non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
06-06-2019, 01:38 PM,
RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
सहेली चौंकी- हे भगवान्... इसमें तो मैंने दवाई मिलाई थी। अब क्या होगा? अपना जूठन कामरू जीजाजी को तो दे नहीं सकती.. उसके शातिर दिमाग ने सोचा- है अब क्या होगा? दवाई देने तो आई थी कामरू जीजाजी को लेकिन खुद खा बैठी। अब मेरी सहेली का क्या होगा? बेचारी जीते जी मर जाएगी... उसकी चूत का कचूमर बन जाएगा। मुझे कुछ ना कुछ तो करना ही होगा। उसने सबकी नजर बचा करके अपना पर्स खोला और एक गोली अपनी सहेली कमलावती के पनीर की सब्जी की कटोरी में मिला दी। उसने जो दबाई मिलाई थी वो यौन उत्तेजना बढ़ाने वाली दवाई नहीं थी... नींद की गोली थी। उसने सोचा अब जो होगा देखा जाएगा।
कमलावती- मुझे पनीर की सब्जी अच्छी नहीं लगती है? ओ जी आप खलो ना।
कामरू- अरे ये तो मुझे भी अच्छी नहीं लगती है।
भादरू- “फिर.. कौन खाएगा? अरे साली जी खाके तो देखो? अच्छा, आधा मैं ले लेता हूँ। आधा तुम..” और पनीर की सब्जी दोनों ने आधा आधा खा लिया।
सहेली ने सोचा कि ये तो गड़बड़ हो गई। और उसने आनन फानन में एक नींद की गोली कामरू के खाने में। मिला दी। पर जब रैपर को देखा को तो वो सिर से पाँव तक हिल गई। हाय राम... हड़बड़ी में नींद की गोली की जगह यौन उत्तेजान बढ़ाने वाली दवाई ही खिला दी उसने कामरू जीजाजी को... हाय आज मेरी सहेली कमलावती की फुद्दी फट के ही रहेगी। इतने में ही उसकी खुद की फुद्दी खुजलाने लगी... क्या हो रहा है उसे? उसे कुछ शक हुआ तो उसने एकदम पहले वाले रैपर को देखा तो वो सिर से पाँव तक काँप गई। उसके खुद के खाने में भी नींद की गोली नहीं... यौन उत्तेजना बढ़ाने वाली दवाई ही थी। हे भगवान्... ये आज क्या हो गया? और न जाने आगे क्या होगा?
उसने हिसाब लगाया। कमलावती और उसके पति ने नींद की गोली खा ली हैं.. कामरू जीजाजी ने यौन उत्तेजना बढ़ाने वाली दवाई खाली है... उसकी अपनी चोदो... पर उसकी सहेली का क्या होगा? नींद में चीख भी नहीं पाएगी बेचारी... और नींद में विरोध ना होता देखकर कामरू जीजाजी दवाई के असार से दोगुने स्पीड से चोदेंगे... वैसे ही कामरू जीजाजी का जल्दी नहीं निकलता है। और ऊपर से उसने दवाई और मिला दी. अब क्या होगा? उसे अपनी सहेली को बचाना ही होगा। और उसने एक फैसला ले ही लिया।
उसने घड़ी की तरफ देखा तो नौ चालिस हुये थे। सहेली बोली- अरे भाई जल्दी-जल्दी खाओ। लाइट जाने में बीस मिनट बचे हैं।
और सब लोग ने खाना खतम किया। सहेली ने घड़ी देखा नौ पैंतालिस।
सहेली- ओ जी... ये लो चाभी, और चलो कमरे का दरवाजा खोलो। और जीजाजी आप भी।
कामरू- “हाँ हाँ मेरे पास ही है चाभी। मैं भी खोलकर तैयार रहता हूँ, आप दोनों सहेलियां आओ तो सही...” दोनों आगे-आगे और दोनों औरतें पीछे-पीछे।
कमलावती- यार सहेली... तूने काम तो कर दिया ना?
सहेली- हाँ, मैंने कर दिया है। तू घबरा मत।
कमलावती- “यार मुझे कुछ नींद-नींद सी लग रही है... पर मैं तो...”
सहेली- कुछ नहीं, थकावट के कारण। चल सीधी चलना जारी रख। उसने घड़ी में समय देखा तो नौ पचपन... दोनों सीढ़ी चढ़ने लगे और ऊपर पहुँच गये। उसने फिर से घड़ी देखी तो नौ उनसठ। सिर्फ एक मिनट बाकी है..
और इतने में ही कमलावती गिरने के जैसे हुई। उसने उसे बाहों में भरा और कमरे की ओर बढ़ने लगी। उसने । मन ही मन कुछ सोचा और कमलावती को अपने कमरे में ले गई। कमरे में पलंग के ऊपर भादरू कपड़े पहने ही सो चुका था। नींद की गोलियां असर दिखा चुकी थीं। उसने उसके बगल में सहेली को लिटाया और बाहर से दरवाजा बंद कर दिया। पर चाभी ले जाना भूली नहीं।
वो बाहर निकली और डरते-डरते अपनी सहेली कमलावती के कमरे में प्रवेश किया। वो भगवान से मना रही थी की कामरू जीजाजी सोए रहें तो सब ठीक हो जाए। इतने में ही लाइट चली गई... और उसने भगवान का शुक्रिया अदा किया... और कमरे में प्रवेश किया। उसकी खुद की चूत चुनचुना रही थी। दवाई अपना असर दिखा रही थी।
उसने अपने मन को समझाया की सब ठीक हो जायेगा। उसने आमीर खान की तरह अपना एक हाथ सीने पे रखकर कहा- आल इज वेल... आल इज वेल... सब ठीक होगा... उसने कमरे का दरवाजा बंद किया। हाथ को हाथ सुझाई नहीं दे रहा था। वो पलंग के ऊपर बैठी ही थी की उसने अपने आपको जीजाजी की बाहों में पाया। वो थोड़ा सा कसमासाई... पर उसने चुप रहना ही ठीक समझा।
कामरू ने सहेली को अपने गले से लगाया। और पप्पी देने लगा तो उसने अपना चेहरा हटा लिया। कामरू बोलाअरे रानी कमलावती, अपना चेहरा क्यों हटा रही हो? पप्पी तो देने दो?
सहेली- अजी मुझे नींद आ रही है।
कामरू- अरे कमलावती तेरी आवाज को क्या हुआ?
सहेली- वो थोड़ा गला बैठ गया है। अब हमें सोने दीजिए।
कामरू- ऐसे कैसे सोने दें? तू तो जानती ही है की मुझे तेरी फुद्दी में एक बार लण्ड डाले बिना नींद ही नहीं आती। महीने में वो तीन दिन बड़ी मुश्किल से गुजारता हूँ।
सहेली- तो अभी भी ये सोच लो की मेरा वो दिन चल रहा है। मेरी फुद्दी लाल पानी फेंक रही है। तुम्हारे मस्ताने लण्ड के लायक नहीं है... फुद्दी की पत्तियां कमजोर हैं।
कामरू- अरे वाह रानी... आज तो मस्त-मस्त बातें कर रही हो... मेरा तो लण्ड टनटना रहा है... अब तो ये बिना घुसे मानेगा ही नहीं।
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