RE: Incest Kahani पहले सिस्टर फिर मम्मी
उसकी मखमली चूत से गाढ़ा द्रव्य निकलने लगा। वो मेरे चेहरे को अपनी चूत और चूतड़ों के बीच दबाये हुए, बिस्तर पर अपनी गाण्ड को नचाते हुए गिर गई। उसकी चूत अभी भी फड़फड़ा रही थी, और उसकी गाण्ड में भी कंपन हो रहा था। मैंने उसकी चूत से निकले हुए रस की एक-एक बूंद को चाट लिया, और अपने सिर को उसकी मांसल जांघों के बीच से निकाल लिया।
मेरी बहन बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई थी। कमर के नीचे वो पूरी नंगी थी। झड़ जाने के कारण उसकी आँखें बंद थी, और उसके गुलाबी होंठ हल्के-से खुले हुए थे। वो बहुत गहरी सांसें ले रही थी। उसने अपने एक पैर को घुटनों के पास से मोड़ा हुआ था और दूसरे पैर को फैलाया हुआ था। उसके लेटने की ये स्थिति बहुत ही कामुक । थी। इस स्थिति में उसकी सुनहरी, गुलाबी चूत, गाण्ड का भूरे रंग का छेद और उसके गुदाज चूतड़ मेरी आँखों के सामने खुले पड़े थे और मुझे अपनी ओर खींच रहे थे। मेरा खड़ा लौड़ा, अब दर्द करने लगा था। मेरे लण्ड का सुपाड़ा, एक लाल टमाटर के जैसा दिख रहा था।
मेरे लण्ड को किसी छेद की सख्त जरूरत महसूस हो रही थी। मैं गहरी सांसें खींचता हुआ, अपनी उत्तेजना पर काबू पाने की कोशिश कर रहा था। मेरे हाथ मेरी दीदी के नंगे चूतड़ों के साथ खेलने के लिये बेताब हो रहे थे। मैं अपने अंडकोषों को सहलाते हुए, सुपाड़े के छेद पर जमा हुई पानी की बूंदों को देखते हुए, अपनी प्यारी नंगी बहन के बगल में बेड पर बैठ गया।
मेरे बेड पर बैठते ही दीदी ने अपनी आँखें खोल दी। ऐसा लग रहा था, जैसे वो एक बहुत ही गहरी निंद से जागी हो। जब उसने मुझे और मेरे खड़े लण्ड को देखा तो, जैसे उसे सब कुछ याद आ गया और उसने अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए, मेरे खड़े लण्ड को अपने हाथों में भर लिया और बोली- “ओह्ह... प्यारे, सच में तुमने मुझे बहुत सूख दिया है। ओहह... भाई, तुमने जो किया है, वो सच में बहुत खुशनुमा था। मैं बहुत दिनों के बाद इस प्रकार से झड़ी हूँ... ओहह... प्यारे, तुम्हारा लण्ड तो एकदम खड़ा है। ओह्ह... मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि मेरे प्यारे भाई का डण्डा खड़ा होगा और उसे भी एक छेद की जरूरत होगी। ओह्ह... डार्लिंग आओ, जल्दी आओ, तुम्हारे लण्ड में खुजली हो रही होगी। मैं भी तैयार हूँ, तुम्हारा खड़ा लण्ड देखकर मुझे भी उत्तेजना हो रही है, और मेरी बुर भी अब खुजलाने लगी है..."
“ऐसा नहीं है दीदी, अगर इस समय तुम्हारी इच्छा नहीं है तो कोई बात नहीं है। मैं अपने लण्ड को हाथ से झाड़ लूंगा...”
नहीं भाई, तुम अपनी बहन के होते हुए ऐसा कभी नहीं कर सकते, अगर कुछ करना होगा तो मैं करूंगी। भाई, मैं इतनी स्वार्थी नहीं हूँ कि, अपने प्यारे सगे भाई को ऐसे तड़पता हुआ छोड़ दें। आओ भाई, चढ़ जाओ अपनी बहन पर और जल्दी से चोदो, चलो, जल्दी से चुदाई का खेल शुरू करें...”
मैंने उसके होंठों पर एक जोरदार चुंबन जड़ दिया। और उसके मांसल, मलाईदार चूतड़ों को अपने हाथों से मसलते हुए, उससे कहा- “दीदी, तुम फिर से घुटनों के बल हो जाओ, मैं तुम्हें पीछे से चोदना चाहता हूँ.."
मेरी बात सुनकर मेरी प्यारी सिस्टर ने बिना एक पल गंवाये, फिर से वही पोजीशन बना ली। उसने घुटनों के बल होकर, अपनी गरदन को पीछे घुमाकर मुश्कुराते हुए, मुझे अपनी बड़ी-बड़ी आँखों को नचाते हुए आमंत्रण दिया। उसने अपने पैरों को फैलाकर, अपने खजाने को मेरे लिये पूरा खोल दिया।
मैंने फिर से अपने चेहरे को उसकी जांघों के बीच घुसा दिया, और उसकी चूत को चाटने लगा। चूत चाटते हुए अपनी जीभ को ऊपर की तरफ ले गया, और उसकी खूबसूरत और मांसल गाण्ड की दरार में अपनी जीभ को घुसा दिया और जीभ निकालकर उसकी गाण्ड को चाटने लगा। मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को फैलाकर, उसकी गाण्ड के छेद को चौड़ा कर दिया। फिर अपनी जीभ को कड़ा करके, उसकी गाण्ड में धकेलने की कोशिश करने लगा। उसकी गाण्ड बहुत टाईट थी और इसे मैं अपनी जीभ से नहीं चोद पाया।
मगर मैं उसकी गाण्ड को तब तक चाटता रहा, जब तक कि दीदी चिल्लाने नहीं लगी और सिसयाते हुए मुझे बोलने लगी- “ओह्ह... ब्रदर, अब देर मत करो। मैं अब गरम हो गई हैं। अब जल्दी से अपनी प्यारी बहन को चोद दो, और अपनी प्यास बुझा लो। मैं समझती हूँ, अब हमारा ज्यादा देर करना उचित नहीं होगा। ओह्ह... भाई, जल्दी करो और अपने लण्ड को मेरी चूत में पेल दो..”
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