी माँ को भी दुख हो सकता है कि ""नामर्द बेटा पैदा किया है"" मे यही सोच कर घबरा गया,
क्योकि अगर मेरी माँ ये कह दे कि मे नामर्द हूँ ,इससे बढ़िया मे मर जाना पसंद करूगा ,ऑर मर जाने से अच्छा है मे मेरी माँ की गान्ड का पीछा करना छोड़ दूं,ऑर सलीम को गान्ड मारने दूं कम से कम माँ की गान्ड तो मार पाउन्गा
मे बहुत ही निराश होने लगा,क्योकि मुझे अपनी माँ की गान्ड खोने का डर लगने लगा था,ऑर मे अपनी माँ की गान्ड को अपने से दूर जाते हुए देख रहा था
मे सोच रहा था कि मे अपनी मदद के लिए किसके पास जाउ , चाची के पास या मनोहर के पास.
मे हर चीज़ बहुत बारीकी से सोच रहा था ,कि कही कोई रास्ता मिल जाए
अगर मे मनोहर के पास जाता हूँ मदद के लिए,तो हो सकता है सलीम चाची को मुझ से हमेशा के दूर कर दे,ऑर मनोहर का भरोसा नही है कि वो मेरी माँ को चोद पाए या नही,अगर नही चोद पाता है तो मेरी वॉट लग गयी वही अगर बात चाची की है तो ,मुझे चाची का शरीर हमेशा हाजिर रहेगा,मे जब चाहूं ,मे चाची की चूत मार सकता हूँ,चाची की गान्ड मार सकता हूँ,मूह चोद सकता हूँ,ऑर चाची ने माँ के साथ लेज़्बीयन सेक्स करने के कारण पूरी संभावना है कि मे माँ को चोद सकूँ,इसके बाद पास चाची ऑर माँ दोनो के शरीर पे पूरा हक होगा,बस बदले मे माँ की सबसे पहले गान्ड नही मार पाउन्गा,मुझे बस यही बात अखर रही थी कि मे ना चाहते हुए भी अपनी माँ की गान्ड को सलीम के देनी पड़ रही है
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