RE: Incest Kahani पहले सिस्टर फिर मम्मी
उसकी पेशाब करने की आवाज ने मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित कर दिया था। पेशाब की तीखी गंध ने मेरे नथुनों को भर दिया और मेरे बदन में दौड़ते खून ने मेरे चेहरे पर आकर उसका रंग बदल दिया।
थोड़ी देर तक पेशाब करने और मुझे इस खूबसूरत, दिल को घायल कर देने वाला नजारा दिखाने के बाद, वो उठी और पेटीकोट को नीचे करके मेरी ओर देखते हुए प्यार से मुश्कुराते हुए बोली- “बेटे, अगर तुम्हें पेशाब लगी है तो तुम कर लो। मैं अपने कमरे में जा रही हैं और वहीं तुम्हारा इन्तेजार करूंगी...” कहकर वो बाथरूम से निकल गई।
मैं थोड़ी देर तक वहीं खड़ा सोचता रहा। इस बीच मेरा लण्ड थोड़ा ढीला हो गया था, इसलिये मैंने भी पेशाब कर लिया। बाथरूम से निकलकर जब मैं मम्मी के कमरे में पहुँचा, तो मैंने देखा कि डबल बेड पर मम्मी तकिये के सहारे पीठ टिकाकर बैठी थी। उसके सामने एक छोटी टेबल पर ग्लास में ड्रिंक रखा हुआ था। उसने इस समय अपने बालों को संवार लिया था। उसका पेटीकोट, उसकी नाभि से नीचे बंधा हुआ था। जिसके कारण उसका गोरा, मांसल पेट और नाभि दिख रहे थे। उसके ब्लाउज़ के आगे का एक बटन खुला हुआ था, जिसके कारण उसकी चूचियां एकदम बाहर की ओर निकली हुई दिख रही थीं। मैं धीमे कदमों से चलते हुए उसके पास पहुँचा।
उसने मुझे बेड पर बैठने का इशारा करते हुए पूछा- “क्या तुम ड्रिक लेना पसंद करोगे?”
मैं कुछ नहीं बोला, और चुपचाप उसकी तरफ देखता रहा।
उसने एक दूसरे ग्लास में ड्रिक डाल दी और थोड़ा मुश्कुराते हुए बोली- “लो पी लो, मैं समझती हूँ कि इसको लेने के बाद तुम अच्छा महसूस करोगे। फिर हम दोनों आराम से बात कर सकेंगे...”
मैंने देखा कि जब वो खुद ही मुझे ड्रिक ओफर कर रही है, तो मैंने उसे उठा लिया और एक ही सांस में पी गया।
उसने भी अपने ड्रिक को खाली कर दिया और फिर मेरी तरफ घूमकर बोली- “लड़के, तुम ऐसा कब से कर रहे हो?"
मैं चुप रहा।
देखो, मैं तुम्हें डांट नहीं रही हूँ। मैं सिर्फ इतना पूछना चाहती हूँ कि तुम ऐसा कैसे कर सकते हो? क्या तुम्हें डर नहीं लगा?”
मैंने बात को थोड़ा घुमाने के इरादे से, हिम्मत करके जवाब दिया- “तुम क्या बात कर रही हो, मम्मी... मैं चाहता हूँ कि तुम थोड़ा खुलकर बताओ...”
मुझे आश्चर्य है कि तुम दोपहर की घटना को इतनी जल्दी भूल गये। फिर भी मैं तुमसे खुलकर पूछती हूँ कि तुम ऐसा, यानी कि अपनी बहन को कब से चोद रहे हो?”
मुझे ड्रिंक और उसके खुले व्यवहार ने थोड़ा साहसी बना दिया था, लेकिन मैंने डरने और शर्माने का नाटक किया और हल्के से बड़बड़ाते हुए हाँ.. हूँ बोलकर चुप हो गया।
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