RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
उसके बाद टीचर ने मुश्कुराते हुए अपने होंठों के मेरे होंठों पर रख दिया। ‘अह्ह’ क्या गरम और टेस्टी होंठ थे। मैंने अपने दोनों होंठ आपस में भींचे हुए थे। उन्होंने अपने दोनों होंठों को चुसाइ मशीन की तरह मेरे दोनों होंठों के ऊपर रखकर मेरे होंठों को जोर से अपने होंठों में चूसा, तो मेरे होंठ अलग होकर उनके होंठों में जकड़ गये और अपनी जगह से ऊपर उठकर उनके मुँह में दाखिल हो गये।
उन्होंने बड़ी महारत से फौरन मेरे निचले होंठ को अपने दोनों होंठों में पकड़ लिया और उसे चूसने लगी। मेरे जिश्म में हजारों चीटियाँ से रेंगने लगी। मेरी आँखें लज़्जत में डूबने लगी। मेरा जिश्म हाट होने लगा। टीचर अभी तक अपने घुटनों के बल बैठी हुई थी। उन्होंने अभी तक मेरी गोद में बैठने की कोशिस नहीं की थी। लेकिन उनकी जांघों का अंदरूनी हिस्सा कभी-कभी मेरी जांघों के बाहरी हिस्सों से टकरा जाता। इस तरह बैठने से उनका सीना कभी-कभी मेरे सीने से टकराता तो मुझे एक नर्म-ओ-गूदाज अहसास सा महसूस होता।
उनके नरम-नरम मम्मे जो अभी तक गाउन में छुपे हुए थे। मुझसे टकरा कर मेरी वहशतों में इजाफा कर रहे थे। टीचर बहुत ही प्यार से मेरे निचले होंठ को चूस रही थी। कभी वो अपनी जुबान भी मेरी मुँह के अंदर दाखिल कर देती। मुझे यह सब अजीब भी लग रहा था, लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था। इसी कोशिस के दौरान एक बार मेरी जबान टीचर की जबान से टकरा गई। जबान के आपस में टकराने से एक झुरझुरी सी मेरे पूरे बदन में फैल गई।
मैंने फौरन अपनी जबान पीछे कर ली। मगर मैंने महसूस किया कि टीचर अपनी जबान को मेरे मुँह में चारों तरफ घुमाकर शायद मेरी जबान को ढूँढने की कोशिस कर रही हैं। मैंने एक बार फ़िर जासूस और मजे से मजबूर होकर अपनी जबान आगे की तो, जैसे ही मेरी जबान टीचर की जबान से टकराई तो टीचर ने जल्दी से अपनी जबान पीछे करते हुए अपने मुँह को चुसाइ मशीन में बदला, और मेरी जबान को जोर से चूसकर अपने मुँह में ले लिया, और फ़िर उसे अपने दोनों होंठों में पकड़कर चाटने लगी।
मेरी जबान थोड़ा कुदरती तौर पर लंबी और आगे से नोकदार है, जिसकी वजह से मेरी आधे से ज़्यादा जबान टीचर के मुँह में जा चुकी थी, और वो उसको बड़े मजे ले लेकर चूसने लगी। जिसके कारण मेरी हार्टनेस में इजाफा होता जा रहा था। अब नीचे मेरे लण्ड की हालत ऐसी हो चुकी थी कि वो किसी वक्त भी पैंट फाड़कर बाहर निकालने के लिए तैयार था। मेरी आँखों में तपिश बढ़ चुकी थी। मेरे कानों की लौ तपने लगी थी। 10 मिनट की किसिंग में अब मेरा साँस फूलने लगा था। लेकिन टीचर मेरे होंठों को अब तक इस तरह किस किए जा रही थी, जैसे की सदियों की भूखी हो।
10 मिनट की मुसलसल किसिंग के बाद टीचर ने मेरे होंठों से अपने होंठ हटाए और मेरी तरफ देखा। मेरी तो जो हालत थी सो थी, लेकिन टीचर की हालत शायद मुझसे ज़्यादा खराब हो चुकी थी। मेरे होंठों से होंठ हटते ही टीचर मेरी गोद में बैठी तो, उसे नीचे से मेरे लण्ड का उभार महसूस हुआ जो पैंट में फूल गया था। टीचर ने नशीली आँखों से मेरी तरफ देखा और अपने निचले हिस्से को मेरे लण्ड के साथ हल्के-हल्के रगड़ने लगी। जिसके कारण मेरे लण्ड की अकड़न और बढ़ने लगी।
उसी वक्त टीचर ने वो किया जो मेरे वहमो गुमान में भी नहीं था। टीचर ने एक झटके से गाउन की बँधी डोरी खोलकर अपना गाउन झटके से उतार दिया। गाउन के उतरते ही टीचर के अकड़े हुए गोल-गोल मम्मे मेरी आँखों के सामने आ गये। उन्होंने गाउन के नीचे अभी तक कुछ नहीं पहना था, ना ब्रा और ना ही पैंटी। वो मुकम्मल नंगी मेरे सामने थी। मैं आँखें फाड़े टीचर को इस हालत में अपने इतना करीब देख रहा था।
टीचर ने मुश्कुराते हुए मुझे देखा और अपनी चूची को मेरे चेहरे के साथ रगड़ने लगी। इस कोशिस में टीचर को अपने घुटनों के बल पर थोड़ा ऊपर उठना पड़ा, जिसके कारण जो टीचर के नीचे हिस्सा मेरे लण्ड से टकरा रहा था, अब वो दूर हो गया। मगर दो तरो-ताजा और मोटी-मोटी चुचियाँ मेरे चेहरे पर मुसलसल हरकत कर रही थीं। मेरी नाक और चेहरा कुछ देर के लिए टीचर के दोनों मम्मों के बीच में आ गया। जिसके कारण उनके बीच से उठती हुई महक मेरे दिमाग़ पर चढ़ने लगी और मैं अपने होश खोने लगा। मेरी आँखें बंद होने लगी। उसी वक्त मुझे महसूस हुआ कि टीचर के एक मम्मे का निपल शायद मेरे होंठों पर लग रहा था। मैंने आँखें खोलकर देखा तो उनकी चूची का अकड़ा हुआ निपल मेरे होंठों से लगा मेरे मुँह में जाने की कोशिस कर रहा था। मैंने नजरें उठाकर टीचर के चहरे की तरफ देखा।
तब टीचर ने मुश्कुराते हुए कहा-“इन्हें चूसो…”
उस वक्त में टीचर के सेक्स ट्रांस में इतना जकड़ चुका था कि मुझे खुद पर कोई जोर नहीं था। वो जो कह रही थी या कर रही थी, मैं खामोशी से बस उनका साथ दे रहा था। मैंने जल्दी से अपना मुँह खोलकर उनके मम्मे को अपने मुँह में भर लिया और हल्के-हल्के उसे चूसने लगा। उस वक्त मुझे अहसास हुआ कि मम्मा चूसना तो मैंने कभी किसी से सीखा ही नहीं था। यह तो फ़ितरत है जो हर एक को बचपन से मिलती है। यही तो वो पहला काम है, जो इंसान दुनियाँ में आकर करता है, मम्मा चूसता है, और अपनी खुराक हासिल करता है। तो मम्मा चूसने के लिए मुझे टीचर के सिखाने की जरूरत नहीं थी। मैं उनके निपल को अपने मुँह में लेकर बखूबी चूसने में मशगूल हो गया।
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