RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
मैंने उसी सोफे से अपना सिर टिका लिया और उसी हालत में मुझे नींद आ गई, कि अचानक किसी ने मेरे कंधे को पकड़कर झींझोड़ा । मैं चौंक कर उठ गया, और जल्दी से देखा तो मेरी एक साइड पर सारा खड़ी हुई थी। उसके चेहरे पर अजीब सा तसव्वुर फैला हुआ था।
मैंने उसे देखकर कहा-“क्या बात है, कुछ परेशान सी लग रही हो?”
उसी वक्त उसने दूर की तरफ इशारा करते हुए कहा-“वो देखो तुमसे कोई मिलने आया है…”
मैं दूर की तरफ देखा तो वहाँ एक बड़ी सी चादर में लिपटा हुआ कोई खड़ा था। उसने तो अपने चेहरे को भी मुकम्मल तौर पर ढका हुआ था। मैं जल्दी से अपनी जगह उठकर खड़ा हो गया। मेरे जेहन में अचानक से वो चादर वाली घूम गई, जो उस रात मेरे हाथों से निकलकर भागी थी। क्या यह वही थी? मैं हैरत की तस्वीर बना उसको देख रहा था।
चादर में लिपटी खातून ने गर्दन हिलाकर सारा को इशारा किया तो सारा ने जल्दी से आगे बढ़कर रूम का दरवाजा अंदर से लाक कर दिया और चिटकनी भी चढ़ा दी। मैंने इस दौरान गर्दन घुमाकर दीवाल घड़ी की तरफ देखा तो उस वक्त रात के 12:00 बज रहे थे। हम शहर में रहने वालों के लिए रात अभी स्टार्ट ही हुई थी। मगर वहाँ पर आधी रात गुजर चुकी थी। रूम में पिन ड्रॉप साइलेंस था। दिल की धड़कनों और दीवाल घड़ी की टिक-टिक सुनाई दे रही थी।
उस खातून ने एक नजर सारा की तरफ देखा और धीरे से खुद पर से चादर हटाने लगी। चादर के हटते ही मेरा दिल बहुत जोर-जोर से उछलने लगा। उस पर्दे के पीछे से एक बहुत ही खूबसूरत खातून, जिनकी उमर लगभग 30 से 35 साल होगी, मगर वो किसी भी तरह 25 से ज़्यादा की नहीं लग रही थी, और वो भी सिर्फ़ अपने भारी-भारी सीने और दोनों साईडों से बल खाती हुई कमर की गोलाईयों की वजह से। जिनसे अंदाज़ा हो रहा था कि जितना खूबसूरत फ्रंट है, उससे कहीं ज़्यादा बैक होगा। गोरा रंग, बड़ी-बड़ी आँखें ऐसी की उनमें एक बार डूबने के बाद फ़िर कभी उभरने का तिवार ही खतम हो जाए, रसीले होंठ, मैंने बड़ी मुश्किल से खुद को इस बेखुदी में जाने से रोका, जो उसे देखकर मुझे होने लगी थी।
मैंने खुद को संभाल लिया कि क्या पता यह कौन है? मुझे जल्दीबाजी के बजाए थोड़ा सबर से काम लेना चाहिए। इसी आसना में मुझ पर एक अचानक इफ्ताद आ पड़ी। वो खातून इतनी तेजी से मेरी तरफ बढ़ी की मुझे संभलने का कोई मोका ही ना मिल सका। अगले ही पल वो मेरे सीने से लगी रो रही थी। छोटे कद के कारण उनका सिर मेरे कंधों तक आ रहा था।
उसका लरजता हुआ बदन मुकम्मल तौर पर मेरे साथ चिपका हुआ था। मैं हैरान नजरों से कभी सारा की तरफ, और कभी उस खातून की तरफ देख रहा था। उसका पूरा जिश्म मेरे साथ सख्ती के साथ भिंचे होने और लंबे कद के फायदे के कारण अब मेरी नजरें वाजिए तौर पर उसकी कमर से होती हुई उसकी बैक तक जा रही थी।
जहाँ पर अपना अंदाज़ा 100 पर्सेंट दुरिस्त देखकर मुझे जहाँ खुशी हो रही थी, वहीं इतनी खूबसूरत अंदाज में गोलाई की शकल ली हुई भारी-भारी गाण्ड देखकर मैं पागल हो रहा था। मुझे महसूस हुआ कि मुझे अब जल्द से जल्द यह जान लेना चाहिए कि यह खातून कौन हैं?
ताकी मैं अपनी आँखों को मुकम्मल तौर पर इस बात की इजाजत दे सकूँ कि वो उस हसीन सरपे का दिल खोलकर और जी भरकर नजारा कर सके। ताकी मैं उसके साथ अपना सिलसिला कुछ आगे बढ़ाकर उसके हुश्न को खिराज -ए-तहसीन दे सकूँ।
मैंने उसे दोनों बाजू से पकड़कर खुद से अलग किया। जो कि मेरे लिए बड़ा ही आजमाइशी पल था। मैंने सवालिया नजरों से सारा की तरफ देखा तो वो शायद मेरी बात समझ गई थी।
सारा मेरे करीब आकर बोली-“छोटे साईं। यह आपकी बड़ी फूफो नरेन हैं…”
सारा के मुँह से यह बात सुनकर कि वो मेरी फूफो हैं। सारा की बात सुनकर मेरे सारे अरमानों पर पानी फ़िर गया। मैंने जल्दी से खुद को कंट्रोल किया और बड़ी हैरत से उनकी तरफ देखने लगा। फूफो नरेन ने अपनी आँसुओं से भरी आँखों से मुझे नजरें उठाकर देखा।
“फूफो…” उन्हें इस तरह अपनी तरफ देखते हुए देखकर मेरे मुँह से सिर्फ़ इतना ही निकल सका।
जिसके जवाब में उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए कहा-“मैं कुरबान, मैं सदके मेरी जान। मैं तेरी फूफो। मेरे भाई की निशानी, हमारा वारिस, बाबा की दूसरी तस्वीर। हू-ब-हू अपने दादा पे गये हो…” उन्होंने अपने हाथों से पकड़कर मेरा सिर नीचे की तरफ झुकाया और मेरी पेशानी को बहुत ही मुहब्बत से चूमा।
मैं उनकी मुहब्बत और खुलुस देखकर खुद को दिल ही दिल में मालमत करने लगा कि मैं इनके बारे में क्या सोच रहा था? (उस वक्त तक मैंने कभी भी इन्सेस्ट सेक्स के बारे में नहीं सोचा था और न ही मैं इस चीज को पसंद करता था)
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