RE: Incest Kahani पहले सिस्टर फिर मम्मी
मुझे बहुत शर्म आ रही थी, मगर साथ ही साथ मैं धीरे-धीरे उत्तेजित भी हो रहा था। क्योंकी मम्मी का मांसल बदन मेरी पीठ से चिपका हुआ था। मुझे महसूस हुआ कि उसकी चूचियां, मेरी पीठ से चिपकी हुई हैं और मेरे चूतड़ उसकी मांसल जांघों के बीच के गड्ढे में, उसकी चूत के ऊपर चिपके हुए हैं। मेरा लण्ड पूरी तरह से खड़ा हो गया और मेरे लिये पेशाब करना बहुत मुश्किल हो चुका था।
मम्मी अपनी गरदन को मेरे कंधे पर रखते हुए, अपने गाल को मेरे चेहरे से सटाकर, रगड़ते हुए बोली- “ओहह.. लड़के, क्या तुम्हें पेशाब नहीं आ रहा है... पेशाब करो, दिखाओ मुझे तुम कैसे पेशाब करते हो? मैंने तुम्हें चोदते हुए तो देखा ही है...”
मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं था और मेरा लण्ड अब अपनी पूरी औकात पर आ गया था। यानी कि 7 इंच लम्बा हो गया था।
मेरे लण्ड को देखते हुए उसने कहा- “ओह्ह.. कितना बड़ा डण्डा है, तुम्हारा? तुम्हारी उमर के लिये तो ये बहुत बड़ा है, लेकिन बहुत अच्छा भी है...” इतना कहते हुए उसने अपने मुँह से चटकारे की आवाज निकाली। जैसे की खाने की कोई बहुत स्वादिष्ट चीज, उसे मिल गई हो। उसने मेरे लण्ड को अपने हाथों से पकड़ लिया।
मैंने इससे बचने की कोशिश की, मगर कोई फायदा नहीं हुआ। जब मैंने उसकी ओर पलटकर देखा तो, उसने सीधा मेरे होंठों पर अपने गरम मुलायम होंठ रख दिये और अपनी जीभ को मेरे मुँह में पेलने की कोशिश की। मुझे उसके मुँह से शराब का टेस्ट महसूस हुआ।
मम्मी मेरे लण्ड को थोड़ी देर तक सहलाती रही, फिर बोली- “ठीक है, अगर तुम पेशाब नहीं करना चाहते तो । कोई बात नहीं। मुझे पेशाब आ रही है, और मैं सोचती हूँ मुझे कर ही लेना चाहिए...” इतना कहने के बाद वो मेरे आगे आई और अपने पेटीकोट को अपने चूतड़ों के ऊपर उठाकर, घुटनों को मोड़कर, वहीं पर बैठ गई। ओहह... कितना मनोहर दृश्य मेरी आँखों के सामने था।
ओह दोस्तों, उसके खूबसूरत गोलाकार चूतड़, जो कि सफेद संगमरमर के जैसे थे और भूरे रंग की खाई के द्वारा अलग-अलग बंटे हुए थे, जिनके बीच में सिकुड़ा हुआ, छोटा-सा भूरे रंग का छेद था। ये सब देखते ही मेरी आँखें फैल गईं। मेरा मुँह और गला दोनों ही सूख गये, जब मैंने उसकी चूत को पीछे से देखा।
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