RE: Incest Kahani पहले सिस्टर फिर मम्मी
वह मुझसे लगातार पूछ रही थी- “बताओ मुझे, क्या तुम्हें जरा भी शर्म नहीं महसूस नहीं हुई, या पाप का एहसास नहीं हुआ, अपनी बहन को चोदते हुए?”
मैंने अपना सिर नीचे झुक लिया और कोई जवाब नहीं दिया। तब उसने मुझे अपने पास खींच लिया और मेरे चेहरे को कोमलता से अपने हाथों में लेकर, मेरी आँखों में झांकते हुए कहा- “बेटे, मुझे विस्तार से बताओ, तुम दोनों के बीच ये सब कैसे हुआ?”
मैंने बड़े ही मासूमियत के साथ उससे माफी मांगी और उसकी आँखों में झांकते हुए, उससे वादा लिया कि वो नाराज नहीं होगी। उसके बाद मैंने उसे पूरी कहानी सुनाई।
मम्मी, यह लगभग 3 महीने पहले की बात है। एक दिन जब अचानक, मेरी नींद रात के करिब 12:00 या 12:30 बजे के आस-पास खुली। मैं बाथरूम जाने के लिये उठा। बाथरूम करने के बाद जब मैं वापस लौट रहा था, तब मैंने देखा कि आपके कमरे की लाइट जल रही थी और दरवाजा थोड़ा-सा खुला हुआ था। मैं अपने कमरे में घुसकर पर्दे के पीछे छिप गया और देखने लगा।
मैंने देखा कि तुम केवल पेटीकोट में ही कमरे के बाहर आ गई थी और तुम्हारी छातियां पूरी तरह से नंगी थी। फिर तुम अपने बालों का जूड़ा बनाते बनाते हुए सीधा बाथरूम के अंदर घुस गई थी। तुम्हारे खूबसूरत और नग्न बदन को देखाकर मेरे पैर जैसे जमीन से गड़ गये थे। मेरा मुँह सूख गया और मेरी रीढ़ कि हइडियों में एक कंपन दौड़ गई। तुम्हारी छातियां बड़ी ही कामुक अंदाज से हिल रही थीं। दम साधे मैं तुम्हें देखता रहा, तुम बिना बाथरूम का दरवाजा बंद किये, अपने पेटीकोट को ऊपर उठाकर पेशाब करने बैठ गई...”
पेशाब करने के बाद तुम सीधा अपने कमरे में गई और दरवाजा बंद कर लिया। मैं हिम्मत करके तुम्हारे कमरे कि खिड़की के पास चला गया। पिताजी बिस्तर पर तकिये के सहारे नंगे लेटे हुए थे और सिगरेट पी रहे थे। उनका डण्डा लटका हुआ और भीगा हुआ लग रहा था। तुमने पिताजी के पास पहुँचकर उनसे कुछ कहा और उनके हाथ से सिगरेट ले ली। फिर तुमने अपने पेटीकोट को खोलकर फेंक दिया और अपने एक पैर को उनके चेहरे के दूसरी तरफ डाल दिया। तुम्हारा एक पैर अभी भी जमीन पर ही था, ऐसा करके तुमने अपनी फुद्दी को पिताजी के मुँह से लगा दिया। उन्होंने तुम्हारे खूबसूरत चूतड़ों को अपने हाथों में भर लिया और तुम्हारी फुद्दीको चाटने लगे। तुम बहुत खुश लग रही थी, और अपने एक हाथ से अपनी छातियों को मसलते हुए सिगरेट भी पी रही थी। कुछ देर बाद तुमने सिगरेट फेंक दी और नीचे झुक कर पिताजी के डण्डे को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी...”
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