RE: Incest Kahani पहले सिस्टर फिर मम्मी
ओह्ह... दीदी, आज से पहले मैंने ऐसा मजेदार खेल केवल ब्लू-फिल्मों में ही देखा था। यह मेरे जीवन की पहली घटना है। इसने मुझे बहुत ही रोमांचित और उत्तेजित कर दिया है। इसलिये कमरे में आते ही, जब मैंने तुम्हारी नंगी जांघे और पैन्टी देखी तो, मैं बेकाबू हो गया और तुम्हारी छातियां दबाने लगा...”
ओहह... भाई, मैं समझ सकती हूँ कि तुम बहुत गरम हो गये होगे, तभी तुमने ऐसी हरकत की है। मैं तुम्हें अब तक एक छोटा लड़का ही समझती रही हूँ। मुझे नहीं पाता था कि तुम बड़े हो गये हो। मैं देखना चाहूंगी कि तुम कितने बड़े हो गये हो?” कहकर मेरी बहन उठकर बैठ गई। उसने मेरे पजामे को खोल दिया और मेरा लण्ड, जैसा कि तुम देख ही चुकी हो, 7 इंच का है और उस समय पूरी तरह से खड़ा था, को नंगा कर दिया।
लण्ड फनफनाते हुए बाहर निकल आया। इसको देखकर सिस्टर के मुँह से एक किलकारी निकल गई। फिर वो मुश्कुराते हुए बोली- “बहुत प्यारा है भाई, तुम्हारा लण्ड और काफी बड़ा भी है। मैं तो अभी तक तुम्हें बच्चा ही समझती थी, मगर तुम्हारे लण्ड को देखकर मुझे लग रहा है कि तुम बहुत बड़े हो गये हो...”
फिर दीदी नीचे झुक कर, मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मेरे लिये यह पहला और अनोखा अनुभव था। मुझे बहुत उत्तेजना हो रही थी और गुदगुदी भी हो रही थी। मैंने उसके मुँह से लण्ड को बाहर खींचने की कोशिश की। मगर बहन ने लण्ड के सुपाड़े को मुँह में भरकर चूसना जारी रखा हुआ था। यह बड़ा ही अनंददायक क्षण था मेरे लिये। पहली बार मैं अपने लण्ड को चुसवा रहा था, और वो भी मेरी प्यारी गुड़िया सी बहन द्वारा।
ओह्ह... दीदी, मुझे बहुत मजा आ रहा है, और मैंने ऐसा पहले कभी महसूस नहीं किया है.”
ब्रदर, तुम्हारा लण्ड सच में बहुत ही मजेदार है और मुझे चूसने में बहुत अच्छा लग रहा है। तुम्हारे इस खड़े लण्ड को देखने और चूसने से मेरी पैन्टी गीली महसूस हो रही है...” मेरी प्यारी बहन ने अपना मुँह, मेरे लण्ड पर से हटाते हुए कहा।
मुझे बहुत मजा आ रहा था, ऐसा लग रहा था कि मेरा फिर दुबारा से निकल जायेगा। इसलिये मैंने दीदी के बालों को पकड़कर, उसके मुँह को अपने लण्ड पर से हटाकर ऊपर उठा दिया और उसके होंठों को चूम लिया। बहना ने भी बहुत प्यार से मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच दबा लिया, और अपनी जीभ को मेरे मुँह में डाल दी। हम दोनों करिब पांच-सात मिनट तक दूसरे के होंठों को चूसते रहे।
कुछ देर बाद दीदी ने अपने चेहरे को मुझसे अलग किया और बोली- “ओह्ह... भाई, ये बहुत आश्चर्यजनक है कि हम दोनों को इस तरह का मौका मिला है। तुम अब बड़े हो गये हो। ओह्ह... ब्रदर, आओ हम दोनों जल्दी से चुदाई का खेल शुरू करे..” कहकर बहन बेड पर पीठ के बल लेट गई।
उसके नाइट-गाउन के सारे बटन तो, पहले से ही खुले हुए थे। अब उसने अपनी ब्रा भी उतार दी। उसकी गोलगोल, भारी चूचियों को मैंने अपने हाथों में ले लिया और एक चूची को मुँह में भरकर, दूसरी चूची को जोर से दबाते हुए चूसने लगा। दीदी के मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं। मैं धीरे-धीरे नीचे की ओर सरकता गया,
और मैंने अपने चेहरे को उसकी मोटी जांघों के बीच छुपा दिया।
उसकी झीनी पैन्टी के ऊपर से मैंने उसकी चूत को अपने मुँह में कैद कर लिया। मुझे ऐसा लगा, जैसे उसकी चूत के ऊपर बाल उगे हुए हैं। फिर मैंने जल्दी से उसकी पैन्टी को खींचा। दीदी ने भी अपने चूतड़ उठाकर, इस काम में मेरी सहायता की और मेरे सामने मेरी प्यारी बहन की खूबसूरत, हल्के झांटों वाली चूत नुमाया हो गई। मेरे अंदर जजबात का एक तूफान उमड़ पड़ा था। मैं अपने आपको, इतनी खूबसूरत और प्यारी चूत से, अब । अलग नहीं रख सकता था। अपनी इस उत्तेजित अवस्था में मुझे, अपने चेहरे को उसकी बुर में गाड़ देने में कोई हर्ज नजर नहीं आ रहा था। मैंने ऐसा ही किया और उसकी चूत को चाटने लगा, साथे में उनकी फांकों को अपनी जीभ से सहलाने लगा।
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