RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
“भाई, बाबा हमें छोड़ गये। भाई हम यतीम हो गये। भाई अब हमारा कौन है? आप भी हमसे बहुत दूर थे। हम डरे हुए थे कि आप हमारे पास आएँगे भी कि नहीं? भाई बाबा हमें छोड़ गये। भाई आप हमें ना छोड़ना। भाई इस दुनियाँ में हमारा और कोई नहीं हैं। इन बंद दीवारों में, इस हवेली की ऊँची-ऊँची दीवारों की कैद में हम आपके बगैर घुट-घुट कर मर जायेंगे। भाई हम मर जाएँगे, आप हमें छोड़कर मत जाना…”
उनकी बातें सुनकर मैं खुद पर से कंट्रोल खो बैठा था। जज़्बात मुझपर पूरी तरह हावी हो चुके थे। बाबा की मुहब्बत उनकी शफकत मुझे याद आ रही थी। मैंने अपनी बहनों को अपने साथ भींच लिया, और खुद भी रोने लगा। हवेली के इस बड़े हाल में हम भाई बहनों के रोने की आवाजों के साथ दूसरे लोगों के रोने की आवाजें भी शामिल हो गई थीं। हमारी तड़प, हमारा दुख, और हमारा मिलन शायद किसी के भी जज़्बात को रोक नहीं पाया था। अब जो थोड़ी देर पहले यहाँ सहरो की गूँज थी उसकी जगह आहों ने ले ली थी। मेरी बहनों की आवाज में बहुत दर्द था।
मैंने गैर इरादी तौर पर अपनी बहनों के सिर पर चूमा और बोलने लगा-“मैं हूँ ना। भाई की जान मैं हूँ, मैं तुम्हें बाबा का प्यार दूँगा। मैं तुम्हें कभी छोड़कर नहीं जाउन्गा। तुम मेरी जान हो और तुम दोनों के लिए ही तो अब मैं जिंदा हूँ और इस हवेली में आया हूँ। हवेली की दौलत और जागीर मुझे नहीं चाहिए। मेरी जागीर और दौलत तो बस तुम हो मेरी बहनों तुम हो। मैं तुम्हें कभी कोई तकलीफ नहीं होने दूँगा…”
हम तीनों भाई बहन एक दूसरे में चिपके हुए रो रहे थे कि मुझे बड़ी फूफो की आवाज सुनाई दी जो कब हमारे करीब आई मुझे पता ही नहीं चला। उनकी आँखों में भी आँसू जारी थे। वो हमारी एक साइड पर खड़े हम लोगों की पीठ और सिर पर बड़ी शफकत से हाथ फेर रही थी, और हमें तसल्ली दे रही थी-“बस करो बेटा। अब रोना बंद करो। देखो तुम्हारा भाई पहली बार हवेली में आया है। तुम्हारे पास आया है तो क्या तुम उसे यू ही रूलाती रहोगी?”
फूफो की बात सुनकर दोनों ने मेरे सीने पर से अपना सिर हटाकर गर्दन उठाकर मुझे देखा, और बारी-बारी दोनों अपने मासूम हाथों से मेरे आँसू पोंछने लगी। और उनमें से एक ने जो दूसरी से थोड़ी बड़ी लग रही थी, उसने अपने दोनों हाथों से मेरे चेहरे को थामकर थोड़ा झुकाया और खुद अपने पंजों पर थोड़ा ऊपर उठते हुए मेरे माथे को चूम लिया। इस चूमने में जो राहत थी, मैं उसको यहाँ अल्फाज में बयान नहीं कर सकता। एक सकून की लहर थी। मेरा पूरा बदन उस सकून और मुहब्बत की लहर से भर गया।
फ़िर उसने कहा-“हमारा भाई तो शेर है। वो कभी नहीं रोएगा। बस बहनों की मुहब्बत में थोड़ा कमजोर हो गया था…” यह कहकर वो रोती हुई आँखों से हँसने लगी। इस दौरान मेरी दूसरी बहन ने भी पहली की तरह मेरा माथा चूमा, और बड़ी की बात सुनकर वो भी मुश्कुराने लगी।
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