RE: Incest Kahani पहले सिस्टर फिर मम्मी
मैं उसके कांखों की मदमस्त खुशबू से एकदम मदहोश हो चुका था और कांखों के सारे पशीने को चाट गया। फिर मैंने उसकी दूसरी कांख को भी चाटा और नीचे की तरफ बढ़ता चला गया। उसकी नाभि को और पेट खूब अच्छी तरह से चाटा। नाभि के गोलाकार छेद में अपनी जीभ को डालकर घुमाते हुए, मैंने उसके पेटीकोट के ऊपर से ही हाथ फिराना शुरू कर दिया। अपने हाथों को उसकी जांघों के बीच लेजाकर उसकी चूत को अपनी मुठ्ठी में भरकर मसलने लगा। उसकी चूत एकदम गीली हो गई थी, इसका एहसास मुझे पेटीकोट के ऊपर से भी हो रहा था। मैंने हाथ बढ़ाकर उसके पेटीकोट ऊपर उठा दिया और उसकी जांघों को फैलाकर, उनके बीच आ गया। मम्मी की जांघे मोटी, केले के तने जैसी, मांसल और गोरी थी।
उसकी गोरी मांसल जांघों के बीच हल्की-हल्की झांटें थी और झांटों के झुरमुट के बीच उसकी गोरी चूत, चांद के जैसे झांक रही थी। उसकी चूत के गुलाबी होंठ गीले थे और ट्यूब-लाइट की रोशनी में चमक रहे थे। उसकी गोरी जांघों में मुँह मारने की मेरी हार्दिक इच्छा हुई और मैंने अपनी इस इच्छा को पूरा कर लिया। उसकी जांघों को। हल्के-हल्के दांत से काटते हुए मैं जीभ से चाटने लगा। चाटते-चाटते मैं उसकी रानों के पास पहुँच गया और उसकी जांघों के जोड़ को चाटने लगा। तभी मेरी नाक में उसकी पानी छोड़ती हुई चूत से आती खुशबू का एहसास हुआ और मैंने अपना मुँह उसकी चूत की मखमली झांटों पर रख दिया।
मम्मी ने भी अपने पैरों को फैला दिया और मेरे सिर के बालों पर हाथ फेरते हुए, मेरे चेहरे को अपनी चूत पर दबाया। मैं भी जीभ निकलकर उसकी चूत को ऊपर से नीचे एक बार चाटा, फिर चूत के गुलाबी होंठों को अपने हाथों से फैला दिया। मम्मी की चूत रस से एकदम गीली हो चुकी थी और बुर की क्लिट लाल दिख रही थी। मैंने अपनी जीभ को उस क्लिट के ऊपर हल्के से फेरा तो मम्मी का पूरे बदन कंपकंपा गया।
उसकी जांघे कांपने लगी और सिसयाते हुए बोली- “ओहह.. लड़के, क्या कर रहे हो... आआहह... बेटे, बहुत अच्छा कर रहे हो। ओओहहह... सही जा रहे हो। ऐसे ही अपनी जीभ मेरी चूत पर फिराओ और चूसो मेरी चूत को...”
मैंने चूत के होंठों को अपने होंठों से मिला दिया और बुर की टीट को होंठों में भरकर थोड़ी देर तक चूसा। फिर उसकी पनियाई हुई चूत के छेद में, अपनी जीभ को नुकीला करके पेल दिया और तेजी के साथ नचाने लगा। चूत में जीभ के नचाने पर मम्मी अपनी गाण्ड को हवा में उछालने लगी और सिसियाती हुई बोली- “ओहह... बेटा, । माय डार्लिंग सन, ऐसे ही डिअर ऐसे ही मेरी चूत में अपने जीभ को घुमाओ, यह मुझे बहुत मजा दे रहा है। मेरे बुरचाटू राजा, ओहहह, १३शीईई, मेरे गान्डू बेटे, तुम बहुत अच्छी चटाई कर रहे हो...”
मैं अपने हाथ को उसके चूतड़ों के नीचे ले गया। अपने हाथों से उसके चूतड़ों को सहलाते हुए, उसकी गाण्ड के छेद को अपनी एक अंगुली से छेड़ने लगा। मैं अपनी जीभ को कड़ा करके, उसकी चूत में तेजी के साथ पेल रहा था और जीभ को बुर के अंदर पूरा लेजाकर उसे घुमा रहा था। मम्मी भी अपने चूतड़ों को तेजी के साथ नचाते हुए, अपनी गाण्ड को मेरी जीभ पर धकेल रही थी। मैं उसकी बुर को जीभ से चोद रहा था। मम्मी अब उत्तेजना
की सीमा को पार कर चुकी थी, शायद।
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