RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
मैं उनकी मुहब्बत और खुलुस देखकर खुद को दिल ही दिल में मालमत करने लगा कि मैं इनके बारे में क्या सोच रहा था? (उस वक्त तक मैंने कभी भी इन्सेस्ट सेक्स के बारे में नहीं सोचा था और न ही मैं इस चीज को पसंद करता था)
जब से हमने सुना था की तुम इस दुनियाँ में आए हो। तब से तुम्हें देखने के लिए तड़प रहे हैं। लेकिन समाज और रिवाजों की जजीरों ने हमें मजबूती से जकड़ रखा था। मगर अब जब तुम इतने करीब आकर भी हमसे दूर जा रहे थे तो, मैं खुद को रोक ना पाई। आज मैंने वो तमाम जंजीरें तोड़ दी हैं। और आज मैं पहली बार इस जनानखाने के मजबूत दरवाजों से गुजरकर अपने बेटे, अपने भतीजे के पास आई हूँ, और अब मैं तुम्हें कहीं जाने नहीं दूँगी। तुम्हें कोई हक नहीं पहुँचता की तुम किसी जुर्म के बगैर हमें खुद से दूर रहने की सजा दो। अब तो अम्मा साईं भी यही चाहती हैं कि तुम अपनी हवेली में आ जाओ, और अपने तमाम जायज हकों को उसी तरह हासिल करो, जिस तरह इस हवेली का सही वारिस उसको हासिल करता है…”
कहकर एक बार फ़िर उन्होंने मुझे खुद के साथ भींच लिया और एक बार फ़िर बिलख-बिलख के रोने लगी-“तुम्हें हम यहाँ से कहीं जाने नहीं देंगे। हमारा अब कोई नहीं है, तुम्हारे सिवा…
”
उनकी मुहब्बत और तड़प देखकर मैंने एक बार फ़िर दोनों बाजू से पकड़कर उनको खुद से अलहदा किया तो वो चौंक पड़ी कि शायद मेरे ऊपर उनकी किसी बात का कोई असर नहीं पड़ा। मैंने मुश्कुराकर उन्हें देखा और उनको दोनों बाजू से पकड़कर उनके माथे को चूमते हुए कहा-“आप परेशान ना हों। मैं कहीं नहीं जा रहा। मुझे मेरी दो मासूम बहनों का पैगाम भी मिल चुका है। मैं तो खुद सुबह होने का इंतजार कर रहा था, ताकी सुबह होते ही सबसे पहले दादी हुजूर के कदमों में गिरकर उस ना-फरमानी की माफी माँग सकूँ जो चन्द दिन मैंने उनका अपने पास आने का हुकुम ना मानकर की थी…”
मेरी बात सुनकर फूफो नरेन और सारा के चेहरे पर खुशी के तसूर नुमाया थे। फूफो ने जल्दी से आगे बढ़कर एक बार फ़िर मुझे अपने गले से लगाया, और कहा-“मुझे यकीन था कि मेरे भाई का खून पानी नहीं हो सकता। वो हमें इस बीच मंझदार में छोड़कर नहीं जाएगा…” वो बहुत देर तक मेरे सीने से लगी रोती रही।
मैं उन्हें तसल्ली देता रहा। फ़िर फूफो नरेन कुछ देर मजीद रूम में रुकी, और फ़िर किसी के देख ना लिए जाने के डर से जल्द ही वहाँ से चली गई। और जाते-जाते भी मुझे ताकीद कर गई कि मैं सुबह जल्दी ही जनानखाने में आ जाऊँ। मैंने उनसे वादा कर लिया। फूफो नरेन ने मुझसे इस बात का भी वादा लिया कि मैं उनके यहाँ आने का किसी से भी जिकर ना करूँ।
फूफो के जाने के बाद मैं बेड पर आकर लेट गया। नींद मेरी नजरों से कोसों दूर थी। मैंने अपने बारे में कभी भी ऐसा नहीं सोचा था कि मुझे इतने जल्द ही अपने फ़ैसले खुद करने होंगे। मैं तो एक प्यार सा नौजवान था जिसकी लाइफ सिर्फ़ और सिर्फ़ तीन चीजों पर टिकी हुई थी। मेरी परिवार, स्पोर्ट में मार्शल आर्ट, और सेक्स। स्टडी को मैंने कभी 7वी क्लास के बाद संजीदगी से नहीं लिया था। मगर शायद में ***** गिफ्टेड था। जो इसके बावजूद भी हमेशा टाप ही करता था। खूबसूरत औरतें मेरी न जाने क्यों बचपन से ही कमजोरी थीं।
अम्मी अक्सर मजाक में कहती थी कि मैं तो बचपन में भी किसी मामूली सूरत की औरत की गोद में नहीं बैठता था। जहाँ कोई खूबसूरत खातून देखी नहीं कि फौरन उनकी गोद में जा बैठता था। स्कूल की स्टडी का सातवा साल था यानी कि मैं 7वी के एग्जाम्की तैयारी कर रहा था कि इसी दौरान हमारे स्कूल में एक नई टीचर सबा की एंट्री हुई।
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