RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
मैंने परेशान होकर अपनी आँखें खोल दी। यह सब मेरे लिए नया था। यह अहसास मेरे लिए लज़्जत का वो अहसास था जो मैं आज तक नहीं भूल पाया।
उसी वक्त टीचर सबा ने भी मेरे लण्ड को अपने मुँह से आजादी देकर मेरी तरफ मुश्कुराकर देखा, और बोली-“कम ओन, कम ओन बेबी इन माई माउथ…” यह कहते ही वो एक बार फ़िर मेरे लण्ड पर झुक गई और बहुत तेजी से मेरे लण्ड को चूसने लगी।
यह लज़्जत मुझसे बर्दास्त नहीं हो रही थी। मैं अब अपने मुँह से आवाजें निकालने लगा था-“ओओऊऊ… आआआ… टीऽऽऽचर… अह्ह…” मेरा जिश्म बहुत तेजी से अकड़ने लगा और मेरे जिश्म को जोरदार झटके लगने लगे। और मैं जोरदार आवाज ‘ऊऊऊऊईईईई’ के साथ ही टीचर के मुँह में ही झटके मारने लगा।
यह सब मेरा लशुरी अमल था। मुझे ऐसा महसूस होने लगा कि मेरे जिश्म से कुछ निचोड़कर टीचर मेरे लण्ड के ज़रिए अपने मुँह में ले रही हैं। मुझे महसूस हुआ कि कुछ बहुत ही तेजी से मेरे लण्ड से बाहर निकला था, और यह सब टीचर के मुँह में चला गया था।
मैं कुछ देर तक उसी हालत में आँखें बंद किए पड़ा रहा। मेरे जिश्म की कपकपाहट अब खतम हो चुकी थी। मुझे एक अजीब सा सकून महसूस हो रहा था, ऐसा लग रहा था कि मेरा सारा जिस हल्का हो गया हो और मैं हवाओं में उड़ रहा हूँ।
मैंने आँखें खोलकर देखा तो अब टीचर मेरे दायें साइड पर मौजूद नहीं थी। मैं धीरे-धीरे होश-ओ- हवास में लौट रहा था। अब मेरे अंदर मजे की जगह खौफ ने लेना शुरू कर दिया था। मैं हर उस लम्हे को याद करने लगा जो अब तक गुजर चुका था। मुझे वो तमाम बातें याद थी। मैं जल्दी से बेड पर से उठा तो मैंने देखा कि मेरी टांगे अभी तक बेड से नीचे लटकी हुई थीं। मेरी पैंट और अंडरवेर अब घुटनों से भी उतरकर पिंडलियों तक जा पहुँची थी। मेरी शर्ट सीने तक ऊपर खीची हुई थी।
मैंने जल्दी से अपनी शर्ट नीचे की, और खड़े होकर अपनी पैंट और अंडरवेर को जल्दी से ऊपर करके बेल्ट बाँध लिया। मुझे अब यह फ़िकर सताने लगी थी कि टीचर अब मुझे छोड़ेगी नहीं। यह जो भी हुआ है टीचर ने मुझे ठीक करने के लिए किया है, और अब इन तमाम हरकतों की वजह से टीचर मुझे कभी माफ नहीं करेगी। इसी दौरान एक बार फ़िर वाशरूम से पानी गिरने की आवाज सुनाई दी, तो मैं समझ गया कि टीचर शायद वाशरूम में हैं।
मैंने वाशरूम की तरफ देखा तो उसका दरवाजा बंद था। मैंने आगे बढ़कर जल्दी से अपना वो स्कूल बैग उठाया जो उसी वक्त वाशरूम के पास गिर गया था, जब मैंने टीचर को नंगा नहाते हुए देखा था। मुझमें अब टीचर से सामना करने की हिम्मत नहीं थी। मुझे बहुत डर लग रहा था। मैं जल्दी-जल्दी रूम से बाहर जाने के लिए दरवाजे की तरफ बढ़ा तो उसी वक्त वाशरूम का दरवाजा खोलकर टीचर बाहर आ गई। मैंने एक नजर टीचर की तरफ देखा और फ़िर जल्दी से अपनी नजरें झुका ली, और दरवाजे की तरफ बढ़ने लगा। टीचर ने अभी तक वही पिंक गाउन पहना हुआ था।
टीचर मुझे देखकर वहीं रुक गई और थोड़ा सा सख़्त लहजे में कहा-“रुको, कहाँ जा रहे हो?”
मैं टीचर की आवाज सुनकर रुक गया। टीचर का सख़्त लहजा सुनकर मेरी तो टांगे ही काँपना शुरू हो गई थीं। फ़िर टीचर मेरे करीब आई। मगर मेरी गर्दन अभी तक झुकी हुई थी मैंने टीचर को एक बार भी सिर उठाकर नहीं देखा था।
“कहाँ जा रहे थे?” टीचर ने एक बार फ़िर पूछा।
लेकिन मैं जवाब ना दे पाया। मुझे अपनी आवाज गले में घुटी-घुटी सी महसूस हुई, जिसको बावजूद कोशिस के भी मैं बाहर नहीं निकाल पाया। मेरे सिर्फ़ होंठ मामूली से हिल पाए। मगर उनमें से कोई आवाज खारिज नहीं हुई।
“चलो उधर सोफा पर बैठो…” यह जुमला कहते हुए टीचर के लहजे में कुछ नमी सी महसूस हुई।
लेकिन उनके सामने मेरे कदम बहुत भारी हो चुके थे और मैं वहाँ से एक कदम भी वापिस नहीं मुड पाया। मेरी हालत को शायद टीचर ने महसूस करते हुए मुझे बाजू से पकड़ा और मुझे खींचते हुए सोफे की तरफ बढ़ गई। मुझमें तो हिलने की भी ताकत नहीं थी। मैं खामोशी से एक रोबोट की तरह आगे बढ़ गया। टीचर ने मुझे थ्री सीटर सोफे पर बिठा दिया, और खुद मेरे साथ ही एक साइड पर बैठ गई, और खामोशी से मुझे देखने लगी। मैं नजरें झुकाए सोफे की एक साइड पर बैठा रहा ।
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