RE: Vasna Kahani दोस्त के परिवार ने किया बे�...
यह सीन देख कर! मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया. मैंने सोचा, बुआ जी की मालिश कल करुँगा आज सुखबीर की माँ की मालिश करता हूँ क्योंकि, तवा गर्म है तो रोटी सेक लेनी चाहिए.
मैं फिर माँ के कमरे में चला गया.
मुझे आया देख कर माँ ने कहा, बेटा लाईट बुझा कर धीमी लाईट जला दो ताकि मालिश करवाते करवाते अगर मुझे नींद आ गई तो तुम भी मेरे बगल में सो जाना.
मैंने तब लाईट बंद करके धीमी लाईट चालू कर दी जब वापास आया तो, माँ पेट के बल लेटी थीं और उनका पेटीकोट केवल उनकी भारी भारी गाण्ड के ऊपर था बाकी पैरों का हिस्सा बिल्कुल नंगा था.
अब मैं हथेली पर ढेर सारा तेल लगा कर उनके पैरों की मालिश करने लगा. पहले पिंडली पर मालिश करता रहा फिर, मैं धीरे धीरे घुटनों के ऊपर जाँघों के पास चूतड़ों के नीचे मालिश करता रहा.
पेटीकोट चूतड़ पर होने से मुझे उनकी झांटे और गाण्ड का छेद नज़र आ रहा था. अब मैं हिम्मत कर के धीरे धीरे उनका पेटीकोट कमर तक ऊपर कर दिया.
माँ कुछ नहीं बोली और उनकी आँखें बंद थी.
मैंने सोचा! शायद उनको नींद आ गई होगी. अब उनकी गाण्ड और चूत के बाल मुझे साफ़ साफ़ नज़र आ रहे थे.
मैंने हिम्मत करके तेल से भरी हुई उँगली उनकी गाण्ड के छेद के ऊपर लगाने लगा वो कुछ नहीं बोलीं. मेरी हिम्मत और बढ़ गई.
मेरा अँगूठा उनकी चूत की फांकों को छू रहा था और, अँगूठे की बगल की उँगली उनकी गाण्ड के छेद को सहला रही थी.
यह सब हरकत करते करते मेरा लण्ड टाईट हो गया और चूत में घुसने के लिए बेताब हो गया.
इतने में माँ ने कहा कि, बेटा मेरी कमर पर भी मालिश कर दो, तब मैं उठकर पहले चुपके से मेरी चड्डी उतार कर उनकी कमर पर मालिश करने लगा.
थोड़ी देर बाद मैंने माँ से कहा कि, माँ तेल से आप का ब्लाऊज़ खराब हो जाएगा. क्या आप अपने ब्लाऊज़ को थोड़ा ऊपर उठा सकती हैं?
यह सुनकर, माँ ने अपने ब्लाऊज़ के बटन खोलते हुए ब्लाऊज़ को ऊपर उठा दिया. मैं फिर मालिश करने लगा. मालिश करते करते कभी कभी मेरी हथेली साईड से उनके बूब्स को छू जाती थी.
उनकी कोई भी प्रतिक्रिया ना देख कर मैंने उनसे कहा, माँ अब आप सीधी सो जाइए. मैं अब आपकी स्पेशल तरीके से मालिश करना चाहता हूँ. माँ करवट बदल कर सीधी हो गईं.
मैंने देखा! अब भी उनकी आँखें बंद थी और उनके ब्लाऊज़ के सारे बटन खुले थे और, उनकी चूंची साफ़ झलक रही थी.
उनकी चूंची काफ़ी बड़ी बड़ी थी और साँसों से साथ उठती बैठती उनकी मस्त रसीली चूंची साफ़ साफ़ दिख रही थी.
माँ की सुरीली और नशीली धीमी आवाज मेरे कानो में पड़ी- बेटा अब तुम थक गए होगे, यहाँ आओ ना! और मेरे पास ही लेट जाओ ना.
पहले तो मैं हिचकिचाया क्योंकि, मैंने केवल लुंगी पहनी थी और लुंगी के अन्दर मेरा लण्ड चूत के लिए तड़प रहा था.
वो मेरी परेशानी समझ गई और बोलीं- कोई बात नही, तुम अपनी बनियान उतार दो और रोज जैसे सोते हो वैसे ही मेरे पास सो जाओ! शरमाओ मत, आओ ना!
मुझे अपने कान पर यकीन नहीं हो रहा था. मैं बनियान उतार कर उनके पास लेट गया और जिस बदन को कभी दूर से निहारता था आज, मैं उसी के पास लेटा हुआ था.
माँ का अधनंगा शरीर मेरे बिल्कुल पास था. मैं ऐसे लेटा था कि, उनकी चूंची बिल्कुल नंगी दिखाई दे रही थी, क्या हसीन नजारा था!
तब माँ बोली- इतने महीने से आज मालिश करवाई हूँ, इसलिए काफ़ी आराम मिला है!
फिर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर धीरे से खींच कर अपनी उभरी हुई चूची पर रख दिया और मैं कुछ नहीं बोल पाया. लेकिन अपना हाथ उनके चूची पर रखा रहने दिया.
मुझे यहाँ कुछ खुजा रहा है, जरा सहलाओ ना.
मैंने उनकी चूची को सहलाना शुरु किया और कभी कभी जोर जोर से, उनकी चूची को रगड़ना शुरु कर दिया.
|