non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
06-06-2019, 02:14 PM,
RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
कामरू- किसी और को पटा के क्यों? हम नहीं हैं क्या? अरे अभी तो मेरा लण्ड खड़ा होता है। जब खड़ा होना बंद हो जाएगा ना तब पटाना किसी और को।
सहेली- अच्छा, लग गई ना मिर्ची गाण्ड पे? और गाजर बैगन घुसाने के लिए कैसे बोले।
कामरू- तेरी माँ की चूत में लौड़ा घुसाऊँ... साली।
सहेली- “देखो जी, हम दोनों के बीच में हमरी माँ को ना लाओ... और रही हमरी अम्मा को चोदने की... तो मैं मानती हूँ की आपका लण्ड बड़ा है, मोटा है, तगड़ा है। पर सैंया जी, आप यहाँ और हमरी अम्मा अपने गाँव में.. आपका लण्ड इतना बड़ा तो है नहीं की यहीं से हमरी अम्मा की चूत में लण्ड घुसेड़ सको। उन्हें चोदने के लिए तो आपको हमरे मायके जाना पड़ेगा। और रही बात साली को चोदने की... तो मैं तो कहती हूँ अभी वो बगल के कमरे में ही है। कहो तो बुलाए देती हूँ, हुमच-हुमच कर चोद लेना कुछ भी ना बोलूंगी... हाँ नहीं तो... और तुम हमरी अम्मा को चोदने जाओगे तो क्या हमरी चूतवा तुमरे बाबूजी आकर चोदेंगे?
कामरू- अरे, कमलावती फिर से मुझे माफ कर दे। गलती से माँ की गाली निकल गई।
सहेली- कोई बात नहीं सैंया जी, चुदाई के समय ये गाली देने से चुदाई की इच्छा प्रवाल हो जाती है। इच्छा ना होते हुए भी चूत पनियाने लगती है। और लण्ड को अपने अंदर समेटने के लिए फड़फड़ाने लगती है।
कामरू- इसका मतलब है कि तुम चुदाने के लिए तैयार हो।
सहेली- और नहीं तो क्या आपके हाथ में राखी बाँधने के लिए तैयार हूँ। अरे सैंया जी... मैं बिल्कुल नंगी आपसे चूचियां दबवा रही हूँ, चुसवा रही हूँ, चूत को सहलवा रही हैं, और आप तो अभी चाटने भी लगे हो। इधर मैं आपके लण्ड को चूसने लगी हूँ फिर भी आप पूछ रहे हो की मैं चुदवाने के लिए तैयार हैं।
कामरू- पर... मेरा पानी जल्दी नहीं निकलेगा?
सहेली- कोई बात नहीं सैंया जी... मजा भी तो उतना ही आएगा। बस अब बर्दास्त नहीं हो रहा है सैंया जी, अपने लण्ड को घुसेड़ ही दो।
कामरू- मुझसे भी अभी बर्दास्त नहीं हो रहा है कमलावती। अब मैं अपना लण्ड तेरी फुद्दी में घुसाने ही वाला हूँ।
सहेली- घुसा दो और किस बात की राह देख रहे हो?
कामरू- ले संभाल फिर।
सहेली- अरे.. राम रे... ये क्या घुसा दिया मेरी फुद्दी में?
कामरू- अरे, ये मेरे लण्ड का सुपाड़ा है।
सहेली- पर ये तो मेरी फुददी की दीवारों को चीरता हुआ घुसे ही जा रहा है। अब बस करो जी।
कामरू- क्या बस करो। अभी तो सुपाड़ा ही घुसा है। ये ले मेरा दूसरा धक्का।
सहेली- उइई.. माँ... मरी रे... बचाओ।
कामरू- धीरे-धीरे रानी। ये अपना घर नहीं, होटेल है। सब इकट्ठे हो जाएंगे।
सहेली- पर आपने तो पूरा एक साथ ही घुसेड़ दिया है सैंया जी। एक साथ घुसेड़ोगे तो दर्द तो होगा ही ना।
कामरू- सारा एक साथ कहाँ घुसेड़ा है मेरी जान। अभी आधा ही घुसेड़ा है... आधा लण्ड मेरा बाहर ही है।
सहेली- क्या? आधा ही घुसेड़ा है... आधा और बाकी है? मैं तो मर जाऊँगी सैंया जी। इतना बड़ा मेरी फुद्दी में घुस नहीं सकता? फुद्दी मेरी फट जाएगी, मैं मर जाऊँगी।
कामरू- अरे कुछ नहीं होगा कमलावती, कुछ नहीं होगा। सब दिन घुसता है मेरा लौड़ा तेरी फुद्दी में। आज कोई नया थोड़े ही घुस रहा है। पर आज कुछ-कुछ तेरी फुद्दी टाइट लग रही है कमलावती। बाकी दिन तो लण्ड आसानी से घुस जाता है। आज तेरी फुद्दी बहुत टाइट है... क्या बात है?
सहेली क्या बोलती की ये लौड़ा इस फुद्दी में तो पहली बार ही घुस रहा है।
पर बोले भी तो क्या बोले?
और तभी सहेली चिल्लाई- अरे... रे... रुक जाओ। है माँ... पूरा ही घुसा दिया इसने तो... मैं मर गई अम्मा... मुझे बचाओ... मेरी फुद्दी फट गई... राम रे... इस हैवान ने मुझे पूरा ही मार दिया। हे भगवान् बचाओ... मुझसे गलती हो गई की इनसे चुदवाने आ गई.. आज बचा लो भगवान.. फिर से ऐसी गलती नहीं होगी।
कामरू- बस रानी कमला, पूरा घुस चुका है। बस अब दर्द नहीं होगा।
सहेली- पक्के बहनचोद हो तुम।... ऐसे भी कहीं लड़की चोदी जाती है।
कामरू- तुम्हें कैसे मालूम पड़ा रानी की मैं पक्का बहनचोद हूँ।
सहेली- अच्छा... आप बहनचोद हो ये मेरे मुँह से निकल गया और अपने स्वीकार कर लिया। साबाश... दोस्त भादरू से गाण्ड मरवा चुके हो, उससे अपना लण्ड चुसवा चुके हो, बहनचोद हो याने मेरी ननद चम्पारानी को भी चोद चुके हो। वाह... वाह... क्या बात है?
कामरू- मुझे माफ कर दे कमला।
सहेली- माफी बाद में मिलेगी। पहले चोदना तो शुरू करो।
कामरू- क्या? क्या चोदना शुरू करूं?
सहेली- हाँ हाँ सैंया जी। हाँ... ऐसे ही धक्के लगाओ। बस चोदते रहो। आज पहली बार इतना बड़ा लण्ड मेरी फुददी में घुसा है। दर्द के साथ-साथ मजा भी खूब आ रहा है। बस रुको मत पेलते रहो।।
कामरू- आज तो खूब मजा आ रहा है। कमलावती, तेरी चूचियां मजेदार लग रही हैं। एक को दबाते हुए दूसरे को चूसता हूँ। कुछ नया-नया सा लग रहा है, ऊपर से सफाचट बुर, ऊपर से तुम्हारी ये चूत लण्ड वाले शब्द, ऊपर से मुझे धक्के लगाने पर उसकाना।
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