RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
कुछ देर ऐसे ही इंतजार करने के बाद टीचर ने बगैर लण्ड को थोड़ा भी बाहर निकाले अपनी कमर को गोल-गोल घुमाने लगी। जिसके कारण उनकी चूत के पास की चमड़ी मेरे लण्ड के ऊपर की चमड़ी और नीचे मेरे टट्टों के पास रगड़ खा रही थी। जिसकी वजह से मुझे चमड़ी के खिंचने से थोड़ा-थोड़ा दर्द महसूस हो रहा था। मगर मैं खामोश ही रहा कुछ बोला नहीं। क्योंकी इस दर्द के मुकाबले मुझे लण्ड के अंदर होने से उसकी हाट चूत की तपिश और हिलने से जो मजा रहा था मैं उसको गँवाना नहीं चाहता था।
कुछ देर इस तरह अपनी गाण्ड गोल-गोल घुमाने के बाद टीचर ने अपने दोनों हाथ मेरे कंधों के पास रख दिए, और फ़िर अपनी कमर को उठाकर लण्ड को अपनी चूत से थोड़ा बाहर निकाला, मगर इतना नहीं कि पूरा ही लण्ड बाहर निकल जाए। और फ़िर एक जोरदार झटके से उसको वापिस अंदर ले लिया। पहले-पहले तो वो यह झटके आराम-आराम से लगाती रही। और हल्की-हल्की सिसकियाँ भी भरती रही। लेकिन फ़िर उनके झटकों और सिसकियों में तेजी आती गई।
वो बड़ी महारत और नपे तुले अंदाज में अपनी कमर को ऊपर उठाती और फ़िर उसी अंदाज में नीचे करती। जिसकी वजह से मेरा लण्ड उनकी चूत में तेजी से अंदर-बाहर होने लगा। उनकी गरम चूत की तपिश और रगड़ मुझे बेचैन कर रही थी। मेरी आँखें कभी बंद हो जाती, तो कभी मैं उन्हें खोलने की कोशिस करता तो मेरे सामने ही टीचर के खूबसूरत मम्मे झूलते हुए दिखाई देते।
मैंने गैर इरादी तौर पर अपने हाथ उठाकर उन झूलते हुए मम्मों को अपने हाथों में पकड़ने को कोशिस की। मगर वो तो इस तेजी से ऊपर-नीचे हो रहे थे, कि हर बार मेरे हाथों से निकल जाते। मैं भी मुकम्मल तौर पर मजे में खोया हुआ था, और मेरे हाथों में भी इतना दम नहीं था कि में उन्हें मजबूती से पकड़ सकता। इस दौरान मुझे महसूस होने लगा का मेरा जिश्म अकड़ने लगा था। मेरे मुँह से आवाजें निकलने लगी थीं, जिस पर मेरा कोई कंट्रोल नहीं था-“ऊओह्ह… ओह्ह… ओह्ह… आह्ह…”
मेरी आवाजें और जिश्म की अकड़न देखकर टीचर ने आँखें खोली और उनको आवाजें सुनाई दी। लेकिन उन्होंने बात करते हुए रोकने की कोशिस की-“नहीं थोड़ा और… रुक जाओ… मैं भी… मैं भी आ रही हूँ…”
मुझे टीचर की कोई बात समझ में नहीं आई। मेरा खुद पर से कंट्रोल खतम हो चुका था। मेरा जिश्म पूरी तरह अकड़ गया। मैंने गैर इरादी तौर पर अपने निचले धड़ को ऊपर की तरफ उठाना शुरू कर दिया जिसके कारण अब टीचर को ऊपर-नीचे होने में थोड़ी तकलीफ होने लगी, तो वो रुक गई और बड़ी तेजी से उन्होंने मेरे कंधों के पास से हाथ हटाकर मेरी कमर के पास रखे, और उसे नीचे की तरफ दबा दिया। मेरी कमर एक बार फ़िर बेड से लग गई। टीचर जल्दी से मेरे पूरे लण्ड को अपने अंदर रखते हुए कमर को आगे पीछे करने लगी, जिसके कारण अब मेरा लण्ड डाइरेक्ट टीचर की सामने वाली जगह से रगड़ खा रहा था।
चन्द ही लम्हे इस हालत में होने का बाद रूम टीचर की और मेरी एक साथ ही जोरदार-“आआअह्ह… मर गई… आह्ह… कम ओन अह्ह… ओईईई… ऊऊईईई… अह्ह…” की आवाजों से गूँज उठा।
मेरे लण्ड से कुछ धारें निकलकर टीचर की चूत में भरती जा रही थी। मुझे भी अपने लण्ड पर कुछ गरम-गरम लिक्विड़ का अहसास हुआ। टीचर ने चूत को बड़ी मजबूती से मेरे लण्ड के ऊपर दबा रखा था। उनके जिश्म को जोरदार झटके लग रहे थे। उनकी आँखें कभी खुलती तो, कभी बंद हो जाती थी। दो से तीन मिनट तक इस हालत में रहने के बाद टीचर बेसूध सी होकर मेरे ही ऊपर गिर गई। उनके नरम-ओ-गुदाज मम्मे मेरे सीने में दब गये थे, और टीचर का ढलका हुअ सिर मेरे बायें साइड पे गिरा हुआ था।
***** *****फ्लेशबैक से वापिस
सारा के सेक्सी बदन के नशेबो फराज को कपड़ों की ही कैद से देख-देखकर जो मैं इतने दिन से हाट हो रहा था, और फ़िर वो चादर वाली। मैंने बहुत दिन सबर किया था। लेकिन आज मैं खुद को रोक नहीं पाया। फूफो और सारा के जाने के बाद मेरे जेहन में सारा को चोदने की प्लाननिंग चल रही थी। इसी दौरान मैं कब अपने जेहन में अपनी लाइफ के पहले सेक्स, जो कि अपनी टीचर के साथ किया था उसको सोचते-सोचते सो गया।
आज मुझे खाना खाने का भी खयाल ना रहा था। सुबह जब मेरी आँख खुली तो मुझे महसूस हुआ कि शायद कोई मेरे लण्ड पर बहुत धीरे-धीरे से हाथ को घुमा रहा है। नीचे से ऊपर फ़िर ऊपर से नीचे उसके छूने से महसूस हो रहा था कि जैसे वो मेरे लण्ड की साइज़ और मोटाई का अंदाज़ा लगाने की कोशिस कर रहा है। मैं इस बात को महसूस करते ही सोने की एक्टिंग करता रहा, और हल्के से आँखों में झिर्री बनाकर देखा तो मेरे बेड की एक साइड पर सारा को बैठे देखकर मेरा दिल बल्लियों उछलने लगा। मैं यह देखकर खुश हो गया कि मुझे तो कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ी थी, और सारा खुद ही मेरे लण्ड को देख रही थी। उसकी आँखें मेरे लण्ड की तरफ लगी हुई थी, जो सुबह के वक्त मेरे खयालों में अकड़ा हुआ टेंट बनाकर खड़ा था।
सारा की आँखों में हवस और सेक्स के डोरे वाजिए तौर पर तैर रहे थे। वो मेरे लण्ड की साइज़ और मोटाई को देखकर शायद उसमें गुम थी। उसको इस बात का भी होश नहीं था कि मेरी आँख भी खुल सकती है? मैंने उसे इतना अपने लण्ड में खोया हुआ देखकर अपनी आँखें पूरी खोल ली, मगर अपनी जगह से कोई हरकत नहीं की। अब मैं पूरी आँखें खोलकर उस देख रहा था। मगर वो सिर्फ़ हल्के-हल्के हाथों से मेरे लण्ड को सहला रही थी, उसे पकड़ने की कोशिस नहीं की थी। सारा को अपने सामने इस तरह देखकर, मेरे लण्ड में मजीद ऐंठन होने लगी, और उसने एक जोरदार झटका लिया।
जिससे सारा चौंक गई और वो अपनी मदहोशी की काफ़ियत से बाहर आ गई। उसने जल्दी से मेरे चेहरे की तरफ देखा तो मेरी आँखें खुली देखकर वो घबरा गई, और झट से बेड पर से उठकर खड़ी हो गई। मैं मुश्कुराती हुई नजरों से सारा को देख रहा था।
वो मुझे अपनी तरफ देखते हुए देखकर झट से बोली-“वो… वो छोटे साईं। मैं तो… मैं तो बस आपको लेने के लिए आई थी। वो जनानखाने में बड़ी बीबी साईं आपका इंतजार कर रही हैं…” यह कहकर उसने अपनी नजरें नीचे झुका ली और अपने दुपट्टे के पल्लू को एक हाथ में लेकर दूसरे हाथ की उँगली पर लपेटने लगी।
मैं मुश्कुराता हुआ उठा, और थोड़ा सा खिसक कर बेड के सिरहने से टेक लगा ली। और फ़िर सारा की तरफ देखकर बड़े ही प्यार से उसे अपने करीब आने को कहा-“इधर आओ सारा…”
सारा अभी तक अपनी नजरें नीचे झुकाए खड़ी थी, उसने कोई जवाब नहीं दिया मगर खामोशी से बस दो कदम आगे बढ़कर बेड की साइड से लगकर खड़ी हो गई। मैंने थोड़ा आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ लिया। उसका हाथ पकड़ते ही मुझे महसूस हुआ कि वो धीरे-धीरे काँप रही है। मेरे हाथ पकड़ते ही सारा ने एक लम्हे के लिए अपनी नजरें उठाकर मेरी तरफ देखा। मैं अब भी उसके चेहरे पर नजरें गाड़े उसको मुश्कुराकर देख रहा था। उसने मुझे इस तरह अपनी तरफ देखते हुए पाकर जल्दी से अपनी नजरें नीची कर ली।
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