RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
वो बेड से नीचे उतरी और मेरे जूते उतारने लगी। कुछ ही देर में मेरे जूते और मोजे उतर चुके थे। जिसके बाद मेरी पैंट आसानी से मेरे पैरों से निकल गई और अब वो नीचे पड़ी हुई थी। मैं भी अब पूरी तरह नंगा हो चुका था। टीचर ने एक बार फ़िर बेड पर आते हुए मुझे कमर से पकड़कर पूरा बेड पर आने का इशारा किया, तो मैंने भी अपने दोनों पैर उठाकर बेड के किनारों पर रखे और कमर उठाकर खुद को पैरों की मदद से ऊपर की तरफ धकेला तो मैं अब पूरी तरह से बेड पर आ चुका था।
इसी दौरान मेरी नजर मेरे लण्ड पर पड़ी, जो पैंट से बाहर निकलते ही पूरा तरह से अकड़कर मेरे पेट का साथ लगा हुआ था। मैंने टीचर की तरफ देखा तो उनकी नजरें मेरे लण्ड की तरफ लगी हुई थी और मुझे एक हवस और चमक वाजेह तौर पर नजर आ रही थी। उन्होंने अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर मेरे लण्ड को अपने हाथ में पकड़ लिया। टीचर के हाथों में तो जादू था। उनके हाथ में जाते ही मेरे को लण्ड को मस्ती सूझने लगी जिस पर मेरा कोई कंट्रोल नहीं था। वो एक ख़ूँख़ार भैंसे के नथुनों को तरह फूलने और पिचकने लगा उसकी रगें उभर आई थीं।
मैं हैरत से अपने लण्ड की तरफ देख रहा था। मैं खुद भी हैरान था कि आज तक मैंने भी कभी अपने लण्ड को इस हालत में नहीं देखा था। आज तो यह कुछ अलग ही रूप में दिख रहा था। टीचर की नजरें ऐसे मेरे लण्ड के साथ चिपकी हुई थीं, जैसे मेरे लण्ड ने उसे हेप्नोटाइज कर दिया हो। वो धीरे-धीरे मेरे लण्ड पर झुकने लगी। वो अभी लण्ड से दूर ही थी कि उनकी खूबसूरत गुलाबी जबान उनके मुँह से बाहर आ चुकी थी और उनका मुँह पूरी तरह खुल चुका था।
मैं बड़ी हैरत से टीचर को देख रहा था। बेड पर बगैर तकिये के सिर रखे मुझे यह सब देखने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी और गर्दन उठाकर देखने से मुझे गर्दन में दर्द महसूस हो रहा था, तो मैंने बेड के सिरहाने की तरफ देखा तो वहाँ तकिए मौजूद थे। मैं एक हाथ बढ़ाकर तकिया खींचकर अपने सिर के नीचे रख लिया, जिसके कारण मेरी गर्दन अब ऊपर उठ गई थी और मैं अब वाजिए तौर पर टीचर को सब कुछ करते हुए देख सकता था। अब वो अपनी जबान की नोक से मेरे लण्ड के ऊपरी हिस्से से खेल रही थी। जिसके कारण मेरे पूरे बदन में चीटियाँ सी रेंग रही थीं। मेरी आँखें बंद होने लगी थीं। मगर अब मैं अपनी डेमो क्लास का कोई भी हिस्सा मिस करना नहीं चाहता था। एक-एक हिस्से को सीखना, समझना और एंजाय करना चाहता था।
मगर मजे का क्या करता? वो मेरे बदन में आग लगा रहा था और मैं सोचने और समझने की हद से बाहर जा रहा था। लेकिन एंजाय खूब कर रहा था। टीचर अब मेरे लण्ड को पूरा लेकर चूस रही थी तो कभी नीचे से लेकर ऊपर तक और ऊपर से लेकर नीचे तक चाट रही थी। मैं तो अंदाज़ा नहीं लगा सकता था कि उनके लण्ड को चूसने का स्टाइल सबसे आला है। पर यह जरूर कह सकता हूँ कि मुझे मजा बहुत आ रहा था।
कुछ देर की चुसाइ के बाद टीचर ने अपना सिर मेरे लण्ड से हटाया और अपनी एक टाँग क्रॉस करके मेरे ऊपर आ गई। अब उन्होंने मेरी टाँगों के ऊपर बैठते हुए एक हाथ से मेरे लण्ड को पकड़ा और खुद अपनी चूत के सुराख को मेरे लण्ड के ऊपर सेट करने लगी। मेरा लण्ड ज्योन्ही उसकी चूत पर लगा तो मुझे ऐसा महसूस हुआ कि किसी ने मेरे लण्ड को गरम तंदूर के करीब कर दिया हो। उसकी चूत बहुत ही हाट हो रही थी, जिसकी तपिश अब मेरे लण्ड के टोपे पर भी महसूस हो रही थी।
कुछ देर की सेदटिंग के बाद टीचर ने खुद को मेरे लण्ड के ऊपर दबाया। जिसके कारण मेरा लण्ड एक झटके से 2” तक उनकी चूत में घुस गया। लण्ड के अंदर जाते ही टीचर के मुँह से एक जोरदार सिसकी सी निकली-“स्स्स्स्ि… अह्ह…”
मेरे जिश्म को भी एक मजे की नई लहर का अहसास हुआ। लण्ड के ऊपर उसके चूत की तपिश कुछ और बढ़ गई थी। चन्द सेकेंड इंतजार करने के बाद टीचर एक झटके से ही मेरे लण्ड के ऊपर बैठ गई, और थोड़ी देर पहले मेरा बाहर अकड़ता हुआ लण्ड टीचर की चूत में गुम हो चुका था। मुझे ऐसे लगने लगा कि जैसे मेरे लण्ड को आग पर सेंका जा रहा है।
इस तरह झटके से बैठने के कारण टीचर की भी एक लंबी सी ‘आआआअह्ह’ निकली। उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली और उनके दोनों हाथ अपने बालों से खेलते हुए उनके सिर पर पहुँच चुके थे। वो अपने चेहरे को बालों और अपनी दोनों बाजू से लगाकर सहला रही थी।
कुछ देर ऐसे ही इंतजार करने के बाद टीचर ने बगैर लण्ड को थोड़ा भी बाहर निकाले अपनी कमर को गोल-गोल घुमाने लगी। जिसके कारण उनकी चूत के पास की चमड़ी मेरे लण्ड के ऊपर की चमड़ी और नीचे मेरे टट्टों के पास रगड़ खा रही थी। जिसकी वजह से मुझे चमड़ी के खिंचने से थोड़ा-थोड़ा दर्द महसूस हो रहा था। मगर मैं खामोश ही रहा कुछ बोला नहीं। क्योंकी इस दर्द के मुकाबले मुझे लण्ड के अंदर होने से उसकी हाट चूत की तपिश और हिलने से जो मजा रहा था मैं उसको गँवाना नहीं चाहता था।
|